शिक्षक भर्ती मामला : कितने किलोमीटर दूरी पर देना है पोस्टिंग, इस आधार पर रेट तय करते थे माणिक!
शिक्षा विभाग में डिजाइंड करप्शन मामले में माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज किया . अदालत के निर्देश पर लगभग 10 घंटे तक जेल में पूछताछ के बावजूद सहयोग नहीं करने का माणिक पर आरोप लगाया गया है.
कोलकाता, विकास कुमार गुप्ता : आर्थिक लेनदेन के एवज में घर के नजदीक पोस्टिंग में शून्य पद की वैकेंसी निकालने में मैजिकल गुण से भरपूर मध्य शिक्षा पर्षद के पूर्व चेयरमैन माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ सीबीआइ ने अदालत के निर्देश पर अब डिजाइंड करप्शन को लेकर एफआइआर दर्ज किया है. सीबीआइ सूत्र बताते हैं कि अदालत के निर्देश पर मंगलवार रात से लेकर बुधवार को कुल 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ करने के बाद सीबीआइ ने माणिक के खिलाफ एफ नया आइआर दर्ज किया है.
शिक्षकों के घर के पास की पोस्टिंग का रिक्त पद निकाला जाता था
बताया जा रहा है कि सीबीआइ को पर्षद की पूर्व अधिकारी रत्ना चक्रवर्ती बागची ने भी चौंकानेवाली जानकारी अपने बयान में दी है. जिसके बाद इसकी जांच शुरू की गयी. इसमें प्राथमिक जांच में पता चला है कि जिन जिलों में पोस्टिंग के रिक्त पद नहीं होते थे, वहां मोटी रकम लेकर इसके एवज में प्राथमिक शिक्षकों को उनके घर के पास की पोस्टिंग का रिक्त पद निकाला जाता था.
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30 जुलाई को प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने नई वैकेंसी कैसे निकाली
माणिक के खिलाफ यह भी जानकारी मिली है कि प्राथमिक शिक्षकों को उनके जिलों में कितने किलोमीटर के दायरे में पोस्टिंग चाहिये, उस हिसाब से रेट तय होता था. मांगे गये रेट देने पर रिक्त पद निकालकर शिक्षकों की उनके मनपसंद जिलों में पोस्टिंग दे दी जाती थी. वर्ष 2021 के समय पर्षद के चेयरमैन रहे माणिक भट्टाचार्य ने रिक्त पद नही होने की जानकारी 6 जुलाई 2021 को दी. 23 दिन बाद 30 जुलाई को प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने नई वैकेंसी निकाली. इसी पर सवाल खड़ा हो गया कि 23 दिनों में रिक्त पद कैसे बना. क्या इसमें मोटी रकम के पैसों लेनदेन हुआ था?
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400 से 800 किमी दूर प्राथमिक विद्यालयों में दी गयी थी पोस्टिंग
जांचकर्ताओं को यह जानकारी मिली है कि होम पोस्टिंग के आवेदन के बावजूद योग्य शिक्षकों को उनके होम लोकेशन के 400 से 800 किमी दूर प्राथमिक विद्यालयों में पोस्टिंग दी गयी थी. 23 दिनों के बाद “माणिक जादू” चलने के बाद उस जिले में दूसरों को पोस्टिंग दी गई, जहां कोई रिक्तियां नहीं थीं, माणिक के फैसले पर की उपलब्धियों ने शैक्षिक समुदाय को आश्चर्यचकित कर दिया. इसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था. जिसके बाद मामला अदालत पहुंचा.
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क्या है मामला
इस पूरे मामले को समझने के लिए मान लीजिए कि समीर (बदला हुआ नाम) नाम का एक व्यक्ति टेट की परीक्षा पास करता है. वह वर्ष 2020 की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेता है. उनके लिए वैकेंसी 6 जुलाई 2021 को जारी हुई. जिसमें पता चला कि 4 जिलों में कोई पद पोस्टिंग के लिए खाली नहीं है. काउंसलिंग 11 से 19 जुलाई तक आयोजित की गई थी. बीरभूम समेत कुछ जिलों के आवेदकों को रिक्त पद न होने के कारण उन्हें 400-800 किमी दूर के स्कूल में पोस्टिंग दी गयी थी. अचानक 30 जुलाई को पर्षद की तरफ से नया नोटिफिकेशन जारी कर दोबारा काउंसलिंग शुरू हुई. जहां रिक्त पद नहीं होने की जानकारी दी गयी थी, अचानक उन 4 जिलों में जादू की तरह वैकेंसी निकल गयी. इसके बाद से ही लोग आश्चर्यचकित हो गये.
जांचकर्ताओं को जवाब जानना हैं चार सवालों का
जांचकर्ताओं को चार सवालों का जवाब जानना हैं. इसी का जवाब माणिक से मांगा जा रहा है.
1. क्या माणिक के निर्देश पर ही बोर्ड ने जानबूझकर रिक्त पदों के सही आंकड़े पेश नहीं किये थे.
2. जो आवेदक काफी पीछे की कतार में थें, उन्हें 30 जुलाई को कैसे रिक्त पद पर घर के पास पोस्टिंग मिल गयी.
3. किसके कहने पर और कितने रुपये लेकर पीछे के कतार में रहनेवाले प्राथमिक शिक्षकों को उनके घर के पास पोस्टिंग दी गयी.
4. घर के दूरी के हिसाब से रेट चार्ट कौन और किसके कहने पर तैयार किया जाता था.
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सीबीआइ को जांच में माणिक ने कोई सहयोग नहीं किया
सीबीआइ का कहना है कि माणिक से मंगलवार के बाद बुधवार को करीब 10 घंटों की पूछताछ में माणिक ने सीबीआइ को जांच में कोई सहयोग नहीं मिला है. इसके कारण सीबीआइ की तरफ से सबूत एवं उनके खिलाफ मिले बयान के आधार पर माणिक से पूछताछ की गयी, लेकिन वे अधिकतर सवालों के जवाब में चुप्पी साधे रहे. उन्होंने खुद को फंसाने की साजिश रचे जाने की जानकारी दी. सीबीआइ जांच की गति एवं पूछताछ में मिली जानकारी को अदालत के सामने पेश करेगी.
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