इस कविता को पढ़कर मनोज बाजपेयी ने किया था अभिनेता बनने का फैसला, खुद किया ये खुलासा
मनोज बाजपेयी के अलावा लॉन्च के मौके पर फ़िल्म गुलमोहर के डायरेक्टर राहुल चितेल्ला अपनी पूरी क्रू के साथ थे. मनोज बाजपेयी ने कहा कि ,"मैं बहुत छोटा था, पांचवी या छटवीं क्लास में था और हमारी क्लास से किसी एक को कविता का वर्णन करना था.
मनोज बाजपेयी एक अद्भुत कलाकार हैं जिनकी अदाकारी के प्रशंसका दीवाने हैं और वा उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते हैं. कभी उनकी कोई फिल्म बॉक्स आफिस पर खरी न भी उतरे लेकिन चाहनेवालों के दिल पर दस्तक जरूर देती हैं यही बात मनोज बाजपेयी को एक बड़ा स्टार बनाती हैं. हाल ही में उनकी फिल्म गुलमोहर रिलीज हुई है जिसमें वो शर्मिला टैगोर संग नजर आ रहे हैं. एक्टर ने एक मैगजीन कवर के लॉन्च पर इस बात का खुलासा किया कि उन्हें अभिनेता बनने की प्रेरणा कहां से मिली.
मैं बहुत शर्मिला और रिजर्व स्वभाव का था
मनोज बाजपेयी के अलावा लांच के मौके पर फ़िल्म गुलमोहर के डायरेक्टर राहुल चितेल्ला अपनी पूरी क्रू के साथ थे. मनोज बाजपेयी ने कहा कि ,”मैं बहुत छोटा था, पांचवी या छटवीं क्लास में था और हमारी क्लास से किसी एक को कविता का वर्णन करना था. मैं नही जानता कि इसके पीछे की वजह लेकिन मैं बहुत शर्मिला और रिजर्व स्वभाव का था.
कविता श्री हरिवंश राय बच्चन जी की लिखी हुई थी
उन्होंने आगे कहा, ‘ मैं कभी-कभी दीवारों पर कूदता था तो इस बार टीचर ने मुझे ठीक करने की ठानी और कहा कि इस कविता का वर्णन सबके सामने तुम्हें करना होगा और ये कविता श्री हरिवंश राय बच्चन जी की लिखी हुई थी. रोज क्लास खत्म होने के बाद मेरे टीचर मुझे इस तैयारी में मदद करते थे. हालांकि जब वो दिन आया. मैं स्टेज पर गया. कविता को वर्णित करने के बाद लोगों ने बहुत वाहवाही की और तब मुझे लगा कि ये मेरे लिये बना हैं. मैंने उस दिन ये निर्धारित किया कि मुझे एक अभिनेता बनना हैं जो एक गांव से आता है और एक किसान का बेटा हैं. ये सब ऊपर वाले का करम होता हैं. इसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा.”
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इस वजह से एक्टर ने डांस करना छोड़ा
मनोज बाजपेयी ने पिछले दिनों अपनी एक बातचीत में खुलासा किया था कि, जब उन्होंने जब ऋतिक रोशन को डांस करता देखा तो उन्होंने अपना डांसर बनने का सपना छोड़ दिया. एक चैट शो कर्ली टेल्स में उन्होंने अपने थियेटर दिनों की बात की. उन्होंने कहा, चूंकि मैं थिएटर से हूं, इसलिए वहां एक शर्त हुआ करता था कि एक कलाकार को पता होना चाहिए कि कैसे गाना है. भले ही आप फ्रंटलाइन गायक ना बनें, आपको कम से कम एक कोरस गायक होना चाहिए. हां, मैं नाचता भी था.