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झारखंड : बेतला आदिम जनजाति विद्यालय की 30 छात्राएं बीमार, करीब 12 की हालत नाजुक

लातेहार में बेतला आदिम जनजाति विद्यालय की 30 छात्राएं बीमार हो गई हैं. इसमें से करीब 12 छात्राएं गंभीर हैं. सभी को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है. वहीं स्कूल में शिविर लगाकर स्वस्थ छात्राओं की जांच भी की जा रही है.

बेतला (लातेहार) संतोष कुमार. लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड के बेतला नेशनल पार्क रोड के कुटमू स्थित आदिम जनजाति बालिका विद्यालय की 30 से अधिक छात्राएं बीमार हो गयी हैं. वहीं करीब एक दर्जन छात्राओं की हालत गंभीर है. सभी को सर्दी, खांसी, बुखार के अलावा चक्कर आने और पेट दर्द की शिकायत है.

इलाज के लिए भेजा गया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

चार दिन पहले 9 छात्राओं की हालत गंभीर हो गयी थी. जिन्हें इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरवाडीह भेजा गया था. इलाज के बाद स्कूल लौटने पर अभिभावकों ने उन बच्चों को अपने साथ ले जाने की बात कही. जिसके बाद उन्हें घर जाने के लिए छुट्टी दे दी गयी है. वहीं, शुक्रवार की शाम भी 3 बच्चों की हालत गंभीर होने पर उन्हें अभिभावकों के साथ घर भेज दिया गया है.

सामूहिक रूप से बीमार हो रहे बच्चों को देख प्रबंधन भी चिंतित

विद्यालय में 75 छात्राएं हैं. ये छात्राएं आदिम जनजाति के हैं. सामूहिक रूप से बीमार होता देख अन्य स्वस्थ बच्चे भी डरे सहमे हैं. यहां पढ़ने वाली छात्राएं लातेहार और पलामू जिले के अलग-अलग प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव से आती हैं. स्थिति को बिगड़ते देख विद्यालय प्रबंधन भी काफी चिंतित व परेशान है.

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छात्राओं के लिए लगा जांच शिविर

घटना की जानकारी मिलने पर बरवाडीह बीडीओ राकेश सहाय तुरंत वहां पहुंचे. उन्होंने भी बच्चों की स्थिति चिंताजनक देखते हुए मेडिकल टीम बुलाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करायी. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी आशीष रंजन के नेतृत्व में लगाये गये शिविर में बीमार पड़े सभी छात्राओं का जांच के बाद इलाज किया गया. डॉक्टर के अनुसार बीमारी का कारण वायरल फीवर है. हालांकि, बच्चों के कोविड, वायरल फ्लू, हिमोग्लोबिन सहित अन्य बीमारियों की जांच की जा रही है.

अभिभावक झाड़-फूंक में रखते हैं विश्वास

आदिम जनजाति के बरवाडीह प्रखंड के अलग-अलग सुदूरवर्ती गांवों के छात्राओं के अभिभावक सरकारी दवाओं पर भरोसा नहीं रखते हैं, उन्हें झाड़-फूंक पर विश्वास है. विद्यालय प्रबंधन के द्वारा इलाज कराये जाने के बावजूद भी वह बच्चे को विद्यालय में ठहरने नहीं देना चाहते हैं. जैसे ही अभिभावकों को उनके बच्चे के बीमार होने की जानकारी मिल रही है, वे तत्काल विद्यालय पहुंचकर बच्चों को अपने साथ ले जा रहे हैं. इसकी पुष्टि विद्यालय के वार्डन रेणु प्रकाश सेनापति ने भी की है.

बच्चों को संक्रमण से बचाने की दी सलाह

जांच के बाद डॉक्टर ने विद्यालय प्रबंधन को कई निर्देश दिये हैं. उन्होंने बताया कि जांच के बाद दवा तो दे दी गयी है, लेकिन संक्रमण से अन्य बच्चे संक्रमित नहीं हो इससे बचाव के लिए संक्रमित बच्चों को अलग रखना जरूरी है. विद्यालय पहुंचने के दौरान बीडीओ राकेश सहाय ने बच्चों के छात्रावास ,बाथरूम, पेयजल भोजन सहित अन्य साफ-सफाई की व्यवस्था के बारे में भी जानकारी ली.

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यह छात्राएं हैं बीमार

बीमार छात्राओं में रीमा कुमारी, सुशीला, चांदनी दुर्गावती, पूनम, संध्या, पूजा, नेहा, डोली सोहगिला, नूतन, सोनम, संजू, अलका सीता, द्रौपदी, कविता, सोनी, चांदनी अनीता, मनीषा, गोमती, बिफनी आदि अन्य छात्राओं के नाम शामिल हैं.

क्या कहती हैं वार्डन

वार्डन रेणु प्रकाश सेनापति ने कहा कि बड़ी संख्या में छात्राओं के बीमार होने की वजह से वह स्वयं चिंतित हैं. वरीय पदाधिकारियों के अलावा सभी अभिभावकों को भी इनकी सूचना दी गयी. बच्चों को स्वस्थ कराने में विद्यालय प्रबंधन कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

क्या कहते हैं बीडीओ

बीडीओ राकेश सहाय ने कहा कि सामूहिक स्तर पर इतने बच्चों का बीमार होना चिंताजनक है. बीमार होने के कारणों की पड़ताल की जा रही है. मेडिकल टीम प्रत्येक सोमवार को यहां पहुंचेगी और छात्राओं की नियमित जांच होगी. प्रखंड प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है, बच्चों की सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.

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