धनबाद में फर्जी ई-वे बिल के धंधे में शामिल हैं कई ग्रुप, राज्यकर विभाग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कोयला चोरी का खेल रुक नहीं रहा है. हर दिन लाखों-करोड़ों का खेल हो रहा है. इसमें कई ग्रुप शामिल हैं. राज्यकर विभाग की रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें, तो 18 माह में कोयला खदानों से लगभग 24 लाख टन चोरी का कोयला निकला.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2023 11:16 AM

धनबाद, सुधीर सिन्हा : कोयला चोरी का खेल रुक नहीं रहा है. हर दिन लाखों-करोड़ों का खेल हो रहा है. इसमें कई ग्रुप शामिल हैं. राज्यकर विभाग की रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें, तो 18 माह में कोयला खदानों से लगभग 24 लाख टन चोरी का कोयला निकला. 45 शेल कंपनियों के नाम से 80895 ई-वे बिल निकला. एक ट्रक में लगभग 30 टन कोयला लोड होता है. 80895 ई-वे बिल (परमिट) से कोयले को बिहार, यूपी व बंगाल भेजा गया. प्रति परमिट लगभग 30 टन चोरी का कोयला भेजा गया. इस खेल में कई ग्रुप शामिल हैं.

उत्खनन, ट्रांसपोर्टिंग व परमिट देनेवाले अलग-अलग ग्रुप हैं. एक ग्रुप जो चोरी का कोयला एकत्रित करता है. दूसरा चोरी के कोयले का ट्रांसपोर्टेशन कराता है. तीसरा फर्जी कंपनी के नाम से ई वे बिल (परमिट) देता है. सबसे बड़ा खेल इस ई वे बिल के नाम पर होता है. किसी को पता नहीं चलता और उसके नाम पर यह ई वे बिल निकल जाता है. धनबाद में इस काम में कई लोग शामिल हैं, पर पांडेय, तायल, अंसारी, ओझा, सिंह जैसे ग्रुप का बोलबाला है.

गड़बड़ी का हुआ खुलासा

पिछले दिनों राज्यकर विभाग की जांच में बिजली बिल का खुलासा हुआ था. केंदुआ के एक व्यक्ति के नाम से रेंट एग्रीमेंट दिखाया गया था. जांच टीम जब केंदुआ पहुंची और मकान मालिक से पूछताछ की, तो उसने बताया कि उसने कभी किरायेदार रखा ही नहीं है, फिर उसके घर के नाम पर रेंट एग्रीमेंट कैसे हो सकता है.

Also Read: धनबाद की 37 समेत राज्य की 142 कंपनियाें का कोल लिंकेज रद्द, देखें पूरी लिस्ट

वहां पर इस बात का खुलासा हुआ कि किसी भी व्यक्ति के घर के बाहर लगे बिजली के मीटर बॉक्स के पास उसका नंबर लिखा होता है. उस नंबर को लेकर गिरोह के लोग बिजली बिल निकलवा लेते हैं फिर उसी का इस्तेमाल एड्रेस प्रूफ के लिए करते हैं.

27 कंपनियों पर एफआइआर, मात्र एक की हुई थी गिरफ्तारी

27 शेल कंपनियों पर राज्यकर विभाग की ओर से विभिन्न थानों में एफआइआर दर्ज कराया गया है, पर आज तक किंग-पिंग पकड़ा नहीं गया. उस दौरान एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. बाद में एक चाउमीन वाले के नाम से फर्जी कंपनी का मामला आया था. पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था.

जिन पर हो चुकी है एफआइआर

नारायण ट्रेडर्स, पूर्वा इंटरप्राइजेज, शुभ लक्ष्मी इंटरप्राइजेज, साईं ट्रेडर्स, धनबाद फ्यूल, न्यू हिंदुस्तान सेंटर, सिन्हा कोल ट्रेडिंग, देव इंटरप्राइजेज, गणेश फ्यूल सहित 27 कंपनियां.

300-400 रुपये प्रति टन बिकता है ई वे बिल

ई-वे बिल (परमिट) बेचनेवाले का बड़ा गिरोह काम कर रहा है. धनबाद में 300-400 रुपये प्रति टन ई-वे बिल (परमिट) बिकता है. यहां खास बात यह है कि पार्टी के हिसाब से ई वे बिल की कीमत वसूली जाती है. हर ग्रुप का अपना-अपना क्षेत्र बंटा हुआ है. झरिया,कतरास, बाघमारा, केंदुआ-करकेंद, निरसा में अलग-अलग ग्रुप काम कर करता है. कुछ का बैंक मोड़, झरिया, निरसा व कतरास में किसी दूसरे नाम से कार्यालय भी चलता है.

Also Read: धनबाद में 45 फर्जी कंपनियों का फर्जीवाड़ा, 16606 करोड़ रुपये का चोरी का कोयला बेचा
कैसे होता है खेल

कुछ जरूरतमंद लोगों के नाम, तो कुछ अनजान नाम से भी फर्जी कंपनी तैयार की जाती है. जिस व्यक्ति के नाम से कंपनी बनायी जाती है, उसका फोटो व आधार कार्ड इस्तेमाल किया जाता है. कई बार इसके बदले में कुछ पैसे का लालच दिया जाता है, तो कई बार किसी अनजान व्यक्ति का भी पेन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट व एड्रेस प्रूफ इस काम में लगे शातिर तैयार कर लेते हैं. इसके बाद जीएसटी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाता है.

Next Article

Exit mobile version