धनबाद : गोफ के कारण अब तक मंदिर-मस्जिद सहित कई घर हो चुके हैं जमींदोज, इसरो की टीम ने भी कहा- स्थिति भयावह
इसरो की एक टीम ने वर्ष 2015 में भूमिगत आग और गैस की अद्यतन स्थिति की जानकारी लेकर स्थिति को भयावह बताया था. लेकिन पुनर्वास का मामला जहां पहले था, आज भी वहीं है.
सिजुआ, इंद्रजीत पासवान : सिजुआ की हजारों की डेंजर जोन की जद है. भू-धंसान, गोफ, गैस रिसाव तथा धुआं की स्थिति से ग्रामीणों का हमेशा सामना होना आम बात है. जगह-जगह हो रहे गैस रिसाव ने इनकी जिंदगी बद बदतर बन गयी है. लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. बावजूद इन्हें सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास कराने का सिर्फ आश्वासन ही मिला. केंद्रीय टीम लगातार क्षेत्र का दौरा कर सरकार को वर्तमान स्थिति से अवगत कराती रही है. इसरो की एक टीम ने वर्ष 2015 में भूमिगत आग और गैस की अद्यतन स्थिति की जानकारी लेकर स्थिति को भयावह बताया था. लेकिन पुनर्वास का मामला जहां पहले था, आज भी वहीं है.
घटना कोई नयी नहीं
सिजुआ 22/12 बस्ती में जमींदोज की घटना कोई नयी नहीं है. जमीन के नीचे की धधकती आग की भेंट अब तक मस्जिद, मंदिर तथा विद्यालय चढ़ चुके हैं. यहां का पौराणिक काली मंदिर बहुत दिन पहले जमींदोज हो चुका है. उसका नामोनिशान भी मिट चुका है. इलाके का एक मात्र उर्दू प्राथमिक विद्यालय में दरार पड़ने के बाद वर्ष 2012 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक के निर्देश पर उसे बंद कर दिया गया. वर्ष 1995 में छोटी मस्जिद के साथ कई आवास जमींदोज हो गये थे. मस्जिद का अभी निशान भी नहीं है. उसके बाद वर्ष 2003 में कुर्बान अंसारी नामक व्यक्ति घर में बारिश के बाद रात को गोफ हो गया था, जिसमें उनकी पत्नी मैमुन निशां जमींदोज समा गयी थी, हालांकि उसे बचा लिया गया था.
18 जुलाई 2022 को भी मो अनसारूल हक का दो मंजिला छत अचानक धराशायी हो गया था. उसमें घर के सभी लोग बाल-बाल बच गये थे. 2022 सितंबर माह में जोगता फायर एरिया 15 नंबर के समीप गोफ बना था, जिसमें एक मवेशी समा गया था. 28 मार्च 2022 को चंदन कुमार सिंह के आवास के बाहरी हिस्से में 30 फीट की परिधि मे भू-धंसान हो गयी. उसमें लगभग 50 फीट गोफ हुआ था. घरेलू सामान जमींदोज हो गये थे. पूरा परिवार बाल-बाल बच गया था. एक दिसंबर 2022 की शाम 22/12 बस्ती स्थित जामा मस्जिद में गोफ बनने से मस्जिद की मीनार व मस्जिद में रखे जेनरेटर, बाजा आदि जमींदोज हो गये थे.
छोटकी बौआ में बना गोफ, दहशत में लोग
तेतुलमारी. बौआकला दक्षिण पंचायत अंतर्गत छोटकी बौआ धोबी कुल्ही में गुरुवार की सुबह पंसस राजू रजक के घर के समीप जोरदार आवाज के साथ गोफ बनाने से अफरा-तफरी मच गयी. पंसस राजू रजक ने गोंदुडीह खास कुसुंडा कोलियरी के पीओ बीके झा को इसकी सूचना दी. राजू ने बताया कि आये दिन बस्ती में गोफ बनने की घटनाएं हो रही है. कई घर जमींदोज हो चुके हैं. कई घरों में दरारें पड़ गयी है. बस्ती में 149 घर है. इसमें 25 परिवारों को बीसीसीएल द्वारा क्वार्टर उपलब्ध कराया गया है. पीओ ने आश्वस्त किया कि जल्द लोगों को पुनर्वास दिया जायेगा.
लोग आवास छोड़ने को नहीं हैं तैयार
बाघमारा. बीसीसीएल ब्लॉक दो एबीओसीपी के अग्नि-प्रभावित आउटसोर्सिंग फेस में भूमिगत आग तेजी से बढ़ रही है. कई घरों की दीवार फट कर आग निकल रही है. खतरे को देखते हुए प्रबंधन ने डेंजर जोन में बसे सिदपोकी बस्ती को खाली कराने की मुहिम तेज कर दी है. लेकिन ग्रामीण बिना नियोजन के हटने को तैयार नहीं हैं. खतरे की अंदेशा को देखते हुए प्रबंधन ने मधुबन व जमुनिया हॉल्ट रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग को ओबी डालकर अवरुद्ध कर दिया है. प्रबंधन पूर्णरूप इस इलाके को डेंजर जोन घोषित कर दिया है. बस्ती के आसपास जितने भी पेड़ पौधे हैं, सब आग की चपेट में आकर मिट्टी में मिल गये हैं. इस मार्ग पर कई जगह जमीन धंस गयी है.
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बोले रैयत : बीसीसीएल ने केवल आश्वासन ही दिया
राष्ट्रीयकरण के बाद बीसीसीएल ने हमलोगों को 6/10 से हटाकर 22/12 में कंपनी आवास देकर शिफ्ट कराया था. तब उन्हें कहा गया था कि कोयला राष्ट्र की संपत्ति है. इसलिए वे लोग कंपनी आवास में रहने चले जाये. लेकिन अब बीसीसीएल कहता है कि आवास हमारा है, खाली कीजिए.
-जसीम अंसारी
मस्जिद के जमींदोज होने की सूचना पर हमलोग देर रात से जगे हुए थे, लेकिन मस्जिद के सामने जाकर देखने पर पता चला कि दीवार में दरार पड़ी है और सीढ़ी गोफ में समा गयी है. उसके बाद सभी लोग घर से बाहर निकल पड़े और खुले आसमान के नीचे रात गुजारी कि कहीं और घटना न घट जाए.
-नौशाद अंसारी
वर्ष 2018 से हमलोग मुआवजा तथा पुनर्वास की मांग बीसीसीएल से करते आ रहे हैं, किंतु हर बार झूठा आश्वासन मिला. घर के सभी सदस्य काफी डरे सहमे हुए हैं. जान हथेली पर लेकर यहां रहने को विवश हैं. अब तो यह स्थिति बन गयी है कि घर में भी डर लगता है. न जाने भय से कब मुक्ति मिलेगी.
-मनीर अंसारी
बस्ती के अंदर गोफ की घटना से हम आजिज आ चुके हैं. पहले छोटी मस्जिद बीसीसीएल की लापरवाही के कारण जमीदोज हुई और अब एक मात्र बची जामा मस्जिद भी इसकी भेंट चढ़ने जा रही है. बीसीसीएल की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. सिवाय आश्वासन प्रबंधन कुछ नहीं देता.
-मो मुस्तकीम