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Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Utpanna Ekadashi 2023: साल की 24 एकादशियों की तरह उत्पन्ना एकादशी भी श्रीहरि विष्णु को समर्पित है. इस एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति के पिछले जन्म के पापों का भी नाश होता है और उसे मुक्ति मिलती है. आइए जानते है शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

By Radheshyam Kushwaha | December 4, 2023 2:59 PM

Utpanna Ekadashi 2023: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. साल की 24 एकादशियों की तरह उत्पन्ना एकादशी भी श्रीहरि विष्णु को समर्पित है. इस एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति के पिछले जन्म के पापों का भी नाश होता है और उसे मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने से श्री हरि विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. आइए जानते हैं कि इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसकी पूजा विधि और महत्व…

उत्पन्ना एकादशी 2023 डेट और शुभ मुहूर्त

उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार को है, इसी दिन देवी एकादशी का प्राकट्य हुआ था. पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 8 दिसंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 9 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. उत्पन्ना एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा. श्रीहरि की पूजा के लिए शुभ समय 8 दिसंबर की सुबह 07 बजकर 01 मिनट से सुबह 10 बजकर 54 मिनट के बीच है.

उत्पन्ना एकादशी 2023 व्रत पारण समय

उत्पन्ना एकादशी का व्रत पारण 9 दिसंबर 2023 दिन शनिवार को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर किया जाएगा, इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय दोपहर 12 बजकर 41 मिनट है. बता दें कि द्वादशी तिथि का पहला चौथाई समय हरि वासर कहा जाता है. व्रत का पारण हरि वासर में नहीं करना चाहिए, इसलिए व्रती को पारण के लिए इसके खत्म होने का इंतजार करना होता है.

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उत्पन्ना एकादशी पूजन विधि

  • उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह उठकर शुद्ध जल से स्नान कर व्रत का संकल्प लें.

  • फिर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान विष्णु की पूजा और रात को दीपदान करना चाहिए.

  • इस एकादशी पर रात में भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें.

  • इस व्रत में भगवान विष्णु को सिर्फ फलों का ही भोग लगाएं.

  • व्रत की समाप्ति पर श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगे.

  • अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.

  • द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन करवाकर उचित दान दक्षिणा देकर फिर अपने व्रत का पारण करें.

उत्पन्ना एकादशी के दिन न करें ये गलतियां

  • उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक आहार और व्यवहार से दूर रहना चाहिए.

  • उत्पन्ना एकादशी के दिन अर्घ्य सिर्फ हल्दी मिले जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग अर्घ्य में न करें.

  • सेहत ठीक नहीं है तो उपवास ना रखें, बस प्रक्रियाओं का पालन करें.

  • उत्पन्ना एकादशी के दिन मिठाई का भोग लगाएं, इस दिन फलों का भोग न लगाएं.

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उत्पन्ना एकादशी महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी की उत्पत्ति मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवें दिन हुई थीं, जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा. एकादशी भगवान विष्णु की साक्षात शक्ति है, जिस शक्ति ने उस असुर का वध किया है, जिसे भगवान भी जीत पाने में असमर्थ थे. इस दिन भगवान विष्णु के अंश से एक योग माया कन्या के रूप में प्रकट हुईं थी, जिनका नाम एकादशी रखा गया. उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, जो लोग इस शुभ दिन पर उपवास करते हैं. उन्हें सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है, इसके साथ ही श्रीहरि के आशीर्वाद से उसके दुख, दोष, दरिद्रता दूर हो जाती हैं. धार्मिक मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने वाले लोग सीधे वैकुंठ धाम जाते हैं.

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