Margashirsha Amavasya 2022 Date: मार्गशीर्ष अमावस्या कब है? पितर दोष, शांति के लिए करें ये काम, महत्व

Margashirsha Amavasya 2022 Date: अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसी मानयता है कि जिन लोगों की कुंडली में पितर दोष है उन्हें इस दिन पितर तर्पण जरूर करनी चाहिए और साथ ही मार्गशीर्ष अमवास्या को पितर पूजा करानी चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2022 12:21 PM

Margashirsha Amavasya 2022: हिंदुओं में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है. सभी अमावस्याओं में मार्गशीर्ष अमावस्या का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. इस अमावस्या को मृगशिरा अमावस्या भी कहा जाता है. यह अमावस्या मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को मनाई जाती है. इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर 2022 को पड़ रही है. जानें मार्गशीर्ष अमावस्या शुभ मुहूर्त, इस दिन का महत्व और मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन निभाई जाने वाली धार्मिक परंपराएं, मान्यताएं.

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि, डेट, शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष अमावस्या 202

अमावस्या तिथि प्रारंभ: नवंबर 23, 2022- 6:53 सुबह

अमावस्या तिथि समाप्त, नवंबर 24, 2022त्र 4:26 सुबह

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसी मानयता है कि जिन लोगों की कुंडली में पितर दोष है उन्हें इस दिन पितर तर्पण जरूर करनी चाहिए और साथ ही मार्गशीर्ष अमवास्या को पितर पूजा करानी चाहिए. कुछ लोग इस दिन पिंड दान भी काराते हैं जिससे पितरों को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं.

भगवान कृष्ण को समर्पित है मार्गशीर्ष अमावस्या

हिंदू मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह भगवान कृष्ण को समर्पित माना जाता है. इस विशेष महीने में लोगों गंगा या युमना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.

  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन कौन से कार्य करने चाहिए.

  • इस दिन सुबह उठकर गंगा, यमुना या पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.

  • पितरों के नाम से घी का दिया जलाते हैं उनकी पूजा करते हैं.

  • जानकार पंडित की मदद से घर के सबसे बड़े सदस्य पितरों का तर्पण कार्य संपन्न कराते हैं.

  • ब्राह्मणों और पंडितों को सात्विक भोजन कराते हैं. साथ ही जितना संभव हो कपड़े, पैसे आदि दान-दक्षिणा स्वरूप देते हैं.

  • कई लोग इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं.

  • जो लोग गंगा नदी में स्नान के लिए नहीं पहुंच पाते वे यमुना, शिप्रा, नर्मदा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.

  • जरूरतमंदों, गरीबों को भी कपड़े, भोजन और दक्षिणा देते हैं.

  • इस दिन कौवों, कुत्तों और गाय को भोजन कराने की परंपरा भी निभाई जाती है.

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