Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या पर धृति योग का निर्माण हो रहा है. धृति योग संध्याकाल 06 बजकर 52 मिनट तक है, इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
Margashirsha Amavasya 2023: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन स्नान-दान और तर्पण करने का विधान है. अमावस्या तिथि मंगलवार के दिन पड़ने के कारण भौमवती अमावस्या होगा. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 12 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 13 दिसंबर को 05 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है, जिससे 12 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या है.
मार्गशीर्ष अमावस्या पर शुभ योग
मार्गशीर्ष अमावस्या पर धृति योग का निर्माण हो रहा है. धृति योग संध्याकाल 06 बजकर 52 मिनट तक है, इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन विशेष तौर पर हनुमान जी की पूजा करने से भय, कष्ट और रोग नष्ट हो जाते हैं, इसके साथ ही पितृ दोष और मंगल दोष के बुरे प्रभाव भी कम हो जाते हैं.
मार्गशीर्ष अमावस्या शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 13 दिसंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 01 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर को ही मनाई जाएगी. इस दिन स्नान का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 14 मिनट से सुबह 06 बजकर 09 मिनट तक है और पितृ पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है.
भौमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
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ब्रह्म मुहूर्त- 05 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक
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प्रातः सन्ध्या- 05 बजकर 41 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक
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अभिजित मुहूर्त- 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
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विजय मुहूर्त- 01 बजकर 57 मिनअ से 02 बजकर 39 मिनट तक
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गोधूलि मुहूर्त- 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक
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सायाह्न सन्ध्या- 05 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक
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मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा-विधि
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सुबह में स्नान कर मंदिर की साफ सफाई करें.
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इसके बाद हनुमान जी का जलाभिषेक करें.
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फिर हनुमान जी को लाल चंदन और लाल पुष्प अर्पित करें.
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मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें.
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श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें.
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पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की आरती करें.
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हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं.
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अंत में क्षमा प्रार्थना करें.
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