Agra News: शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के दोस्तों ने साझा किए उनके साथ बिताए पल
शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दे दी गई. ताजगंज स्थित श्मशान घाट पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे. इस दौरान भोपाल से आए उनके कुछ दोस्त भी यहां पर मौजूद थे जिन्होंने पृथ्वी सिंह के साथ बिताए कुछ बेहतरीन पलों के बारे में बताया.
Agra News: तमिलनाडु के कुन्नूर हादसे में शहीद हुए विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को अंतिम विदाई देने उनके सैनिक स्कूल के कुछ दोस्त भी शव यात्रा में शामिल हुए. विंग कमांडर के दोस्त उनके पार्थिव शरीर के साथ ताजगंज शमशान घाट पर पहुंचे जहां पर शहीद को तिरंगे में लिपटा देख दोस्तों की आंखें नम हो गई. शहीद के दोस्त यह विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि उनका जिंदादिल दोस्त अब उनके बीच नहीं है. वह हमेशा के लिए उनका साथ छोड़ कर चला गया. शहीद के दोस्तों ने बताया कि विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान देश के तेजतर्रार पायलट में शामिल थे. जो आज हमें हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए.
ताजगंज के श्मशान घाट पर जहां शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का अंतिम संस्कार हो रहा था. वहीं उनके कुछ पुराने दोस्त भी वहां मौजूद थे. उन दोस्तों का कहना था कि जैसे ही उन्हें पता चला कि विंग कमांडर का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है उन्होंने तुरंत ही पृथ्वी सिंह चौहान से मोबाइल द्वारा संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन मोबाइल लगातार बंद बता रहा था. उसी शाम को उन्हें विंग कमांडर के शहीद होने की खबर मिली तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.
दोस्तों ने बताया कि आर्मी स्कूल में पढ़ाई के दौरान पृथ्वी सिंह चौहान उनके साथ ही थे. उन्होंने पहले से ही एयर फोर्स में जाने के लिए अपना मन बना लिया था. हम लोग आपस में बहुत पक्के दोस्त थे. एयर फोर्स में ज्वॉइन होने के बाद हम लोग कभी ना कभी किसी न किसी मौके पर जरूर मिलते थे.
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शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के भोपाल निवासी मित्र नितिन खरे ने बताया कि हम सैनिक स्कूल में उनके साथ पढ़े थे. 11 साल की उम्र में ही हम लोगों को सैनिक स्कूल भेज दिया गया था. पृथ्वी का हमेशा से ही पायलट बनने का सपना था. इसलिए उन्होंने मेहनत और लगन के साथ अपने इस सपने को भी साकार कर दिखाया. उन्होंने बताया कि जब उनके हादसे में शहीद होने की सूचना मिली तो हमें गहरा सदमा लगा क्योंकि हमारा दोस्त देश के बेहतरीन पायलटों में शामिल था जिसे खोना देश के साथ-साथ हमारे लिए भी बड़ी क्षति है.
भोपाल के ही उनके दोस्त हर्षित ने बताया भले ही हम बचपन के दोस्त हैं लेकिन अभी तक हमारी दोस्ती कायम थी. हम लोग हमेशा एक दूसरे से मिला करते थे. आज भी पृथ्वी पहले की तरह लोगों को मोटिवेट करने का काम करते थे.
पृथ्वी सिंह चौहान के एक अन्य दोस्त हेमंत ने बताया कि वह सरकारी विभाग में नौकरी करता है. पृथ्वी सैनिक स्कूल में हमेशा फौज में भर्ती होने का सपना देखा करते थे जिसके बाद उनका एनडीए में सेलेक्शन हो गया. हम स्कूल से भले ही अलग हो गए लेकिन लगातार हम लोग एक दूसरे से फोन पर बातें करते रहते थे. अगर हमारा दोस्त आज हमारे बीच होता तो रिटायरमेंट तक जरूर किसी ना किसी बड़ी पोस्ट पर पहुंचता लेकिन इस हादसे के बाद सब कुछ बदल गया, आज हमारा सबसे खास दोस्त हमारे बीच नहीं रहा.
(रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा)