बिरसा मुंडा के सेनापति गया मुंडा की 6 जनवरी को शहादत दिवस, जानें अंग्रेजों को भागने पर कैसे किये थे मजबूर
jharkhand news: भगवान बिरसा मुंडा के सेनापति गया मुंडा की 6 जनवरी को शहादत दिवस है. इस मौके पर खूंटी के एटकेडीह में कई कार्यक्रम आयोजित है. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. गया मुंडा ने अंग्रेजों को भगाने में अहम भूमिका निभायी थी.
Jharkhand news: 6 जनवरी को भगवान बिरसा मुंडा के सेनापति कहे जाने वाले गया मुंडा की शहादत दिवस है. इसको लेकर गुरुवार को गया मुंडा के पैतृक गांव खूंटी जिला अंतर्गत एटकेडीह में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे. इसकी तैयारी पूरी हो गयी है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खूंटी विधायक सह पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा शिरकत करेंगे. श्री मुंडा गुरुवार को एटकेडीह गांव पहुंच कर गया मुंडा के आदमकद प्रतिमा में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
गया मुंडा और उनके सहयोगियों ने अंग्रेजों का भागने पर किया था मजबूरखूंटी जिला के एटकेडीह गांव में जन्मे गया मुंडा को भगवान बिरसा मुंडा के सेनापति कहा जाता है. जब अंग्रेज पोड़ाहाट के जंगल में बिरसा मुंडा की खोज कर रहे थे, तब गया मुंडा अलग-अलग इलाकों में बैठक किया करते थे. 5 जनवरी, 1900 को एटकेडीह में बैठक बुलाई गयी थी. इसकी जानकारी अंग्रेजों को हो गई. बैठक के दौरान अंग्रेजों ने उन्हें घेरने की कोशिश की. इस पर गया मुंडा और उनके सहयोगियों ने अंग्रेजों पर हमला कर दिया. जिसमें अंग्रेजों को भागना पड़ा था.
अगले दिन 6 जनवरी, 1900 को अंग्रेजों से गया मुंडा की फिर से लड़ाई हुई. जिसमें अंग्रेजों ने गया मुंडा के घर को आग लगा दिया. जब गया मुंडा घर से बाहर निकले, तो उन्हें गोली मार दी गयी. जिसमें वे घायल हो गये. अंग्रेज घायल गया मुंडा को अपने साथ ले गये. इस दौरान उनकी मौत हो गयी. एक ओर गया मुंडा टांगी और तीन-धनुष से लड़ाई कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर अंग्रेज बंदूकों से लैस थे. इसके बाद भी शहीद गया मुंडा ने अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दिये थे.
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रिपोर्ट : चंदन कुमार, खूंटी.