Coronal Hole: सूर्य की सतह पर दिखा ये छेद, वैज्ञानिकों ने दे डाली चेतावनी

Coronal Hole: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने सूर्य पर एक विशाल काला क्षेत्र देखा है, वाइस न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये छेद हमारी पृथ्वी से 20 गुना बड़ा है, इसे "कोरोनल होल" कहा जाता है.

By Shaurya Punj | March 29, 2023 9:54 PM

Coronal Hole: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने सूर्य पर एक विशाल काला क्षेत्र देखा है, वाइस न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये छेद हमारी पृथ्वी से 20 गुना बड़ा है, इसे “कोरोनल होल” कहा जाता है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार इस छेद का आकार हमारी पृथ्वी से करीब 20 गुना बड़ा है. ये छेद कैसे हुआ और ये क्या है. इसके पीछे के मायने जानने के लिए खोजकर्ता लगे हुए हैं. इससे क्या-क्या नुकसान होंगे ये भी अभी किसी को नहीं पता है.

क्या है कोरोनल होल

नासा के अनुसार, कोरोनल होल अत्यधिक पराबैंगनी (EUV) और सॉफ्ट एक्स-रे सौर छवियों में सौर कोरोना में अंधेरे क्षेत्रों के रूप में दिखाई देते हैं. वे काले दिखाई देते हैं क्योंकि वे आसपास के प्लाज्मा की तुलना में ठंडे, कम घने क्षेत्र हैं और खुले, एकध्रुवीय चुंबकीय क्षेत्र के क्षेत्र हैं. ये छिद्र सूर्य पर किसी भी समय और स्थान पर विकसित हो सकते हैं, लेकिन सौर उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर सबसे अधिक प्रचलित और स्थिर हैं.

कोरोनल होल का धरती पर पड़ेगा ये प्रभाव

रिपोर्ट की मानें तो इन सौर हवाओं का हमारे ग्रह पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने के लिए स्थिति पर नजर रखी जा रही है.सूर्य से आवेशित कणों का निरंतर प्रवाह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, उपग्रहों, मोबाइल फोन और जीपीएस को प्रभावित कर सकता है.नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (एसडीओ) ने 23 मार्च को सूर्य के दक्षिणी ध्रुव के पास कोरोनल होल की खोज की थी.ये छेद सौर हवा (या भू-चुंबकीय तूफान) को अंतरिक्ष में अधिक आसानी से फैलाते हैं.प्रभाव के हिसाब से इन्हें G1 से G5 तक की रेटिंग दी जाती है.

इस दिन हुई थी कोरोनल होल की खोज

नासा के एसडीओ (Solar Dynamics Observatory) ने 23 मार्च को सूर्य के साउथ पोल के नजदीक कोरोनल होल की खोज की थी. ये छेद सौर हवा को अंतरिक्ष में अधिक आसानी से फैला पाते हैं. इसकी रेटिंग G1 से G5 तक होती है. नासा के वैज्ञानिक एलेक्स यंग के मुताबिक, मौजूदा कोरोनल होल बहुत बड़ा है. इसकी लंबाई तीन लाख और चौड़ाई चार लाख किलोमीटर है. इसमें बैक टू बैक 20-30 पृथ्वी समा सकती है.

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