देव दीपावली के अगले दिन माता त्रिजटा की पूजा, रामायण के इस प्रसंग के बारे में जानकर हैरान हो जाएंगे आप

माता सीता ने त्रिजटा को आशीर्वाद दिया था कि एक दिन उनकी देवी रूप में पूजा होगी. आज भी वाराणसी में उस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 20, 2021 7:46 PM

Varanasi News: काशी में देव दीपावली 2021 के अगले दिन शनिवार को माता त्रिजटा की पूजा का विधान है. काशी विश्वनाथ गली में साक्षी विनायक मंदिर में माता त्रिजटा का मंदिर है. यह काशी विश्वनाथ धाम के बगल में है. त्रिजटा ने अशोक वाटिका में माता सीता की देखरेख की थी. वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन त्रिजटा की पूजा का विधान है. इस दिन महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए माता त्रिजटा को मूली और बैगन अर्पित करती हैं. माता सीता ने त्रिजटा को आशीर्वाद दिया था कि एक दिन उनकी देवी रूप में पूजा होगी. आज भी वाराणसी में उस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है.

रामायण में जिक्र है कि माता सीता को हरण करने के बाद रावण ने लंका के अशोक वाटिका में रखा था. वहां त्रिजटा ने माता सीता की रक्षा की थी. माता सीता को कोई राक्षसी परेशान करती तो त्रिजटा रक्षा करती थी. जब माता सीता को भूखा रखने का आदेश रावण देता था तो त्रिजटा ही माता सीता को खाना खिलाती. माता सीता त्रिजटा पर विश्वास करती थी और अपने मन की सभी बातें त्रिजटा को बताती थी. हनुमान जब लंका गए तो त्रिजटा ही पवनपुत्र को माता सीता के पास लेकर गई थी. जब हनुमान ने लंका का दहन किया था तो इसकी जानकारी त्रिजटा ने ही अशोक वाटिका में माता सीता को दी थी.

श्रीराम ने रावण का वध किया था तो त्रिजटा ने माता सीता के लिए अशोक वाटिका में अंतिम दिन भोजन तैयार करना शुरू किया था. त्रिजटा कच्ची मूली और बैगन लेकर खाना बनाने बैठी थी. जब उन्हें माता सीता के जाने की खबर मिली. वो कच्ची मूली और बैगन लेकर ही सीता के पास पहुंची और बहुत रोई. त्रिजटा खुद भी माता सीता के साथ जाना चाहती थीं. इसके बाद सीता ने त्रिजटा को आशीर्वाद दिया था कि एक दिन वो देवी की तरह पूजी जाएंगी. आज भी काशी में त्रिजटा देवी के रूप में पूजी जाती हैं.

(रिपोर्ट:- विपिन सिंह, वाराणसी)

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