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Mathura: बांके बिहारी को मिलेगी गर्मी से राहत, इस तारीख से सजेंगे फूल बंगले, जानें क्या है मान्यता

Mathura: वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में गर्मी के दौरान फूल बंगले बनाए जाते हैं. हर साल कामदा एकादशी पर इन फूल बंगला की शुरुआत होती है. और सावन के महीने में हरियाली अमावस्या तक फूल बंगला का क्रम बिना रुके चलता है.

Mathura: गर्मी का प्रकोप लगातार अपने चरम पर पहुंच रहा है. लोगों के साथ-साथ उनके आराध्य श्री बांके बिहारी को भी गर्मी का एहसास होने लगा है. इसी वजह से उन्हें गर्मी ना लगे और ठंडक का एहसास रहे इसके लिए इस बार एक अप्रैल कामदा एकादशी से मंदिर में फूल बंगला की शुरुआत हो जाएगी. और करीब 108 दिनों तक रोजाना बांके बिहारी लाल फूलों के बंगले में विराजमान होकर भक्तों को अपने विराट दर्शन देंगे.

वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में गर्मी के दौरान फूल बंगले बनाए जाते हैं. हर साल कामदा एकादशी पर इन फूल बंगला की शुरुआत होती है. और सावन के महीने में हरियाली अमावस्या तक फूल बंगला का क्रम बिना रुके चलता है. इस दौरान मंदिर में सुबह और शाम को दो बार मंदिर में फूलों का श्रृंगार किया जाता है.

मिली जानकारी के अनुसार बांके बिहारी को गर्मी में ठंडक का एहसास दिलाने के लिए फूल बंगले तैयार किए जाते हैं. इस समय बांके बिहारी गर्भ ग्रह से निकल आते हैं. और जगमोहन के रूप में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं.

एक टन फूलों से तैयार हुआ बांके बिहारी का बंगला

करीब 3 साल पहले बांके बिहारी के लिए शाम के समय शयन भोग में फूल बंगला बनाया जाता था. लेकिन कोर्ट के आदेश पर अब सुबह के समय भी फूल बंगला बनना शुरू हो गया है. बांके बिहारी के फूल बंगले में एक समय में कम से कम 500 किलो फूलों का प्रयोग किया जाता है और सुबह-शाम मिलाकर करीब 1 टन फूलों से बांके बिहारी के बंगले तैयार होते हैं.

विदेशी फूल से बना बंगला

बांके बिहारी मंदिर में जो फूल बंगले बनाए जाते हैं. उनमें प्रमुख रूप से रायवेल, गुलाब, चंपा, रजनीगंधा और गेंदा के फूलों का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा फूल बंगले में और सुंदरता व रौनक लाने के लिए विदेशी फूल का भी प्रयोग किया जाता है. फूल बंगले के लिए देसी फूलों की आपूर्ति ब्रज क्षेत्र से होती है और विदेशी फूल बेंगलुरु और मुंबई से मंगाए जाते हैं.

बांके बिहारी मंदिर में बनाया गया फूल बंगला

बांके बिहारी मंदिर के सेवायत घनश्याम गोस्वामी के अनुसार मंदिर में फूल बंगला बनाने की परंपरा काफी पुरानी है. स्वामी हरिदास जी के समय से ही यहां पर फूल बंगले बनाए जाते हैं. बांके बिहारी के प्रक्त्यकर्ता स्वामी हरिदास अपने लाड़ले भगवान को गर्मी से राहत देने के लिए उनको फूलों के कुंज में विराजमान कर लाड़ लड़ाते थे, और इसी परंपरा का निर्वहन आज भी मंदिर में किया जाता है.

फूल बंगला बनवाने में लगते हैं पांच लाख का खर्च
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जिन भक्तों को मंदिर में फूल बंगला की सेवा देनी होती है. उन्हें काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है. बताया जाता है कि मंदिर में फूल बंगला बनाने के लिए भक्तों की काफी लंबी कतार लगी रहती है. भक्तों को फूल बंगला बनवाने के लिए करीब 2 साल तक इंतजार भी करना पड़ता है. बताया जाता है कि एक फूल बंगला बनवाने में करीब पांच लाख का खर्च आता है. जिसमें फूल बंगला, छप्पन भोग, भगवान की पोशाक, डेकोरेशन आदि शामिल है.

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