Loading election data...

Janmashtami 2023: कृष्ण के जन्म पर झूम उठा मथुरा-वृंदावन, बांके बिहारी में लड्डू गोपाल की हुई मंगला आरती

श्री कृष्ण जन्मभूमि में कान्हा के जन्म लेते ही करीब 500 किलो गुलाब के फूलों और इत्र की उनके ऊपर बारिश की गई. चल विग्रह को चांदी से बने कमल पुष्प के सिंहासन पर विराजमान कर उनका अभिषेक किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 8, 2023 7:20 AM

Mathura: अजन्मे के जन्म का इंतजार रात बारह बजते ही खत्म हो गया. कान्हा के जन्म लेते ही सभी मंदिरों में घंटो और मृदंग की धुन बजने लगी और पूरा शहर नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंजने लगा. श्री कृष्ण जन्मभूमि में कान्हा के जन्म लेते ही करीब 500 किलो गुलाब के फूलों और इत्र की उनके ऊपर बारिश की गई.

भगवान कृष्ण के चल विग्रह को चांदी से बने कमल पुष्प के सिंहासन पर विराजमान कर उनका अभिषेक किया गया. साथ ही 500 किलो गुलाब के फूल और इत्र की बारिश की गई. श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास महाराज, मैनेजिंग ट्रस्टी अनुराग डालमिया, सचिव कपिल शर्मा, सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने भगवा का 251 किलो पंचामृत से अभिषेक किया.

बांके बिहारी मंदिर में रात 1:55 बजे कपाट खोल दिए गए

अभिषेक के बाद श्री कृष्ण को नवरत्न कंठा, स्वर्ण निर्मित बांसुरी, कंगन के साथ ही जरी से बना गोटा मुकुट ब्रज रत्न पहनाया गया. पंजीरी, मेवा पाग का भोग लगाया गया. करीब 7 लाख से ज्यादा भक्त मथुरा में जन्माष्टमी मनाने पहुंचे. भीड़ का आलम यह था कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के आसपास करीब 5 किलोमीटर इलाके में पैर रखने की जगह नहीं है. बांके बिहारी मंदिर में रात 1:55 बजे मंगला आरती के साथ कपाट खोल दिए गए. बता दें बांके बिहारी में साल में सिर्फ एक बार ही मंगला आरती होती है.

दर्शन के लिए लगी 2 किलोमीटर लंबी लाइन

द्वारकाधीश मंदिर में शहनाई की धुन पर भक्त नाचते हुए कान्हा के भजन गा रहे हैं. विश्व के सबसे ऊंचे बनने वाले चंद्रोदय मंदिर में भी भगवान का अभिषेक हुआ. वहीं बांके बिहारी में लड्डू गोपाल के दर्शन के लिए 2 किलोमीटर लंबी लाइन लगी रही. मंदिर जाने वाली कुछ गली को सील कर दिया गया था. बांके बिहारी मंदिर में रात 12 बजे भगवान का दूध, दही, बूरा, शहद और घी से अभिषेक हुआ.

इसके बाद ठाकुर जी का विशेष शृंगार हुआ. यह अभिषेक एकांत में किया जाता है जिसकी वजह से मंदिर के सामने पर्दा कर दिया गया. बांकेबिहारी के कपाट नहीं खोले गए. मंदिर के महंत के अनुसार बांके बिहारी मंदिर में साल में सिर्फ एक बार ही लड्डू गोपाल स्वरूप की आरती होती है. और अन्य दिनों में बांके बिहारी के आरती की जाती है जिसे शयन आरती कहा जाता है.

लाइन में लगे भक्तों को ही मंदिर में प्रवेश मिला

पिछले वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के बाद भक्तों की भारी भीड़ होने की वजह से दो महिलाओं की मौत हो गई थी. लेकिन इस बार मंगला आरती से करीब 15 मिनट पहले ही बांके बिहारी मंदिर हॉल में क्षमता के अनुसार भक्तों को प्रवेश दिया गया. उसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार बंद कर दिए गए. और मंगला आरती होने तक बंद रहे. मंगला आरती होने के बाद मंदिर के मुख्य दरवाजों को खोला गया. जिसके बाद बाहर लाइन में लगे हुए भक्तों ने मंदिर में प्रवेश किया.

Next Article

Exit mobile version