Matsya Dwadashi 2022: मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य का अवतार लिया था. मत्स्यवतार श्रीहरि के विशेष अवतारों में से एक है. इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस साल मत्स्य द्वादशी 4 दिसम्बर 2022 यानि रविवार मनाई जाएगी.
इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा और आराधना की जाती है. आंध्र प्रदेश के तिरुपति में ‘नागलापुरम वेद नारायण स्वामी मंदिर’, भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित एकमात्र मंदिर है. मान्यता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी ने मत्स्य का अवतार लेकर दैत्य हयग्रीव का संहार कर वेदों की रक्षा की थी.
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सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धरण करें
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इसके बाद पूजा स्थल में चार भरे हुए कलश में पुष्प डालकर स्थापित करें
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इसके उपरांत चारों कलश को तिल की खली से ढक कर इनके सामने भगवान विष्णु की पीली धातु की प्रतिमा स्थापित करें
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यह चार कलश समुद्र का प्रतीक हैं। इसके बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं
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फिर केसर और गेंदे के फूल , तुलसी के पत्ते चढ़ाएं। भोग स्वरूप मिठाई चढ़ाकर इस
मंत्र का जाप करें-ॐ मत्स्य रूपाय नमः
मत्स्य द्वादशी के दिन जलाशय या नदियों में मछलियों को आटे की गोली खिलाना बहुत ही पुण्यकारी माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य के कुंडली के दोष दूर होते हैं.
धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार दैत्य हयग्रीव ने वेदों को चुरा लिया, जिसकी वजह से ज्ञान लुप्त हो गया. अधर्म बढ़ने लगा. सभी देव दैत्य हयग्रीव के इस कृत्य से काफी परेशान थे. तब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार लिया. भगवान ने दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की और सभी वेदों को वापस भगवान ब्रह्मा जी को सौंप दिया.