22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बंगाल की 88 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत तय करते हैं मतुआ और मुस्लिम वोटर

West Bengal News, Matua Community, Muslim, पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 (Bengal Chunav 2021) में पांचवें चरण के बाद छठा चरण भी काफी अहम माना जा रहा है. दोनों चरणों में कुल 88 सीटों पर होने वाले चुनाव में मतुआ और मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं. इस चरण में जिन जिलों में चुनाव होना है, उसमें से खासकर सीमावर्ती उत्तर 24 परगना (North 24 Parganas) व नदिया (Nadia) में मतुआ समुदाय व मुस्लिमों का खासा प्रभाव है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 में पांचवें चरण के बाद छठा चरण भी काफी अहम माना जा रहा है. दोनों चरणों में कुल 88 सीटों पर होने वाले चुनाव में मतुआ और मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं. इस चरण में जिन जिलों में चुनाव होना है, उसमें से खासकर सीमावर्ती उत्तर 24 परगना व नदिया में मतुआ समुदाय व मुस्लिमों का खासा प्रभाव है.

अनुसूचित जाति (एससी) में आने वाले मतुआ समुदाय का तो यह गढ़ ही माना जाता है. बांग्लादेश से आये मतुआ शरणार्थियों को लुभाने के लिए इस बार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ने भरपूर कोशिश की है. मतुआ का राज्य के 70 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर प्रभाव है.

इसमें अकेले उत्तर 24 परगना में ही 33 सीटें हैं, जबकि नदिया में 17 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से उत्तर 24 परगना की 16 और नदिया की 9 सीटों पर मतदान हो चुका है. अब उत्तर 24 परगना की 17 और नदिया जिला की 9 विधानसभा सीटों पर 22 अप्रैल को वोटिंग होनी है.

Also Read: बंगाल चुनाव 2021 : कल थम जायेगा छठे चरण के चुनाव प्रचार का शोर, मतदान 22 अप्रैल को

बांग्लादेश की सीमा से सटे इन दोनों जिलों में मुस्लिमों की भी अच्छी-खासी आबादी है. इनमें करीब एक दर्जन सीट पर मुस्लिमों की औसत आबादी 35 फीसद के करीब है, जो सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (तृणमूल) के कोर वोटर माने जाते हैं. दोनों जिला को तृणमूल का गढ़ माना जाता है.

वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में उत्तर 24 परगना की 33 में से 27 जबकि नदिया की 17 में से 13 सीटें ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की झोली में गयी थी. हालांकि, तब भाजपा लड़ाई में नहीं थी. इस बार तृणमूल को भाजपा से यहां कड़ी टक्कर मिल रही है.

लोकसभा चुनाव में तृणमूल को लगा था झटका

वर्ष 2016 में शानदार प्रदर्शन करने वाली ममता बनर्जी की पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तगड़ा झटका लगा था. आम चुनाव में ही भाजपा ने तृणमूल के इस गढ़ में सेंधमारी कर ली थी. उत्तर 24 परगना में कुल पांच लोकसभा सीटें आती हैं. इसमें से बैरकुपर और बनगांव सीट भाजपा ने जीत ली थी.

Also Read: कोरोना की रोकथाम में विफल प्रधानमंत्री मोदी इस्तीफा दो, बोलीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

बनगांव से मतुआ समुदाय के शांतनु ठाकुर ने जीत दर्ज की थी. नदिया की दो में से एक राणाघाट सीट पर भी भाजपा ने जीत दर्ज की थी. इससे उत्साहित भाजपा अब विधानसभा चुनाव में तृणमूल का गढ़ ध्वस्त करने में जुटी है. दूसरी तरफ तृणमूल पर अपना गढ़ बचाने की चुनौती है. अब मतुआ व मुस्लिमों का आशीर्वाद इस बार किसे मिलता है इस पर सभी की नजरें रहेंगी.

मतुआ को लुभाने की होड़

बंगाल के कुल मतदाताओं में से 23.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति से हैं. इसमें शामिल मतुआ को लुभाने में कोई भी दल पीछे नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान मतुआ संप्रदाय के आध्यात्मिक गुरु हरिचांद ठाकुर के बांग्लादेश के उड़ाकांदी स्थित जन्मस्थान का दौरा किया था.

मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो वहां गये थे. चुनाव के समय उनके वहां जाने पर ममता बनर्जी ने सवाल भी उठाये थे. वहीं, भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सीएए लागू कर मतुआ शरणार्थियों को नागरिकता देने सहित कई वादे किये हैं.

दूसरी ओर, वर्ष 2019 में भाजपा को मिली सफलता के बाद तृणमूल ने भी अपनी नीति बदली और सभी शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित कर उन्हें भूमि अधिकार दिये. साथ ही सीएए पर संशय की स्थिति को भी अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है.

Also Read: WB Chunav 2021: बंगाल में ममता मजबूत प्रतिद्वंद्वी, इसलिए भाजपा को करनी पड़ रही मशक्कत

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें