UP News: पूर्व नौसेना अफसरों की कतर में सजा पर रोक लगाने को पीएम मोदी लें एक्शन, बरेली के मौलाना ने की अपील
मौलाना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील कि भारत में दो धार्मिक व्यक्ति ऐसे हैं, जिनकी अरब दुनिया और बिल खुसूस कतर सरकार से अच्छे संबंध हैं. इनकी सेवाएं लेकर ये बहुत बड़ा मसला हल हो सकता है. उलमा की अरब दुनिया में बहुत इज्जत और सम्मान है. भारत सरकार को इन उलमा से बात करनी चाहिए.
Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में बरेलवी उलमा ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर की अदालत में गुरुवार को मौत की सजा सुनाए जाने पर अफसोस जताया है. इन अफसरों को गुरुवार को कतर की अदालत ने सजा सुनाई थी. उलमा ने पीएम नरेंद्र मोदी से एक्शन लेने की मांग की है. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि कतर की अदालत से आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों की मौत की सजा के फैसले को गलत बताया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इन भारतीय नौ सैनिकों के बारे में जल्द से जल्द कोई बड़ा फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा विदेश मंत्रालय, अगर पहले से सक्रिय होता, तो ये नौबत नहीं आती. मौलाना ने भारत सरकार से मांग कि इन लोगों को स्वदेश वापस लाने के लिए उच्च स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिए. मौलाना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील कि भारत में दो धार्मिक व्यक्ति ऐसे हैं, जिनकी अरब दुनिया और बिल खुसूस कतर सरकार से अच्छे संबंध हैं. इनकी सेवाएं लेकर ये बहुत बड़ा मसला हल हो सकता है. उलमा की अरब दुनिया में बहुत इज्जत और सम्मान है. भारत सरकार को इन उलमा से बात करनी चाहिए. इन दोनों उलमा की मध्यस्था से बड़ा मसला हल हो सकता है. इससे कतर सरकार भारतीय अफसरों को माफ कर सकती हैं. इन दोनों व्यक्तियों का भारतीय मुसलमानों पर भी अच्छा प्रभाव है. मौलाना ने सभी आठ भारतीय नौसैनिक अधिकारियों के परिवार के साथ हर भारतीय के कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े होने की बात कही. बरेलवी उलमा ने भारतीय नौ सैनिकों के लिए दुआएं की.
जानें कब हुई सजा और क्या है मामला
कतर की एक अदालत ने गुरुवार (26 अक्टूबर) को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई थी. पूर्व नौसेना कर्मी एक साल से ज्यादा समय से हिरासत में हैं. कतर की खुफिया सेवा ने पिछले साल अगस्त में आठों लोगों को हिरासत में लिया था. उस समय वे एक प्राइवेट फर्म के लिए काम कर रहे थे. इन लोगों को कांसुलर प्रदान किए जाने के बाद कतर में भारतीय राजदूत ने 1 अक्टूबर को उनसे मुलाकात भी की. मगर, इसके बाद कतर में आठ भारतीयों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है.
जिन आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को कतर के कोर्ट ने सजा सुनाई है, उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश शामिल हैं. ये सभी एक डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर ऑर्गनाइजेशन दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे. इस निजी फर्म का स्वामित्व रॉयल ओमानी एयर फोर्स के एक रिटायर्ड सदस्य के पास है.इस निजी फर्म के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया था. लेकिन, उसे पिछले साल नवंबर में रिहा कर दिया गया. यह प्राइवेट फर्म कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण, और संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराती थी.
जासूसी करने का लगाया आरोप
कतर सरकार ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया है. इसलिए माना जा रहा है कि यह सुरक्षा से संबंधित मामला था. अदालत की सुनवाई में आरोपों का जिक्र किया गया, लेकिन कतर और भारत सरकार ने उन्हें सार्वजनिक नहीं किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व भारतीय नैसैनिकों पर गुप्त क्षमताओं वाली कतर की एडवांस्ड पनडुब्बियों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया. एक मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो इन आठ लोगों में से कुछ अत्यधिक सेंसटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे. इसमें इटैलियन टेक्नोलॉजी आधारित गुप्त विशेषताओं वाली छोटी पनडुब्बियां शामिल थीं. हिरासत में लिए जाने के बाद से आठों लोगों को महीनों तक एकांत कारावास में रखा गया था. भारत सरकार लंबे समय से कहती आ रही है कि वह इन लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कानूनी रास्ते तलाश रही है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली