हिंदू धर्म में, हर तिथि का महत्व है, लेकिन हिन्दु शास्त्र में एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों का विशेष महत्व है. इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता हैं. इनमें से ही एक तिथि है मौनी अमावस्या का. इसको सबसे अधिक महत्व दिया जाता है, जो माघ मास में मनाई जाती है. माना जाता है कि इसी दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस दिन मौन रहकर ईश्वर की साधना करने से उनका साक्षात्कार होता है. वर्ष 2024 में मौनी अमावस्या 9 फरवरी को मनाई जाएगी.
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मौनी अमावस्या के दिन गंगा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. यदि गंगा नदी उपलब्ध नहीं हो, तो किसी भी अन्य पवित्र नदी या तलाब में स्नान करने का इस दिन विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन सुबह जागने के बाद नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. माघ मास में कड़ाके की ठंड होती है, इसलिए इस दिन साधु-संतों, महात्माओं और ब्राह्मणों के लिए अग्नि प्रज्वलित करनी चाहिए . उन्हें कंबल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए.
इस दिन ब्राह्मणों को काला तिल देना चाहिए. गुड़ में काला तिल मिलाकर लड्डू बनाकर ब्राह्मणों को देना काफी अच्छा माना जाता है. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए. मौनी अमावस्या पर स्नान, दान आदि पुण्यकर्मों के अतिरिक्त पितृ श्राद्ध आदि करने का भी विधान है. इस दिन पितरों को अर्घ्य और उनके नाम से दान करने से पितृ तर्पण का फल प्राप्त होता है.
ऐसी मान्यता है कि यदि मौनी अमावस्या रविवार, व्यतिपात योग और श्रवण नक्षत्र में हो, तो इस योग में सभी स्थानों का जल गंगातुल्य हो जाता है और सभी ब्राह्मण ब्रह्मसंनिभ शुद्धात्मा हो जाते हैं. अतः इस योग में किए हुए स्नान, दान आदि का फल भी मेरु पर्वत के समान हो जाता है. संक्षेप में, मौनी अमावस्या एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जिसे श्रद्धापूर्वक मनाना चाहिए. इस दिन स्नान, दान, पितृ तर्पण आदि पुण्यकर्म करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है.
माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. इस दिन मौन रहकर ईश्वर की साधना करने से उनका साक्षात्कार होता है. इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. यदि मौनी अमावस्या रविवार, व्यतिपात योग और श्रवण नक्षत्र में हो, तो इस योग में किए हुए स्नान, दान आदि का फल मेरु पर्वत के समान होता है.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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