मौनी अमावस्या के दिन को लेकिर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कम से कम सवा घंटे मौन जरूर रहना चाहिए. मौन रहकर व्रत का संकल्प ले सकते हैं. भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर में पीले फूल, केसर, चंदन, घी का दीपक और प्रसाद के साथ पूजन करें. इसके बाद विष्णु चालीसा का पाठ करें. इसके बाद विधि-विधान से आरती करें. इसके बाद विष्णु भगवान को पीले रंग की मीठी चीज से भोग लगाएं.
सुबह या शाम को स्नान के पहले संकल्प लें. सबसे पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें. इसके बाद ही स्नान करें. इसके बाद साफ वस्त्र पहनें और जल में काले तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. फिर अपने सामर्थ्थ के अनुसार दान-पुण्य करें.
शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने से विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार पापों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता गंगा में वास करते हैं, जो पापों से मुक्ति देते हैं.
इस बार माघ अमावस्या तिथि की शुरुआत सोमवार, 31 जनवरी को देर रात 02 बजकर 18 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन यानि मंगलवार 01 फरवरी को सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के तहत अमावस्या 1 फरवरी को होगी. अत: स्नान और दान आदि के कर्म भी 1 फरवरी की सुबह ही किए जाएंगे.
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मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
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इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए. गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं.
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मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का अर्थ यह है कि हम स्वयं के अंतर्मन में झांके, ध्यान करें और प्रभु की भक्ति करें.
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यदि आप आप पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख सकते हैं तो भी कम से कम सुबह के समय सवा घंटे का मौन जरूर रखें और स्नान व दान भी मौन रहकर ही करें.
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अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें.
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यदि आप अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं.
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हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए. इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.