मक्का और वेटिकन सिटी बंद, तो तबलिगी मरकज में क्यों हुई जमात, लॉकेट ने ममता पर भी लगाये गंभीर आरोप
mecca and vetican city closed then why jamat at nizamuddin tablighi markaz asks locket chatterjee कोलकाता : पश्चिम बंगाल की भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की अध्यक्ष और सांसद लॉकेट चटर्जी ने दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलिगी जमात की सभा में लोगों के शामिल होने पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा है कि ये वे लोग हैं, जो लॉकडाउन नहीं मानेंगे. सरकार को नहीं मानेंगे. प्रधानमंत्री को नहीं मानेंगे. खुद तो संक्रमित होंगे और हजारों लोगों को संक्रमित करेंगे. निजामुद्दीन से पूरे देश में संक्रमण फैलेगा. इस मामले में दोषी लोगों को सजा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मक्का बंद है. वेटिकन सिटी बंद है, लेकिन निजामुद्दीन में जमात होगी. इन्होंने भारत को क्या समझ रखा है. लॉकेट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कोरोना वायरस के मामलों को छुपाने का गंभीर आरोप भी लगाया.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की अध्यक्ष और सांसद लॉकेट चटर्जी ने दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलिगी जमात की सभा में लोगों के शामिल होने पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा है कि ये वे लोग हैं, जो लॉकडाउन नहीं मानेंगे. सरकार को नहीं मानेंगे. प्रधानमंत्री को नहीं मानेंगे. खुद तो संक्रमित होंगे और हजारों लोगों को संक्रमित करेंगे. निजामुद्दीन से पूरे देश में संक्रमण फैलेगा. इस मामले में दोषी लोगों को सजा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मक्का बंद है. वेटिकन सिटी बंद है, लेकिन निजामुद्दीन में जमात होगी. इन्होंने भारत को क्या समझ रखा है. लॉकेट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कोरोना वायरस के मामलों को छुपाने का गंभीर आरोप भी लगाया.
लॉकेट चटर्जी ने कहा कि इस राज्य से निजामुद्दीन गये लोगों को क्वारेंटराइन में रखना चाहिए. जो लोग इनकी वजह से संक्रमित हुए हैं, उनकी चिकित्सा की जिम्मेदारी व उसका पूरा खर्च उन्हें ही वहन करना चाहिए. इतना ही नहीं, ऐसे लोगों को सजा भी मिलनी चाहिए. सुश्री चटर्जी ने भवानीपुर में मास्क वितरित की और मास्क बनाने वाली मोर्चा की कार्यकर्ता से मुलाकात कर एक लाख मास्क तैयार करने के लिए कहा.
सुश्री चटर्जी ने आरोप लगाया कि बंगाल में अभी तक मात्र 56 लोगों का टेस्ट किया गया है. ममता बनर्जी की सरकार जांच किट का इस्तेमाल नहीं कर रही है. महाराष्ट्र व केरल जैसे राज्यों में मरीजों की जांच की जा रही है, लेकिन बंगाल में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? उन्होंने कहा कि मरीज अस्पताल में भरती हो रहे हैं. लेकिन, उनकी जांच रिपोर्ट उनके मरने के बाद आ रही है. बंगाल में ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं. मरीजों के मरने के बाद पता चला कि वे कोरो वायरस से संक्रमित थे.
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि समय रहते मरीजों की जांच हो ही नहीं रही है. इस मामले में लापरवाही बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा भेजे गये किट का इस्तेमाल करे और यदि जरूरत हुई, तो केंद्र सरकार और किट देगी. उन्होंने कहा कि डेंगू के मामले में देखा गया था कि यदि डेंगू होता था, तो डॉक्टरों से कहा गया था वे प्रिस्क्रिप्शन में डेंगू नहीं लिखें. इसी तरह से कोरोना मामले में भी कहा जा रहा है. गांव में कोरोना वायरस के मामले फैल रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि कोरोना नहीं लिखें.
लॉकेट चटर्जी ने कहा कि डॉक्टरों पर दबाव है, लेकिन सरकार कोरोना और डेंगू को एक नहीं समझे. इस मामले पर राजनीति नहीं करे. राजनीति को अलग रखकर जिस तरह से पूरे विश्व में इसे रोकने की कोशिश की जा रही है, उसी तरह से बंगाल में भी किया जाये. उन्होंने सवाल किया कि सात दिनों के बाद डीएम को क्यों निर्देश दिये गये? क्यों पहले क्वारेंटाइन सेंटर नहीं बनाये गये. सूचना छिपायी जा रही है. इसे राजनीतिक रंग न देकर बंगाल को कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त करना चाहिए.