हजारीबाग के बादम में मिला मध्यकालीन चतुष्कोणीय कुआं, राजा हेमंत सिंह के किले में मिला
हजारीबाग के बादम किले से करीब 150 मीटर की दूरी पर चतुष्कोणीय कुआं मिला है. यह कुआं कर्णपुर राज के किले में स्थित है. इस किले को राजा हेमंत सिंह ने बनाया था. इस किले में मिले चतुष्कोणीय कुएं की चर्चा चहुंओर है. अब सबकी निगाहें पुरातत्व विभाग की ओर है.
Jharkhand News: हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत बादम में मध्यकाल का चतुष्कोणीय कुआं मिला है. यह कुआं कर्णपुरा राज के किले के 150 मीटर की दूरी पर स्थित है. इस कुएं के मिलने के साथ ही तरह-तरह की चर्चा भी तेज है. कई इसे राजा के आने-जाने के लिए अंडर ग्राउंड रास्ता बता रहा है, तो कोई वास्तविक में कुआं बता रहा है. अब पुरातात्विक विभाग द्वारा खुदाई करने के बाद ही इस रहस्य से पर्दा उठेगा.
राजा हेमंत सिंह ने बनवाया था कुआं
बादम के बाबूपारा के 65 वर्षीय नंद किशोर दास एवं शेख अब्दुल्ला का कहना है कि यह कुआं दादा-परदादा के पूर्व काल के बताए जाते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि कर्णपुरा के राजा हेमंत सिंह ने बादम में किले एवं महल का निर्माण करवाया था. उसी समय से इस कुएं को देखा जा रहा है.
हेमंत सिंह के किले की जानिए कहानी
बताया जाता है कि कर्णपुरा राज के छठे राजा हेमंत सिंह थे. उन्होंने लगभग 57 वर्ष तक 1604 से 1661 तक गद्दी संभाली. उन्होंने बादम किला को काफी मजबूत बनाया. इसके लिए उन्होंने पटना से कई कारीगर को बुलवाया. किला बनाने के लिए बदमाही (हहारो नदी) के सबसे ऊंचा स्थान को चुना गया. इसका निर्माण कार्य 1642 ई में पूरा किया गया. किला काफी बड़ा था. इस किले का मुख्य द्वार जिसे सिंह दरवाजा कहा जाता है, आज भी जर्जर स्थिति में मौजूद है. ये दो तल्ले का है. ऊपरी तल्ला में जाने के लिए सीढ़ी बनायी गयी थी. दोनों तल्लों में दो-दो कमरे बने थे. गर्मी के दिनों में भी इसके कमरों में ठंड का एहसास होता है.
पटना से आये कारीगरों ने किया था किले का निर्माण
इस किले का निर्माण पटना से आए कारीगरों ने किया था. इसलिए इसके निर्माण में पटनिया ईंट, सूर्खी चूना, गुड़, उड़द आदि मिलाकर उसकी जुड़ाई की गई थी. दो तल्ले के मकान में ऊपर राजा-रानी का निवास हुआ करता था और नीचे सिपहसलार, घुड़साल, हाथी आदि रहते थे. जर्जर स्थिति में इस महल के भी कुछ अवशेष बचे हैं.
शिव मठ का करवाया था निर्माण
राजा हेमंत ने महल से कुछ दूरी पर एक शिव मठ का निर्माण कराया था जो आज जर्जर स्थिति में है. राजा महादेव की पूजा करने जाते थे. वहा पंचबहनी माता की मूर्ति जो अभी भी है. महल के बाहर राजा हेमंत ने एक कुआं खुदवाया था और सफेद गुलाब का पौधा लगाया था. लोग भाषा में इसे ‘सेवातिया’ कहते हैं. गुलाब के पौधे आज भी लगे हैं. इसकी विशेषता यह है कि फागुन और चैत में सफेद गुलाब का फूल खिलता है. इस गुलाब का कलम कहीं भी लगाने से गुलाब का फूल का पौधा नहीं लगता.
खुदाई के बाद ही मिलेगी सही जानकारी
पुरातात्विक विभाग, रांची के नीरज मिश्रा एवं अजहर साबिर बादम किले का अवलोकन किया. इनका कहना है कि जितने भी प्राचीन किले में कुएं मिले हैं सभी गोलाकार कुआं है, लेकिन यहां चकोर कुएं को देखने से ऐसा लगता है कि यह कुआं रहस्यमई है. हालांकि, उन्होंने इसकी खुदाई करने के बाद ही इसकी खासियत का पता चल सकता है.
रिपोर्ट : संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग.