कोलकाता, शिव कुमार राउत : पश्चिम बंगाल में वित्त वर्ष 2016-17 में नेशनल आयुष मिशन (नैम) और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से पश्चिम मेदिनीपुर में इंटीग्रेटेड आयुष हॉस्पिटल बना था. लेकिन अब तक अस्पताल पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है. इसका अस्तित्व खतरे में आ गया है. क्योंकि अस्पताल के पास कुल नौ एकड़ जमीन है. इसमें से चार एकड़ में अस्पताल है. शेष पांच एकड़ जमीन खाली पड़ी है. यहां मरीज के परिजनों के लिए रात्रि निवास, लैब, स्टॉफ क्वार्टर, आयुष हर्बल गार्डेन आदि बनाये जायेंगे. लेकिन अस्पताल की यह जमीन पश्चिम मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग ने मांगी है.
अस्पताल की रोगी कल्याण समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया. उक्त जमीन पर पश्चिम मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए हॉस्टल बनाया जायेगा. हालांकि, स्वास्थ्य की ओर से अब तक इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया जिले को नहीं मिली है. ज्ञात हो कि, उक्त अस्पताल पर हुए निर्माण खर्च का 60 फीसदी नेशनल आयुष मिशन (नैम) और 40 फीसदी राज्य सरकार ने वहन किया था. अस्पताल बन कर तैयार है. कोरोना काल में 2020 से 2022 तक इसे कोविड अस्पताल के रूप में इस्तेमाल किया गया था. 2022 मार्च के बाद आयुष विभाग को अस्पताल सौंप दिया गया. पर अब तक यहां इंडोर विभाग चालू नहीं हुआ है.
इंडोर विभाग चालू करने के लिए 27 स्थायी और 45 अस्थायी स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है. अब तक इनकी नियुक्ति नहीं हुई है. वहीं, अस्पताल का कामकाज जारी रखने के लिए नैम द्वारा हर साल इस अस्पताल के लिए राज्य को डेढ़ करोड़ रुपये मिल रहे है. 2022 से 2023 दिसंबर तक अस्पताल के आउटडोर में 30 हजार मरीजों की चिकित्सा की गयी है. इनमें सबसे अधिक आयुर्वेद से 26 हजार मरीजों की चिकित्सा की गयी है. ऐसे में आयुष चिकित्सकों का सवाल है कि, केंद्र सरकार की मदद से अस्पताल का निर्माण हुआ है. अस्पताल संचालन के लिए केंद्रीय खर्च भी दे रही है. इसके बाद भी अस्पताल की जमीन को कैसे किसी मेडिकल कॉलेज को दिये जाने का निर्णय लिया जा सकता है. इस संबंध में जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी सौमेन डॉ सौम्या सारंगी ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.