Jharkhand: मेगा हेल्थ कैंप से पहले सरायकेला-खरसावां में गूंज रहा ‘अबुअ: बुगिन होड़मो’, जानें क्यों
Mega Health Camp in Seraikela-Kharsawan: स्वास्थ्य शिविर ‘अबुअ: बुगिन होड़मो’ यानी ‘हमारा बेहतर स्वास्थ्य’ विषयक विस्तृत कार्यक्रम का हिस्सा है. इसका लक्ष्य देश भर के अनुसूचित जनजाति के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य जांच सेवा, मुफ्त चिकित्सा उपकरण देकर उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है.
Mega Health Camp in Seraikela-Kharsawan: झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला में इन दिनों चारों ओर ‘अबुआ बुगिन होड़मो’ गूंज रहा है. केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आदिवासी समुदाय के लिए मेगा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया है. इसका लक्ष्य आदिवासियों की सेहत का आकलन करना है. चिकित्सा के उनके पारंपरिक तरीकों को भी इस शिविर में शामिल किया गया है.
पीएम मोदी ने किया है बेहतर भविष्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य का आह्वानजनजातीय कार्य मंत्रालय का कहना है कि आदिवासियों को बेहतरीन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का समान अधिकार देने के उद्देश्य से ही इस ‘अबुअ: बुगिन होड़मो’ (हमारा बेहतर स्वास्थ्य) का आयोजन किया जा रहा है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने ‘बेहतर भविष्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य’ का आह्वान किया है.
मेगा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन सरायकेला-खरसवां में स्थित काशी शाहू कॉलेज (केएससी) में किया गया है. यह स्वास्थ्य शिविर ‘अबुअ: बुगिन होड़मो’ यानी ‘हमारा बेहतर स्वास्थ्य’ विषयक विस्तृत कार्यक्रम का हिस्सा है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश भर के अनुसूचित जनजाति के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य जांच सेवा प्रदान करके और मुफ्त चिकित्सा उपकरण वितरित करके उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है.
मेगा स्वास्थ्य शिविर से 40-50 हजार लोग होंगे लाभान्वितमंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इस एकदिवसीय स्वास्थ्य शिविर में आदिवासी समाज के 40 से 50 हजार लोगों की जांच होगी. उनके बीच किट का वितरण किया जायेगा और जरूरत पड़ने पर उन्हें दवाएं भी दी जायेंगी. उल्लेखनीय है कि 26 जून 2022 को झारखंड के खूंटी में पहली बार ऐसा शिविर लगाया गया था. सरायकेला-खरसावां में भी ऐसा ही शिविर लगाया जा रहा है.
आदिवासियों को इन तीन रोगों से मुक्त कराना है शिविर का उद्देश्यइस स्वास्थ्य शिविर का केंद्रीय उद्देश्य उन तीन प्रकार की बीमारियों के बोझ से मुक्ति दिलाना है, जो आदिवासी समाज के लोगों के स्वास्थ्य को पंगु कर देती हैं. इनमें पहली श्रेणी है टीबी, कुष्ठ, एचआईवी, हेपेटाइटिस आदि जैसे संचारी रोग. दूसरी श्रेणी में स्तन और गर्भाशय कैंसर, सिकल सेल विकार, हृदय रोग, चर्म रोग, स्नायु रोग, दंत चिकित्सा. तीसरी श्रेणी में मातृ-बाल स्वास्थ्य पोषण (एमसीएचएन+ए) सहित कुपोषण तथा किशोर स्वास्थ्य शामिल हैं. इन रोगों की जांच और उनके निदान व रोकथाम के उपाय स्वास्थ्य शिविर में किये जायेंगे.
मेगा स्वास्थ्य शिविर में ये सुविधाएं भी मिलेंगीदवाओं, कृत्रिम अंगों और सहायक यंत्रों व उपकरणों का नि:शुल्क वितरण किया जायेगा.
नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जायेगा, जिसमें आंखों की जांच की जायेगी और चश्मा का नि:शुल्क वितरण किया जायेगा.
बुजुर्गों की सेवा-सुश्रुषा की जायेगी.
खून की जांच की जायेगी.
आयुष्मान भारत गोल्डेन कार्ड को सुगम बनाने की व्यवस्था की जायेगी.
स्वास्थ्य शिविरों में आने वाले जनजातीय समुदाय के लोगों से आग्रह किया गया है कि गोल्डेन कार्ड बनवाने के लिए वे अपने आधार कार्ड और राशन कार्ड जरूर लेकर आयें. आयुष्मान भारत गोल्डेन कार्ड से उन्हें किसी भी सरकारी या मान्यताप्राप्त निजी अस्पताल में हर वर्ष पांच लाख रुपये तक का कैशलेश उपचार मिलने लगेगा.
इनके सहयोग से लग रहे हैं मेगा स्वास्थ्य शिविरजनजातीय कार्य मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष मंत्रालय, टाटा स्टील फाउंडेशन और जिला प्रशासन के सहयोग से मेगा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसके जरिये अपोलो, फोर्टिस, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज एवं एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ डॉक्टर सुदूर जनजातीय इलाकों में जायेंगे तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों की जांच व निदान करेंगे. इस शिविर को सफल बनाने के लिए ट्राइफेड, एनएसटीएफडीसी और ईएमआरएस का भी सहयोग लिया जा रहा है.