मथुरा. जवाहर बाग को कब्जा से मुक्त कराने के लिए 2 जून 2016 को अपनी जान गंवाने वाले शहीद पुलिस कर्मियों के लिए वादे तो बड़े- बड़े किए गए थे लेकिन स्मारक घटना के 7 साल बाद भी नहीं बना है. तत्कालीन एसपी सिटी और एसओ सहित 29 लोगों की जान चली गई थी. जवाहर बाग के खूनी संघर्ष में शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी इस बार भी शहीदों को नमन करने पहुंची. श्रद्धासुमन अर्पित करते समय आंखों से झलके आंसू में सरकार की उदासीनता से उपजी निराशा टपक रही थी.
मथुरा में कलेक्ट्रेट के बराबर में उद्यान विभाग की भूमि जवाहर बाग पर 15 मार्च 2014 को कुछ लोग स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के नाम से दो दिन सत्याग्रह के नाम पर आए थे. भारत के लोगों की नागरिकता, संविधान बदलने और ₹1 में 60 लीटर डीजल पेट्रोल देने की मांग को लेकर इन लोगों ने सत्याग्रह शुरू किया और फिर 2 साल तक कब्जा जमा कर बैठ गए. जब इन लोगों के कब्जे से जवाहर बाग को खाली करने पुलिस पहुंचती थी तो यह सभी सत्याग्रह रामवृक्ष यादव के संरक्षण में पुलिस के साथ बदतमीजी और फायरिंग करते थे. 2 जून 2016 को मथुरा के तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, एसओ संतोष यादव पुलिस बल के साथ जिला कारागार होते हुए मौके की स्थिति का जायजा लेने गए थे. उसी समय कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस पर हमला कर दिया. फायरिंग में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव को गोली लग गई . मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद पुलिस और सत्याग्रहियों के बीच कई घंटे तक खूनी संघर्ष चला जिसमें 27 अन्य लोगों की मौत हो गई थी.
जवाहर बाग की घटना में शहीद तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी दो जून को जवाहर बाग में आती हैं . उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हैं. शनिवार को भी वह हर वर्ष की तरह जवाहर बाग पहुंची और अपने पति को श्रद्धांजलि दी.अर्चना द्विवेदी ने कहा की जवाहर बाग कांड को 7 साल हो चुके हैं. यह विवाद राजनीतिक दलों के लिए बड़ा मुद्दा बन गया था. सभी राजनीतिज्ञों ने वादे किए थे कि शहीद पुलिस अधिकारियों की प्रतिमा जवाहर बाग में लगाई जाएगी. लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी अभी तक जवाहर बाग में किसी भी पुलिस अधिकारी की प्रतिमा नहीं लगी है और ना ही कोई स्मारक बना है.