karwa Chauth Puja Vidhi, Thali: करवा चौथ पूजा की विधि, थाली में न छूटे ये सामान, जानें कब निकलेगा चांद
karwa Chauth Puja Vidhi, Thali: करवा चौथ पर पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद अब बारी है पूजन विधि की. इस कड़ी में आज हम आपको चंद्र पूजन के बारे में बताने जा रहे हैं. करवा चौथ व्रत में पूरा दिन व्रत रखने के बाद चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है.
karwa Chauth Puja Vidhi, Thali: करवा चौथ पर पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद अब बारी है पूजन विधि की. इस कड़ी में आज हम आपको चंद्र पूजन के बारे में बताने जा रहे हैं. करवा चौथ व्रत में पूरा दिन व्रत रखने के बाद चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती की, और भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है. पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ सबसे श्रेष्ठ उपवास बताया गया है.
करवा पूजन विधि
बताएं आपको कि करवा चौथ की पूजा छलनी से चांद को देखकर की जाती है. इस दिन चांद की पूजा के बाद उन्हें अर्घ्य देना होता है. चांद को अर्घ्य देते समय विशेष मंत्र का जाप करना अवश्य होता है. इसके बाद छलनी पर दीपक रखकर चांद को देखना चाहिए, फिर चांद को देखते हुए चंद्रदेव से अपने पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना चाहिए. अंत में इसी छलनी से अपने पति को देखें.
करवा चौथ की थाली में रखें ये जरूरी चीजें
करवा चौथ पूजा में थाली सबसे खास होता है और महिलाएं थाली की सजावट भी बड़े उत्साह के साथ करती हैं. पूजा की थाली की सजावट के दौरान जरूरी है ये चीजें- सुहाग का सामना, कुमकुम, आटे का दीपक, छलनी, मिठाई, तांबे का लोटा या गिलास और मिट्टि का करवा थाली में जरूर रखें.
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चांद निकलने का समय
करवा चौथ के दिन देश के अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर चांद निकलता है. कुछ जगहों पर चांद जल्दी और कुछ जगहों पर देर से चंद्र दर्शन होते हैं. करवा चौथ के दिन हर सुहागिन महिला को चांद का इंतजार रहता है.इस साल चंद्रोदय का समय (दिल्ली) 08 बजकर 09 मिनट है.
क्या है करवा चौथ की कथा
एक पैराणिक कथा के अनुसार पतिव्रता वीरवती के सात भाई थे. जब वीरवती का विवाह हुआ तो उसने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा. चूंकि उसने व्रत निर्जला रखा था, इसलिए उसकी तबियत बिगड़ने लगी. ये देख भाइयों से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी. उनमें से एक भाई को यह बिल्कुल सहन नहीं हुआ और उसने एक छलनी में दीपक रखकर पेड़ पर चढ़ गया. जब वीरवती ने छननी में जलते हुए दीपक को देखा तो उसने उसे चांद समझ कर अपना व्रत खोल लिया. वहीं उसकी एक छोटी सी भूल से उसके पति का निधन हो गया. वीरवती को जब इस बारे में पता चला तो वो बहुत दुखी हुई और पति के मृत शरीर को अपने पास रखकर रोने लगी.
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करवा पूजा का चमत्कार
पौराणिक कथा के अनुसार, वीरवती ने साल भर बाद जब करवा चौथ का व्रत सुहागिन की तरह सजधर व्रत रखा और पूरे विधि विधान से करवा पूजा किया. ये देखकर करवा देवी प्रसन्न हो गईं और वीरवति के मृत पति को फिर से जीवित कर दिया. तभी से करवा चौथ के दिन पति को छननी से देखने की परंपरा की जा रही है.