Jharkhand News (इंद्रजीत पासवान, सिजुआ, धनबाद) : कुछ करने का जज्बा और अमल करने का हौसला हो, तो इस जुनून से पत्थर का सीना तोड़ कर भी फूल खिलाया जा सकता है. यह संभव किया है टाटा सिजुआ शिव मंदिर बस्ती के रहने वाले ठेका मजदूर उमा महतो ने. उमा ने मेहनत से बेमौसम सब्जियां उगाकर सिजुआ क्षेत्र में हरियाली ला दी है.
बता दें कि खनन क्षेत्र में जहां जमीन पर पानी तक नहीं टिकता, वहां की प्रतिकूल स्थिति में उमा महतो ने अपनी जी-तोड़ मेहनत से दो एकड़ जमीन पर खेती कर मिसाल पेश की है. इससे खेती से विमुख अन्य कार्यों में लगे युवा ग्रामीणों के लिए उमा आज प्रेरणा के स्त्रोत बन गये हैं.
टाटा सिजुआ शिव मंदिर बस्ती के उमा ने अपनी लगन और हौसला से सिजुआ की अलग-अलग जगहों पर दो एकड़ जमीन को उपजाऊ बना दिया. इस जमीन पर उमा ने बेमौसम सब्जियां उगा कर लोगों को दिखा दिया. उसकी खेती वैसे लोगों को आकर्षित कर रही है, जो यह समझते हैं कि खनन वाले क्षेत्र में खेती संभव नहीं है.
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उमा महतो टाटा सिजुआ ग्रुप में ठेका मजदूर हैं. संसाधन के अभाव और खेती लायक जमीन नहीं होने से खुद की जमीन पर खेती नहीं कर पाता था. ठेका मजदूरी से घर चलाना मुश्किल होने के बाद उन्होंने खेती करने का संकल्प लिया. उसके सामने सबसे बड़ी समस्या पानी की जरूरत और सिंचाई का साधन था. उन्होंने कुछ लोगों के पास अपनी इच्छा व्यक्त की. विभाग से गुहार के बाद इन्हें सिंचाई के लिए ड्रिफ्ट सिस्टम उपलब्ध हुआ. फिर क्या था वह खेती में कूद पड़ा.
उमा के जज्बे को देखते हुए टाटा स्टील की ग्रामीण विकास इकाई TSRDS ने बीज उपलब्ध कराया. संसाधन मिलने के साथ ही उमा ने दो एकड़ जमीन को खेती लायक बनाकर हरियाली फैला दी. इस आधुनिक विधि के संबंध में उमा ने बताया कि ऐसी खेती से कम पानी में ही ज्यादा पैदावार होती है. पानी की बचत के साथ-साथ समय और श्रम शक्ति ना के बराबर लगता है. पौधे नष्ट नहीं होते और जरूरत भर पानी ही पौधों को मिलता है.
ठेका मजदूर से किसान बने उमा महतो ने कहा कि फिलहाल वह भिंडी, करेला, मकई, तरबूज, टमाटर की खेती शुरू की है. ये सभी बेमाैसम फसल है. अभी इसका मूल्य काफी कम मिलेगा. लेकिन, जब फसल तैयार होने पर कीमत चार गुनी मिलेगी. यही वजह है कि इन्होंने खेती की पारंपरिक विधि को आधुनिक विधि से जोड़ा जाये. कम मेहनत के साथ पानी और खाद की खर्च की काफी बचत होती है. इससे मुनाफा अधिक होता है. उमा कहते हैं कि अगर खेती इमानदारी से की जाये, तो यह किसी नौकरी से कम नहीं है.
Posted By : Samir Ranjan.