EXCLUSIVE: धनबाद में पहाड़ व नदियों को बर्बाद कर रहे माफिया, जब मर्जी तब करते हैं ब्लास्टिंग

धनबाद जिले के कई प्रखंडों में पत्थर का अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, जिले में खनन विभाग की ओर से केवल 27 लोगों को पत्थर खनन का लीज दिया गया है, पर हकीकत में गोविंदपुर, बलियापुर, टुंडी, निरसा, कालूबथान थाना क्षेत्र के कई स्थानों पर पत्थर खनन का काम चल रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2023 5:09 AM
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धनबाद जिले के कई प्रखंडों में पत्थर का अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, जिले में खनन विभाग की ओर से केवल 27 लोगों को पत्थर खनन का लीज दिया गया है, पर हकीकत में गोविंदपुर, बलियापुर, टुंडी, निरसा, कालूबथान थाना क्षेत्र के कई स्थानों पर पत्थर खनन का काम चल रहा है. यहां से बंगाल तक ट्रक व हाइवा से पत्थर भेजा जाता है. अवैध खनन से कतरी और खुदिया जैसी नदियों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है. प्रकृति के इस दोहन में जवाबदेह से लेकर स्थानीय दबंग तक शामिल हैं, पढ़ें यह रिपोर्ट.

बलियापुर : चार स्थानों पर चल रहा खनन कार्य

बलियापुर थाना क्षेत्र में लीज की अवधि समाप्त होने के बावजूद अवैध धंधेबाज अपना कारोबार चला रहे हैं. दिन के समय मजदूर मशीनों से पत्थर काटते हैं, तो रात के अंधेर में ट्रैक्टर के जरिये पत्थरों को बलियापुर, गोविंदपुर, निरसा, टुंडी सहित अन्य जगहों पर संचालित क्रशरों में भेजा जाता है. जानकारों के अनुसार, बलियापुर के शालपतरा, दुधिया व बेड़ा नियामतपुर में अभी चार-पांच पत्थर खदानों का लीज समाप्त होने के बाद भी अवैध तरीके से उत्खनन जारी है. इनके अलावा बलियापुर के मोको, दोलाबड़ इलाकों में भी अवैध रूप से पत्थर का उत्खनन हो रहा है. यहां पर धंधेबाज स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग लेते हैं.

गोविंदपुर : अवैध खनन व ओबी से कतरी नदी का अस्तित्व संकट में

गोविंदपुर प्रखंड के दो स्थानों पर पत्थर उत्खनन का कार्य सालों भर चलता है. इस वजह से जहां मंडरो की गोल पहाड़ी और गोल होती जा रही है, वहीं जंगलपुर में खुदिया नदी का पत्थर खोद दिये जाने के कारण वह खतरनाक हो गयी है. हालांकि इन दोनों स्थानों पर पत्थर खनन के लिए खनन विभाग द्वारा एक दर्जन से अधिक लोगों को खनन का पट्टा दिया गया, पर स्थिति यह बताती है कि यहां लीज सीमा का उल्लंघन हो रहा है. जानकार बताते हैं कि ब्लास्टिंग की समय-सीमा तय है, पर यहां जब-तब ब्लास्टिंग होता रहता है. इतना ही नहीं नियमों का पालन नहीं करने से पहाड़ का मलबा सीधे दो सौ फीट नीचे कतरी नदी में गिर रहा है. इस वजह से कतरी नदी का अस्तित्व संकट में है. कई स्थानों पर नदी नाला में तब्दील हो गयी है.

कभी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए चर्चित गोल पहाड़ी अब अभिशाप बनी

54 एकड़ में फैली गोल पहाड़ी कभी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध थी, पर यहां दो दशक से भी अधिक समय से पत्थर खनन का काम हो रहा है. पहाड़ी के किनारे आधे दर्जन से अधिक क्रशर स्थापित हैं. दिन-रात पत्थर खनन एवं क्रशर चलने के कारण उड़ने वाले धूल-कण से दर्जनों गांव के लोग प्रभावित हैं. याद रहे 27 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा की निवेदन समिति ने औचक निरीक्षण किया था. इस क्रम में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी पायी गयी थी. 15 दिनों तक गोल पहाड़ी पर पत्थर खनन पूरी तरह बंद हो गया था, पर बाद में फिर शुरू हो गया. निवेदन समिति में सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो, झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, बरही विधायक उमाशंकर अकेला व सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा शामिल थे.

खुदिया नदी भी हुई बर्बाद

जंगलपुर व जीरामुड़ी गांव में खुदिया नदी को भी पत्थर के अवैध कारोबारियों ने नहीं छोड़ा है. सनद रहे कि पहाड़ी नदियों में पत्थर होता है, जिनकी वजह से बरसाती बाढ़ का वेग वो रोक पाते हैं, उन पत्थरों को भी खोद कर निकाल लिया गया है. हद तो यह कि कई जगह गहरी खाई भी बन गयी है, तो कई जगह नदी को ओबी से बंद कर दिया गया है. इस कारण कभी काफी सुंदर दिखनेवाली नदी आज कहीं संकीर्ण, तो कहीं गहरी खाई की वजह से खतरनाक स्थिति में पहुंच गयी है.

तोपचांची : आठ माह से धरना पर बैठे हैं ग्रामीण

तोपचांची प्रखंड के पावापुर पंचायत स्थित हरिहरपुर थाना क्षेत्र के अमलखोरी गांव में पत्थर खदान बंद करवाने के लिए ग्रामीण आठ माह से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं. धरना में पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि माइंस में की जा रही ब्लास्टिंग से उनके घरों में दरार पड़ रहा, साथ ही खेत, पेड़ व पौधों सहित पानी भी खराब हो रहा है. ज्ञात हो कि यहां दो कंपनियों को माइनिंग का लीज मिला है. आरोप है कि यहां लीज स्थल से हट कर अवैध उत्खनन किया जा रहा था, जिसे ग्रामीणों ने बंद करवा दिया.

कहते हैं ग्रामीण : हम परेशानी में, पर धमकी हमें ही

ग्रामीणों के अनुसार, यहां उत्खनन व ब्लास्टिंग के कारण सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. माइंस के पांच सौ मीटर के इलाके में गिरिडीह जिले का शहरपुरा, ठाकुरचक व नावाडीह, धनबाद जिले का सिंहडीह, अमलखोरी, मधुपुर, जरुआाडीह आदि गांव बसे हैं. माइंस के चंद कदमों की दूरी पर 33 हजार वोल्ट का हाइटेंशन तार है. सामने उत्तर दिशा में पारसनाथ पहाड़ है. महिलाओं का आरोप है कि वह आठ माह से धरना दे रही हैं, पर कोई नहीं सुनता. गांव की सड़क भी बरबाद हो गयी, पर उन्हीं लोगों को एक मंत्री के रिश्तेदार व एक प्रशासनिक अधिकारी की ओर से धमकी मिल रही है.

निरसा : डेढ़ दर्जन अवैध खदान

निरसा विधानसभा क्षेत्र व पूर्वी टुंडी ओपी क्षेत्र के गोरगा गांव में डेढ़ दर्जन से अधिक अवैध खदान संचालित हैं. यहां महीने में करीब 15 दिन प्रतिबंधित बारूद से हैवी ब्लास्टिंग कर पत्थर उत्खनन किया जाता है. पत्थर ट्रैक्टर, डंपर व ट्रक के माध्यम से समीप में संचालित क्रेशरों में उसे भेजा जाता है. इसके अलावा अवैध पत्थर ट्रकों के माध्यम से धनबाद व गोविंदपुर भी भेजा जाता है. ग्रामीणों के अनुसार हैवी ब्लास्टिंग के कारण उनके घर में दरार पड़ जाती है. गांव की चार हजार से ज्यादा की आबादी परेशान है. इस क्षेत्र में आधा दर्जन खदान का लीज है, बाकी अवैध हैं.

कालूबथान : वर्चस्व को लेकर हाल के दिनों में हुई हत्या

कुछ दिन पूर्व बलियापुर थाना क्षेत्र के अशोक गोप नामक पत्थर कारोबारी की हत्या कर दी गयी थी. दरअसल, कालूबथान क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक वैध व आधा दर्जन से अधिक अवैध खदान संचालित हैं. प्रतिदिन लाखों का अवैध कारोबार होता है. अशोक गोप की हत्या के बाद अवैध कारोबार पर कुछ दिनों से रोक लगी हुई है. हालांकि फिर भी जब तब संगठित गिरोह द्वारा इसे प्रारंभ करवा दिया जाता है. यहां से अवैध पत्थर को बलियापुर, सिंदरी, गोविंदपुर, धनबाद के अलावा पश्चिम बंगाल भी भेजी जाती है. यहां पत्थर खदान कुलबोना, बड़ा आंबोना, सालुकचापड़ा क्षेत्र में संचालित है.

निरसा-जामताड़ा रोड : महामाया मंदिर के पीछे व चापापुर पहाड़ी निशाने पर

निरसा थाना क्षेत्र के निरसा- जामताड़ा रोड स्थित महामाया मंदिर के पीछे पहाड़ी के पत्थरों की अवैध कटाई जारी है. यहां 40-50 महिला पुरुष प्रतिदिन लगे रहते हैं. इसके अलावा चापापुर 10 नंबर आउटसोर्सिंग के पहले बड़ा पहाड़ भी निशाने पर है. यहां सफेद पत्थर पाया जाता है. इसे पीस के हिसाब से घर बनाने के लिए बुनियाद के काम में बेचा जाता है.

टुंडी : बराकर नदी के अस्तित्व पर संकट

गिरिडीह-गोविंदपुर की लाइफ लाइन कही जाने वाली बराकर नदी के अस्तित्व पर दोहरी चोट पहुंच रही है. इस नदी पर न केवल रेत माफियाओं की कुदृष्टि है, वहीं पत्थर माफिया भी सक्रिय हो गये हैं. जहां-तहां बीच नदी से पत्थर तोड़ कर निकाला जा रहा है. इस नदी पर स्थित नये पुल के आसपास और नीचे भी पत्थरों की भी खुदाई की जा रही है. इससे पुल पर भी खतरा है. इसके अलावा कटनिया पंचायत के बिजली सब-स्टेशन छाताबाद के पीछे टुंगरीनुमा पहाड़ी पर भी पत्थर माफियाओं की नजर लगी हुई है. यहां से खुलेआम धंधा हो रहा है.

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