Jyotipriya Mallick : सशरीर नहीं, वर्चुअली पेशी के दौरान मंत्री ज्योतिप्रिय ने किया आवेदन, सर मुझे जीने दीजिए
मंत्री को 30 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में ही रखे जाने की निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि इडी ने पिछले महीने राशन वितरण घोटाले में 20 घंटों से भी ज्यादा समय तक पूछताछ के बाद मंत्री मल्लिक को गिरफ्तार कर लिया था.
कोलकाता,अमित शर्मा : पश्चिम बंगाल में राशन वितरण घोटाला में गिरफ्तार वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक (Jyotipriya Mallick) की न्यायिक हिरासत की अवधि गुरुवार को समाप्त हुई. इस दिन अस्वस्थता के कारण बैंकशाल अदालत में उनकी सशरीर पेशी नहीं करायी जा सकी. प्रेसिडेंसी संशोधनागार की रिपोर्ट में भी उनके ‘अनफिट’ होने का उल्लेख किया गया. हालांकि. वर्चुअली माध्यम के जरिये वह अदालत में हुई सुनवाई में शिरकत कर पाये. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मंत्री की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने का फैसला सुनाया. इस दिन अदालत में चली सुनवाई के दौरान मंत्री ने न्यायाधीश के समक्ष आवेदन करते हुए कहा कि “सर, मुझे जीने दीजिए.” इसके बाद न्यायाधीश ने उनसे पूछा कि उन्हें क्या समस्याएं हो रही हैं? इसपर, गिरफ्तार मंत्री ने अपने अस्वस्थ होने का हवाला देने के साथ कहा कि “मैं एक अधिवक्ता भी हूं. कलकत्ता हाइकोर्ट और बैंकशाल कोर्ट का भी सदस्य हूं. मेरे पैरों में समस्या हो रही है. 350 से ज्यादा शुगर है. हाथ-पैर काम नहीं कर रहे हैं. सर, मुझे जीने दीजिए.
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मंत्री की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने का दिया निर्देश
मुझे बचने दीजिए.” इसके बाद ही न्यायाधीश की ओर से मंत्री से कहा गया कि “अभी दिक्कत हो रही है, तो आप जेल की सेल में चले जाइये. आप जब खुद को अधिवक्ता बता रहे हैं, तब आपको जरूर जेल और अदालती कार्रवाई से अवगत होंगे. एक अधिवक्ता होने पर आपको समझ जाना उचित होगा.” इधर, मंत्री की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने अपने मुवक्किल की जमानत की याचिका नहीं कर उनकी शारीरिक अस्वस्थता का उल्लेख करते हुए अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल स्वस्थ नहीं हैं. किडनी में भी समस्या है. उन्होंने अदालत के समक्ष आवेदन किया कि जेल के अधीक्षक को मंत्री के लिए सटीक चिकित्सा व्यवस्था कराये जाने को कहा जाये. साथ ही जेल में मंत्री के लिए बिस्तर और टेवल की व्यवस्था भी करायी जाये.
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मंत्री को जमानत नहीं देने का अनुरोध
हालांकि, न्यायाधीश की ओर से कहा गया कि यह जेल प्रबंधन के दायरे में आता है. इधर, इडी के अधिवक्ता की ओर से अदालत के समक्ष आवेदन किया गया कि मंत्री को जमानत नहीं दी जाये. इसके साथ ही इडी ने जरूरत पड़ने पर मल्लिक से संशोधनागार में भी पूछताछ करने और बयान रिकॉर्ड के लिए डिजिटल डिवाइस वहां ले जाने का आवेदन किया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मंत्री मल्लिक की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ा दी. मंत्री को 30 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में ही रखे जाने की निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि इडी ने पिछले महीने राशन वितरण घोटाले में 20 घंटों से भी ज्यादा समय तक पूछताछ के बाद मंत्री मल्लिक को गिरफ्तार कर लिया था.
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