Varanasi : मिर्ज़ापुर के अदलहाट थाना क्षेत्र में एक गांव के लोगों ने सरकारी अधिकारियों से 14 मंजिला मकान गिराने की अपील की है. उनका कहना है कि यह मकान बिना उचित मंजूरी के बनाया गया था और जर्जर हालत में है.
गांव के सरपंच ने कहा कि यह घर करीब 15 साल पुराना है और बिना किसी खंभे या प्लास्टर के बनाया गया है. यह जर्जर हालत में है. इस वजह से आसपास के निवासी इस डर में जी रहे हैं कि भारी बारिश या तूफान के हालात में यह गिर सकता है. इसे जिला प्राधिकारी ने जब्त कर लिया है. हम सरकार से किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए इसे ध्वस्त करने की अपील करते हैं.
वहीं, चुनार के एसडीएम नवनीत सहरा का कहना है कि तलाक भरण-पोषण के एक मामले में मकान को जब्त कर लिया गया था. कोर्ट के आदेश पर इसकी नीलामी कराई गई थी, लेकिन नीलामी के दौरान किसी ने इसे नहीं खरीदा अगर जानमाल की हानि जैसी कोई स्थिति बनी तो कार्रवाई की जाएगी. मकान के कारण खतरा उत्पन्न हुआ तो हम धारा 133 का उपयोग करके इसे हटा देंगे.
#WATCH | Uttar Pradesh: Villagers of Mirzapur's Shrutihar appeal to authorities to demolish a 14-storey house; say the house was built without proper approval and is in a dilapidated condition. pic.twitter.com/2rYsRPRfCi
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 2, 2023
दरअसल, मिर्जापुर के श्रुतिहार गांव में पेशे से डॉक्टर सियाराम ने अबू धाबी के बुर्ज खलीफा नुमा 14 मंजिला बिल्डिंग बनवाया है. इसे बनवाने का मुख्य कारण था लोगों में अपनी पहचान बढ़ाना. साथ ही अपनी 4 पत्नियों को एक साथ रखने का सपना. लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण डॉक्टर सियाराम अभी सोनभद्र में रह रहे हैं. सियाराम की 4 पत्नी और 6 बच्चे हैं. सियाराम को अपने पेशे से जितनी पहचान नहीं मिल पाई, उससे ज्यादा पहचान इस घर से मिली है.
गांव के लोग बताते हैं, यहां के लोग डॉक्टर सियाराम से ही इलाज करवाने जाते थे. सर्दी-जुकाम से लेकर हर दर्द का इलाज करते थे. लोगों को उन पर बहुत भरोसा था. धीरे-धीरे सियाराम की अपने पेशे से बढ़िया कमाई होने लगी. मगर, इसके बाद धीरे-धीरे उनके शौक भी बढ़ने लगे.
बचपन से सियाराम को जानने वाले रामेश्वर बताते हैं, ”आज से 30-35 साल पहले सियाराम गांव के अकेले पढ़े-लिखे इंसान थे. दवा-इलाज के साथ लोग उनसे राय भी लिया करते थे. सियाराम हमेशा से राजा-रानी से जुड़ी कहानियां सुना करते थे. वह एक राजा की तरह ही जिंदगी जीने की बात करते थे. गांव में ही उनका तीन मंजिला घर था, जहां पर वह अकेले रहते थे. पहले उनके मां-पिता भी साथ में रहते थे. लेकिन दोनों की मौत के बाद वह पूरी तरह अकेले हो गए.
रामेश्वर ने आगे बताया कि माता-पिता की मौत के कुछ साल बाद उन्होंने शादी कर ली. शादी के बाद उन्होंने अपने घर पर काम लगवा दिया. पहले उनका घर तीन मंजिला था. बाद में उन्होंने उस पर 1 मंजिल और बनवा दिया. उसके बाद जब भी उनकी कमाई अच्छी होती थी, वह अपने घर पर और एक मंजिल और बनवा देते. घर बनवाने के लिए वह पैसा जोड़ा भी करते थे और उससे घर बनवाया करते थे. कुछ समय बाद उन्होंने दूसरी शादी कर ली. जिसके बाद उनकी पहली पत्नी उनको छोड़कर चली गई. पहली पत्नी से उनको एक बच्चा था. पहली पत्नी के जाने तक उनका घर 6 मंजिला बन चुका था.
उन्होंने आगे बताया कि दूसरी शादी के बाद सियाराम ने बिना किसी इंजीनियर से नक्शा पास कराए अपने घर पर 4 मंजिल और बनवा लिए. जिसका गांव के लोगों ने थोड़ा विरोध किया, लेकिन उनसे ज्यादा कोई कुछ बोल नहीं पाया. वह अपने घर के किसी भी हिस्से में निर्माण करवाने लगते थे. बिना किसी डिजाइन के वह घर बनवाने लगते थे. साथ ही उनका कई पत्नियां रखने का शौक क्षेत्र में उनकी छवि को खराब कर रहा था. दूसरी पत्नी से शादी के बाद भी वह नहीं रुके. उन्होंने तीसरी शादी भी कर ली.
उनकी दूसरी और तीसरी पत्नी कुछ समय तक तो साथ रहीं, लेकिन फिर वे दोनों भी उनको छोड़कर चली गईं. उनकी दूसरी पत्नी के 2 बच्चे और तीसरी पत्नी के 1 बेटी है. कुछ समय तक रुकने के बाद डॉक्टर साहब ने फिर से घर पर काम लगवाया और 2 मंजिल और बनवा ली. अब डॉक्टर साहब का घर दूर से ही दिखने लगता था. तीन शादियों के बाद भी डॉक्टर साहब नहीं रुके. उन्होंने चौथी शादी भी की और चौथी पत्नी से उनको 2 बच्चे हुए. इसके बाद उन्होंने घर पर 2 मंजिल और बनवा ली. 14 मंजिल बनवाने के बाद पूरा गांव डॉक्टर साहब के खिलाफ हो गया.
जिसके बाद उनके घर के आसपास रहने वाले लोग हमेशा डरे रहते थे. सबको लगता था कि कहीं ये घर गिर गया, तो क्या होगा? जिसके बाद गांव के लोगों ने डॉक्टर सियाराम के पास जाना बंद कर दिया. गांव के लोग उनसे कम बात करते. साथ ही उनके चरित्र के बारे में भी लोग उल्टी-सीधी बातें करते. फिर एक दिन बिना किसी से कुछ कहे अपना घर छोड़कर डॉक्टर सियाराम कहीं चले गए. उनके यहां से गए 4-5 साल हो चुके हैं. उनके जाने के बाद उनके खानदानी लोग यहां रहने लगे. लेकिन डर के कारण उन्होंने भी यहां रहना छोड़ दिया.
हालांकि, अब इस इमारत को लेकर गांव के लोग हमेशा दहशत में रहते हैं. हवा में खड़ी यह इमारत लोगों को बहुत डराती है. सियाराम की बेटी का आरोप है कि उसके पिता उसको और मां को जीवनयापन के लिए खर्चा नहीं देते हैं. जिस कारण उन लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार उनको 14 मंजिला घर में हिस्सा दिलाए. जिसे बेचकर वह कुछ बिजनेस शुरू कर पाएं और आसानी से जीवन यापन कर पाएं. फिलहाल सियाराम की तीसरी बेटी के मकान में हिस्सा मांगने के बाद सरकार ने अभी उनके घर को सीज कर दिया है. घर की नीलामी भी करवाई गई, लेकिन अभी इसका कोई सही दाम नहीं दे रहा है.