पश्चिम बंगाल के नदिया के किशनगंज स्थित सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शिविर (कैंप) में एक महिला कांस्टेबल से दुष्कर्म की घटना सामने आयी है. दुष्कर्म का आरोप पीड़िता के सीनियर सहकर्मी पर लगा है. दुष्कर्म के आरोप में बीएसएफ के एक निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है. आरोपी निरीक्षक कंपनी कमांडर के तौर पर कार्यरत था. आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गयी है. बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी है.
उन्होंने बताया कि नदिया में तुंगी सीमा पर किशनगंज शिविर में तैनात आरोपी निरीक्षक ने 18 फरवरी को परिसर के अंदर बीएसएफ की एक महिला कांस्टेबल को काम समझाने के लिए अपने कमरे में बुलाया था. जहां महिला कांस्टेबल के साथ कथित रूप से दुष्कर्म की वारदात हुई. घटना के प्रकाश में आने के बाद पीड़िता को पहले स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. महिला कांस्टेबल की हालत बिगड़ने पर उसे कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया.
एसएसकेएम के डॉक्टरों ने पीड़ित परिवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को कहा. बीएसएफ के कुछ अधिकारी पीड़िता को भवानीपुर थाने ले गये, जहां आरोपी के खिलाफ महिला कांस्टेबल ने लिखित शिकायत की है. यह मामला कृष्णागंज थाने को स्थानांतरित कर दिया गया है. बीएसएफ ने बताया कि वे मामले की विभागीय जांच करा रहे हैं. आरोपी कंपनी कमांडर (इंस्पेक्टर रैंक) को पहले ही निलंबित किया जा चुका है.
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यह घटना तृणमूल कांग्रेस महासचिव कुणाल घोष के ट्वीट करने के बाद सामने आयी, जिन्होंने प्रदेश भाजपा इकाई को इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा है. साथ ही तृणमूल की ओर से इस घटना की निंदा की गयी है. घोष ने ट्वीट किया है कि ‘नदिया के किशनगंज शिविर में एक महिला बीएसएफ कांस्टेबल से बीएसएफ कमांडर ने दुष्कर्म किया. पीड़िता को एसएसकेएम ले जाया गया. भवानीपुर थाने में शून्य प्राथमिकी दर्ज की गयी है. कमांडर को निलंबित कर दिया गया. अब भाजपा क्या कहेगी?’
हालांकि, बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा कि इस घटना के प्रकाश में आने के बाद ही त्वरित कार्रवाई की गयी और आरोपी निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है और उसके विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की गयी है. उनका कहना है कि ऐसे आरोपों को कतई बर्दाश्त नहीं करने का बीएसएफ का रुख रहा है.
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गौरतलब है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने जब पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर तक तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने का अधिकार बीएसएफ को देने के लिए बीएसएफ कानून में संशोधन किया था, तब यह पश्चिम बंगाल में एक बड़ा मुद्दा बन गया था और तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र के इस फैसले के खिलाफ विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित किया था.