लंबोदर महतो के बेटे ने माउंट एवरेस्ट बालकनी पर लहराया तिरंगा, 8 हजार की ऊंचाई तक जाने वाले 8वें झारखंडी बने

शशि ने बताया कि छह अप्रैल को काठमांडू से यात्रा शुरू की थी. नौ अप्रैल को काठमांडू से बेस कैंप तक का सफर पूरा किया. बेस कैंप व कैम्प वन के बीच आईसफॉल नामक जगह से होते हुए उन्हें आगे बढ़ना पड़ा.

By Prabhat Khabar News Desk | May 31, 2023 11:20 AM

धनबाद, दीपक/नागेश्वर, कसमार/पेटरवार : कसमार प्रखंड के पाड़ी गांव निवासी एवं गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो के पुत्र शशि शेखर ने माउंट एवरेस्ट की 8430 मीटर (26,657 फीट) ऊंचाई पर स्थित बालकनी तक का सफर पूरा कर रिकॉर्ड कायम किया है. शशि ने बताया कि 8430 मीटर तक सफर पूरा करने के बाद सिर्फ साउथ समिट, हिलेरी स्टेप और शिखर तक सफर तय करना था, लेकिन खराब मौसम व स्वास्थ्य कारणों से लौटना पड़ा. हालांकि, इस यात्रा के साथ झारखंड से 8000 मीटर से ऊपर एवरेस्ट समिट अटेंप्ट लेने वाले सातवें तथा 8000 मीटर से ऊपर चढ़ाई करनेवाले झारखंड के आठवें पर्वतारोही बन गये हैं.

45 दिनों में तय की यात्रा

शशि ने बताया कि छह अप्रैल को काठमांडू से यात्रा शुरू की थी. नौ अप्रैल को काठमांडू से बेस कैंप तक का सफर पूरा किया. बेस कैंप व कैम्प वन के बीच आईसफॉल नामक जगह से होते हुए उन्हें आगे बढ़ना पड़ा. आईसफॉल इस यात्रा में सबसे खतरनाक हिस्सा है. यहां थोड़ी-थोड़ी देर पर आइसफॉल होता है. इसके चलते सफर में खतरा बना रहता है. शशि ने बताया कि नेपाल के तीन यात्रियों की यहां आईसफॉल के चलते मृत्यु भी हो गई. बताया कि आईसफॉल से आगे बढ़ने के बाद बेसकैंप से कैंप वन, कैंप टू, कैंप थ्री होते हुए कैंपर फ़ॉर पहुंचे. फिर कैंप फॉर से सम्मिट के लिए बालकनी तक की यात्रा सात घंटे में पूरी की.

शशि ने बताया कि काठमांडू से बालकनी तक पहुंचने में उन्हें करीब 45 दिनों का समय लगा. बालकनी पहुंचने के बाद मौसम काफी खराब हो गया और उनके स्वास्थ्य में भी गिरावट होने लगी. जिसके चलते एवरेस्ट की चोटी से महज 418 मीटर पहले बालकनी से ही लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा. शशि ने बताया कि दुनिया भर के 778 पर्वतारोही जस यात्रा में शामिल थे. इसमें 40 भारतीय थे. झारखंड से केवल दो लोग इसमें शामिल हुए थे.

बचपन से है पर्वतारोहण का शौक

शशि ने बताया कि पर्वतारोहण का शौक बचपन से रहा है. एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचना उनका सपना है. पहले भी वह दो बार यात्रा कर चुके हैं. 2022 में माउंट मनिरंग, जो लगभग 19000 फीट की ऊंचाई पर है, तक की यात्रा पूरी की थी. बताया कि उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंट ट्रेनिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स, अरुणाचल प्रदेश तथा हिमालयन माउंट ट्रेनिंग एंड एडवेंचर ऑफ दार्जिलिंग से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. जबकि सर्च एंड रेस्क्यू फोर्स निमास, दिरांग से किया है. सभी जगह से उन्हें एक ग्रेड मिला है. उम्मीद है कि एक दिन एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने में जरूर सफलता मिलेगी.

विधायक ने जताई खुशी

डॉ लंबोदर महतो ने पुत्र के माउंट एवरेस्ट की बालकनी तक की यात्रा की सफलता पर खुशी जाहिर की है. कहा कि शशि ने 26000 फीट की ऊंचाई की यात्रा कर क्षेत्र का मान बढ़ाया है. हालांकि अफसोस जरूर है कि वह कुछ मीटर के चलते चोटी तक नहीं पहुंच सका, लेकिन विश्वास है कि एक दिन पुत्र अपना सपना अवश्य साकार करेगा.

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