Gorakhpur: गोरखपुर जनपद के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में बीटेक पाठ्यक्रम में फर्जी तरीके से दाखिले मामले में दोषी कर्मचारियों पर जल्द गाज गिरने वाली है. यहां 40 छात्रों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर प्रवेश लिया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनका प्रवेश निरस्त करने के बाद अब मामले में संलिप्त कर्मचारियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसकी जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन स्तर की तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. जो अगले सप्ताह से जांच की प्रक्रिया शुरू कर देगी.
गोरखपुर में एमएमएमयूटी प्रशासन ने पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से जांच कमेटी के गठन के लिए दो अफसरों का नाम शासन से मांगा था. इसके लिए दो विभागों के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा गया था, जिनमें उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग शामिल है. इसके बाद से दोनों विभाग ने अपने-अपने अधिकारी का एक-एक नाम भेज दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद दोनों विभागों ने एक-एक नाम भेजे हैं.
तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए नाम में विशेष सचिव कृपाशंकर सिंह को नामित किया गया है. वहीं उच्च शिक्षा विभाग की ओर से उप सचिव कैलाश नाथ राम को नामित किया गया है. तीसरे सदस्य के रूप में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राम अचल सिंह नामित किए गए हैं. टीम के गठन के बाद से अगले सप्ताह तीन सदस्यीय टीम कमेटी जांच प्रक्रिया शुरू करेगी. विश्वविद्यालय ने जांच के लिए शासन के दोनों नामित प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है.
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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बीटेक पाठ्यक्रम में फर्जी दस्तावेज से प्रवेश लेने वाले 40 विद्यार्थियों में से 35 विद्यार्थियों ने हाईकोर्ट का सहारा लिया था. कोर्ट ने उन्हें बेगुनाही का सबूत देने का समय दिया था, जिसके बाद 31 विद्यार्थियों ने अपने दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किए. विश्वविद्यालय की ओर से दोबारा जांच में सभी दस्तावेज फर्जी निकले. विश्वविद्यालय प्रशासन ने फर्जीवाड़े से जुड़ी जांच का दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किया था. विश्वविद्यालय प्रशासन को कोर्ट से अगले सुनवाई की अगली तिथि मिलने का इंतजार है.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर