Jharkhand news: मनरेगा योजना में आवश्यक रूप से योजनास्थल पर सूचना बोर्ड (नोटिस बोर्ड) लगाना आवश्यक है, लेकिन गढ़वा प्रखंड में योजनास्थल पर लगाये जानेवाले सैकड़ों नोटिस बोर्ड प्रखंड कार्यालय के कबाड़खाने की शोभा बढ़ा रही है. इसके अलावे कबाड़खाने में योजनास्थल पर रखी जानेवाली फर्स्ट एड बॉक्स भी है.
बता दें कि गढ़वा जिले में जनवरी माह से मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट किया जा रहा है. इस दौरान कई योजना स्थलों पर नोटिस बोर्ड एवं फर्स्ट एड बॉक्स नहीं पायी गयी है. सोशल ऑडिट टीम द्वारा 39 पंचायतों का सोशल ऑडिट किया गया. शेष 150 पंचायतों में अभी सोशल ऑडिट चल रहा है. बताया गया कि प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से योजना के मेठ तक नोटिस बोर्ड नहीं पहुंचायी गयी है. इस वजह से कार्यस्थल के बजाय प्रखंड कार्यालय में ही यह रखी हुई है.
उल्लेखनीय है कि मनरेगा एक्ट के हिसाब से कार्यस्थल पर सूचना पट्ट का होना आवश्यक है. नोटिस बोर्ड नहीं होने से प्रथम दृष्टया यह पता नहीं चल पाता है कि यहां कौन-सी योजना चल रही है और उसकी लागत आदि कितनी है. मनरेगा सचिव के आदेश के अनुसार, जब तक सूचना पट्ट लग नहीं जाता है, तब तक कार्य शुरू भी नहीं करना है. बताया गया कि नोटिस बोर्ड कार्यस्थल से गायब पाये जाने पर एक हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है. यह जुर्माना मेठ आदि से वसूल किया जाना है. इसके लिए वेंडर आदि के माध्यम से या तो लाभुक के खाते में राशि भेजी जाती है या वेंडर के माध्यम से इसकी सप्लाई की जाती है, लेकिन गढ़वा प्रखंड कार्यालय के कबाड़ में पड़ा यह सूचना पट्टिका क्यों नहीं योजनास्थल तक पहुंचायी गयी. इस बारे में प्रखंड कार्यालय के कर्मी कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, सूचना पट्टिका के बाहर से देखने से यह प्रतित होता है कि वह कूप आदि योजनाओं से संबंधित है.
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इस संबंध में सोशल ऑडिट टीम के टीम लीडर सुनील तिवारी ने बताया कि सोशल ऑडिट के दौरान कई सारे स्थानों पर बोर्ड नहीं दिख रहे हैं. कहा कि यह अच्छी व्यवस्था नहीं है. इसके लिए जनसुनवाई के दौरान नियमानुसार जुर्माना किया जायेगा. इस संबंध में रिपोर्ट तैयार की गयी है.
रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा.