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Mohammed Rafi Death Anniversary: सुरों के सरताज मोहम्मद रफी साहब की पुण्यतिथि आज, सुनें उनके ये 5 सदाबहार गाने

Mohammed Rafi Death Anniversary: मोहम्मद रफी एक महान प्लेबैक सिंगर थे. उन्होंने न जाने कितने ही ब्लॉकबस्टर गाने गाये, जिसे दर्शक आज भी सुनना पसंद करते हैं. संगीत इंडस्ट्री में पार्श्व गायक के रूप में अपने समय के दौरान, उन्होंने कई भाषाओं में 7,405 गाने रिकॉर्ड किए.

Mohammed Rafi Death Anniversary: मोहम्मद रफी बॉलीवुड के उन नामों में से एक हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने इंडस्ट्री को कुछ बेहतरीन गाने दिए हैं, जिन्हें निश्चित रूप से ‘सदाबहार’ का टैग दिया जा सकता है. संगीत इंडस्ट्री में प्लेबैक सिंगर के रूप में अपने समय के दौरान, उन्होंने कई भाषाओं में 7,405 गाने रिकॉर्ड किए. उन्हें अपने समय में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सहित कई पुरस्कार प्राप्त हुए. उनके गीतों में रोमांटिक गानों से लेकर देशभक्ति के गाने, दुखद नंबरों से लेकर बेहद सूफियाना गाने, कव्वाली से लेकर गजल और भजन से लेकर शास्त्रीय गाने शामिल हैं. आज उनकी पुण्यतिथि पर हम कुछ सदाबहार गाने को सुनते हैं.

मोहम्मद रफी को पद्मश्री से किया जा चुका है सम्मानित

मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 में हुआ था. उन्हें भारत के महान और सबसे प्रभावशाली गायकों में से एक माना जाता है. उन्होंने हिंदी फिल्मों और कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ कुछ विदेशी भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए, हालांकि मुख्य रूप से उर्दू और पंजाबी में, जिस पर उनकी मजबूत पकड़ थी. उन्होंने अपने पूरे करियर में भारतीय भाषाओं के अलावा कोंकणी, असमिया, भोजपुरी, उड़िया, बंगाली, मराठी, सिंधी, कन्नड़, गुजराती, तमिल, तेलुगु, मगही, मैथिली आदि कई भाषाओं और बोलियों में 7,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए. उन्होंने अंग्रेजी, फारसी, अरबी, सिंहली, मॉरीशस क्रियोल और डच सहित कुछ विदेशी भाषाओं में भी गाया. उन्हें छह फिल्मफेयर पुरस्कार और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला.

मोहम्मद रफी के सदाबहार गाने

बहारो फूल बरसाओ (Baharon Phool Barsao)

फिल्म सूरज का यह सदाबहार गाना आज भी सभी पीढ़ियों के संगीत प्रेमियों द्वारा गुनगुनाया जाता है. फैंस इस गाने को रफी के सबसे यादगार गानों में से एक मानते हैं. इसका खूबसूरत संगीत शंकर जयकिशन ने तैयार किया था और हसरत जयपुरी ने गीत लिखे थे.

बहारों फूल बरसाओ

मेरा महबूब आया है –

हवाओं रागिनी गाओ

मेरा महबूब आया है –

ओ लाली फूल की मेंहंदी लगा इन गोरे हाथों में

उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में

सितारों मांग भर जाओ

मेरा महबूब आया है –

नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर

बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर

ज़रा तुम दिल को बहलाओ

मेरा महबूब आया है –

जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा ( Jo Wada Kiya Woh Nibhana Padega)

इस सदाबहार गाने में एक प्रेमी अपने पार्टनर से एक-दूसरे से किए गए वादों को हर हाल में पूरा करने के लिए कहता है. जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा. 1963 की फिल्म ताज महल का ये पॉपुलर ट्रैक में साहिर लुधियानवी के गीतों पर रफ़ी की प्रस्तुति आज भी युवा पीढ़ी को पसंद आती है.

जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा

रोके ज़माना चाहे रोके खुदाई तुमको आना पड़ेगा

तरसती निगाहों ने आवाज़ दी है

मुहब्बत की राहों ने आवाज़ दी है

जान-ए-हया, जान-ए-अदा छोड़ो तरसाना तुमको आना पड़ेगा

ये माना हमें जाँ से जाना पड़ेगा

पर ये समझ लो तुमने जब भी पुकारा हमको आना पड़ेगा

हम अपनी वफ़ा पे ना इलज़ाम लेंगे

तुम्हें दिल दिया है तुम्हे जाँ भी देंगे

जब इश्क़ का सौदा किया फिर क्या घबराना तुमको आना पड़ेगा

जो वादा…

क्या हुआ तेरा वादा (Kya Hua Tera Wada)

क्या हुआ तेरा वादा 1977 की फिल्म ‘हम किसी से कम नहीं’ से है और इसे अक्सर संगीत प्रेमियों द्वारा गाया जाता है. आरडी बर्मन का प्रसिद्ध संगीत इस गीत को विशिष्ट रूप से मनोरम बनाता है. मोहम्मद रफ़ी की जादुई आवाज़ इसे सबसे प्रिय गीतों में से एक बनाती है. आज कई सिंगर ने इन्हें अपनी आवाज में गाया है, लेकिन रफी जी की आवाज के सामने किसी का मुकाबला नहीं है.

क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा

भूलेगा दिल जिस दिन तुम्हें

वो दिन ज़िन्दगी का आखिरी दिन होगा

क्या हुआ तेरा वादा

वो कसम वो इरादा

याद है मुझको, तूने कहा था

तुमसे नहीं रूठेंगे कभी

दिल की तरह से हाथ मिले हैं

कैसे भला छूटेंगे कभी

तेरी बाहों में बीती हर शाम

बेवफा ये भी क्या याद नहीं

क्या हुआ तेरा वादा

वो कसम वो इरादा

भूलेगा दिल जिस दिन तुम्हें

वो दिन ज़िन्दगी का आखिरी दिन होगा

https://www.youtube.com/watch?v=FD7pLTt9jRM
दिल का भंवर करे पुकार (Dil Ka Bhanwar Kare Pukar)

देव आनंद और नूतन के आकर्षण, एसडी बर्मन की धुन और मोहम्मद रफी की सुरीली आवाज ने दिल का भंवर करे पुकार को चार्टबस्टर बना दिया. गाने में देव आनंद और नूतन की अद्भुत ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री को देखकर कई पीढ़ियां बड़ी हुई हैं. 1963 की फिल्म तेरे घर के सामने का गाना, प्यार के सार को खूबसूरती से दर्शाता है.

दिल का भंवर करे पुकार

प्यार का राग सुनो

प्यार का राग सुनो रे उ उ उ

फूल तुम गुलाब का, क्या जवाब आपका

जो अदा है, वो बहार है

आज दिल की बेकली, आ गई ज़बान पर

बात ये है, तुमसे प्यार है

दिल तुम्हीं को दिया रे

प्यार का राग सुनो रे उ उ उ

दिल का भंवर करे पुकार

प्यार का राग सुनो

प्यार का राग सुनो रे उ उ उ

कर चले हम फिदा (Kar Chale Hum Fida)

1964 की फिल्म हकीकत का यह गाना सबसे महान देशभक्ति गीत माना जाता है. यह गाना स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है. मोहम्मद रफ़ी की आवाज़, मदन मोहन की रचना और कैफ़ी आज़मी के बोल इस अद्भुत गीत को सुनने वाले में गर्व और देशभक्ति का उत्साह पैदा करते हैं.

कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

सांस थमती गई नब्ज़ जमती गई

फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया

कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं

सर हिमालय का हमने न झुकने दिया

मरते मरते रहा बाँकापन साथियों, अब तुम्हारे …

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर

जान देने की रुत रोज़ आती नहीं

हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे

वो जवानी जो खूं में नहाती नहीं

आज धरती बनी है दुल्हन साथियों, अब तुम्हारे …

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