Mohini Ekadashi 2022: हिन्दू मान्यताओं में कई ऐसे व्रत, पूजा-पाठ एवं उपासनाओं का उल्लेख किया गया है जिनका अनुसरण कर के मनुष्य अपने पापों से मुक्ति पा सकता है. मनुष्यों अपने पिछले जन्म के पापों का प्रायश्चित भी कई व्रतों के द्वारा कर सकता है. इस दिन व्रत कथा का पाठ करने से एक हजार गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है. इस बार मोहिनी एकादशी 12 मई 2022, गुरुवार को है. जानें मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि-
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नियमित रूप से सुबह जल्दी उठें और स्नान-ध्यान के बाद घर को और पूजा घर को शुद्ध करें.
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साफ कपड़े पहनें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं.
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इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें और उन्हें पीले रंग का तिलक लगाएं.
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भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें और धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें.
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शाम के समय आरती करें द्वादशी तिथि के दिन व्रत का पारण करें.
मोहनी एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है. इसे भगवान श्रीराम ने सीता माता के वियोग मे किया था तब उन्होंने रावण का संहार किया और सीता माता को रावण के बंधन से छुड़ाया था. वहीं इस व्रत को युधिष्ठर ने भी किया था. जिससे उनके सारे दुख-दर्द क्षय हो गए. मोहिनी एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति की चिंताएं और मोह माया खत्म हो जाती है. व्यक्ति सारे बंधनो से मुक्त हो जाता है. ईश्वर की कृपा बरसने लगती है. पाप का प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है. व्यक्ति हर तरह की दुर्घटनाओं एंव विपदाओं से सुरक्षित रहता है. इस व्रत को करने से 100 गाय दान करने का पुण्य प्राप्त होता है. व्यक्ति सीधा स्वर्गलोक में स्थान पाता है.
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, मोहिनी भगवान विष्णु का अवतार रूप थी। समुद्र मंथन के समय, जब अमृत का मंथन किया गया, तो इस बात को लेकर विवाद हुआ कि राक्षसों और देवताओं के बीच अमृत का सेवन कौन करेगा? देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी और इस तरह वे अमृत के बर्तन से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए मोहिनी नामक एक सुंदर महिला के रूप में प्रकट हुए। इस प्रकार, सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की सहायता से अमृत का सेवन किया। इसीलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह वही व्रत है जिसे राजा युधिष्ठिर और भगवान राम ने रखा था।
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एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य का मन शांत होता है और उसे सद्बुद्धि प्राप्त होती है.
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मोहिनी एकादशी के व्रत से मनुष्य के सारे पाप कट जाते हैं.
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इस एकादशी को व्रत पूजन करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
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एकादशी के दिन व्रत करने से मनुष्य सभी पाप कर्मों से मुक्त होकर सभी मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है और जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से भी मुक्त हो जाता है.