Mohini Ekadashi 2023: आज रखा जाएगा मोहिनी एकादशी का व्रत, जानिए पूजा विधि और पौराणिक मान्यता
Mohini Ekadashi 2023: इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत आज 1 मई,सोमवार को रखा जा रहा है.इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु के मोहिनी रूप और भगवान श्री राम की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
Mohini Ekadashi 2023: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी का व्रत करने से सभी कामनाएं जहां पूर्ण हो जाती हैं, वहीं प्रभु कृपा प्राप्त होने से जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं होता. इस बार यह व्रत आज 1 मई,सोमवार को रखा जा रहा है.इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु के मोहिनी रूप और भगवान श्री राम की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
मोहिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी की तिथि इस साल 1 मई दिन सोमवार को पड़ रही है.इस दिन एकादशी तिथि होने से और महत्व बढ़ गया है.इस दिन वज्र योग, हस्त नक्षत्र और चंद्रमा कन्या राशि में है.30 अप्रैल 2023 को रात 08 .28 मिनट से रविवार, 1 मई सोमवार 2023 को को रात 10.09 मिनट तक रहेगी.
मोहिनी एकादशी उपाय (Mohini Ekadashi Upay)
इस दिन गाय के दूध से बनी खीर से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए.
इसके बाद लक्ष् माता को लाल वस्त्र और भगवान विष्णु जी को पीले वस्त्र को अर्पित करें.
शाम को तुलसी के सामने शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं और ॐ श्री तुलस्यै विद्महे.विष्णु प्रियायै धीमहि.तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्.मंत्र का जाप करते हुए 11 परिक्रमा करें.
मोहिनी एकादशी व्रत नियम (Mohini Ekadashi 2023 Niyam)
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मोहिनी एकादशी व्रत के दिन पशु-पक्षियों को खाना और पानी देना चाहिए.
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इसके साथ ही किसी गरीब को भोजन कराएं साथ ही दान-दक्षिणा दें.
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विष्णु भगवान को तुलसी बहुत पसंद है. इस लिए एकादशी के दिन घर में तुलसी पौधा जरूर लगाना चाहिए.
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इस दिन अन्न, जूते-चप्पल, छाता का दान करें.
मोहिनी एकादशी 2023 पूजा विधि(Mohini Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
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मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करे.
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स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें.
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भगवान को पीले फूल चढ़ाकर धूप, दीप, नैवेद्य का भोग लगाएं.
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विष्णु भगवान की आरती करें.
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इस दिन गरीबों को भोजन करवाने का भी महत्व है.
क्या है इस व्रत को लेकर मान्यता
इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों के सर्वनाश के लिए मोहिनी रूप धारण किया था. मोहिनी भगवान श्री हरि की एकमात्र स्त्री अवतार हैं. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस व्रत को लेकर पुराणों में बताया गया है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया तो उससे अमृत कलश की प्राप्ति हुई.