रांची : बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव (लो प्रेशर) वाला क्षेत्र बनने व मॉनसून के सक्रिय होने के कारण लगातार हो रही बारिश से पूरा झारखंड पानी-पानी हो गया है. लगातार हो रही बारिश से गुरुवार को रांची-टाटा मार्ग के उलिडीह (रोलाडीह) के समीप डायवर्सन के ऊपर से पानी बहने लगा. इस कारण दोपहर तीन बजे से उक्त मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गयी. इस मार्ग से गुजरनेवाले छोटे वाहन करीब 15 किलोमीटर ज्यादा दूरी तय कर भुइयांडीह चौक से पालना होते हुए सारजमडीह से तमाड़ निकल कर रांची जा रहे हैं. बड़े वाहन सड़क किनारे लाइन में खड़े होकर पानी कम होने का का इंतजार कर रहे थे.
देर शाम तक इस मार्ग पर आवागमन ठप था. मौसम विभाग के अनुसार निम्न दबाव 21 अगस्त तक सक्रिय रह सकता है. इसकी दिशा छत्तीसगढ़ की ओर है, लेकिन 23 अगस्त को फिर से इसके झारखंड में सक्रिय होने की संभावना है. मौसम विभाग के अनुसार, 26 अगस्त तक आकाश में बादल छाये रहेंगे व रुक-रुक कर वर्षा होगी. कहीं-कहीं वज्रपात होने की भी संभावना है.
रांची में 20 अगस्त को शाम साढ़े पांच बजे तक 54 मिमी बारिश हुई. जमशेदपुर में 20 अगस्त को सबसे अधिक लगभग 55 मिमी वर्षा हुई. रांची में एक जून से 20 अगस्त तक लगभग 950 मिमी बारिश हुई है. वहीं एक जून से 20 अगस्त तक झारखंड में 628.9 मिमी वर्षा हुई, जबकि सामान्य वर्षा का औसत 725.3 मिमी है. पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक बारिश लातेहार, पलामू व रामगढ़ में हुई है.
वहीं 12 जिले में सामान्य व मध्यम दर्जे की वर्षा हुई है. अन्य नौ जिले- देवघर, पाकुड़, साहेबगंज, गोड्डा, खूंटी,बोकारो, सरायकेला, गुमला व चतरा में कम बारिश हुई है. पहाड़ी इलाका रहने के कारण बिहार की तरह पानी का जमाव झारखंड की राजधानी व अन्य जगहों पर काफी देर नहीं रहा, लेकिन राज्य की लगभग सभी नदियां उफान पर हैं. तालाब व डैम भी भर गये हैं.
जनजीवन प्रभावित : लगातार बारिश से जनजीवन प्रभावित हुआ है. इस बार मॉनसून में कांके डैम में लगातार पानी भर जाने की स्थिति में अब तक तीन से चार बार गेट खोलना पड़ा है. मौसम विभाग के अनुसार, झारखंड में अमूमन अगस्त में औसतन 270 से 280 मिमी वर्षा होती है, लेकिन इस बार 20 अगस्त तक ही लगभग 205.10 मिमी वर्षा हो गयी है. जबकि, अभी 10 दिन बाकी है. वहीं मॉनसून के 15 सितंबर से धीरे-धीरे वापस लौटने की संभावना व्यक्त की गयी है.
इस बार धान का रिकॉर्ड उत्पादन होगा : डॉ वदूद : बिरसा कृषि विवि के अनुसंधान निदेशक सह मौसम वैज्ञानिक डॉ अब्दुल वदूद के अनुसार, इस बार मॉनसून की अच्छी बारिश हुई है. इससे झारखंड में धान का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है. 50 लाख टन से अधिक धान होने की उम्मीद है. डॉ वदूद ने बताया कि झारखंड में मॉनसून आने के पहले यानी अप्रैल/मई में भी अच्छी बारिश हुई. इससे किसानों को खेत जोतने में आसानी हुई.
13 जून से मॉनसून के प्रवेश करने के बाद अच्छी बारिश होने का नतीजा है कि लगभग 18 लाख हेक्टेयर जमीन में से लगभग 17 लाख 25 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की बुआई व रोपाई हुई है. हालांकि जुलाई के अंत तक ही 80 प्रतिशत धान की बुआई व रोपाई हो गयी थी. रुक-रुक कर और बीच-बीच में आसमान के साफ होने, धूप होने से इस बार खरीफ फसल को काफी फायदा हुआ है. सब्जी को भी इससे फायदा हुआ है. हालांकि बारिश के बाद कीड़ा लगने की संभावना है.
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एक जून से 20 अगस्त तक झारखंड में 628.9 मिमी वर्षा हुई, जबकि सामान्य वर्षा का औसत 725.3 मिमी है
पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक बारिश लातेहार, पलामू व रामगढ़ में हुई, 15 सितंबर के बाद लौटने लगेगा मॉनसून
पिछले 24 घंटे में रांची में 100 मिमी वर्षा हुई, जबकि एक जून से अब तक 950 मिमी वर्षा हुई
जमशेदपुर में 20 अगस्त को सबसे अधिक लगभग 83 मिलीमीटर बारिश हुई
डायवर्सन से ऊपर बह रहा पानी, रांची टाटा रोड हुआ जाम : लगातार हो रही बारिश से गुरुवार को रांची-टाटा मार्ग पर तमाड़ के पास डायवर्सन के ऊपर से पानी बहने लगा. इससे यहां आवागमन बंद हो गया है और दोनों तरफ वाहनों की कतार लग गयी है.
कहां-कितनी बारिश
रांची 54 मिमी
चाईबासा 34 मिमी
डाल्टनगंज 12 मिमी
जमशेदपुर 83 मिमी
रांची में 2011 में अगस्त माह में 596.7 मिमी वर्षा हुई थी : मौसम विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो अगस्त माह में रांची में अच्छी बारिश हुई है. वर्ष 2011 में 596.7 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी थी. वर्ष 2012 में 14 अगस्त को सबसे अधिक 122.5 मिमी बारिश हुई थी. रिकॉर्ड के मुताबिक रांची में वर्ष 2012 में अगस्त माह में 439.7 मिमी बारिश हुई थी. 2013 में 225.1 मिमी, 2014 में 179.2 मिमी, 2015 में 251 मिमी, 2016 में 303.6 मिमी, 2017 में 306.7 मिमी व 2018 में अगस्त माह में 287 मिमी वर्षा हुई थी.
गेतलसूद डैम खोलने को लेकर चेतावनी जारी : गेतलसूद डैम का जलस्तर बढ़ कर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. इसे देखते हुए जल पथ प्रमंडल की ओर से एडवाइजरी जारी की गयी है. इसमें डूब क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले सभी अवैध निर्माणों को अविलंब हटा लेने की सलाह दी गयी है. इस क्षेत्र में किसी भी आवागमन को वर्जित किया गया है. कार्यपालक अभियंता ने बताया कि 20 अगस्त की सुबह डैम का जलस्तर 1930 फीट दर्ज किया गया. इसके उच्चतम स्तर 1936 फीट पहुंचते ही डैम के रेडियल गेट को खोला जा सकता है.
Post by : Pritish Sahay