झारखंड में मॉनसून मेहरबान, पर 70 फीसदी पानी हो रहा बर्बाद

झारखंड में पूरे साल में औसत 1300 से 1400 मिमी बारिश होती है. जबकि, इस बार मॉनसून के ढाई महीने में ही कई जिलों में 1300 मिमी बारिश का आंकड़ा पहुंच गया है

By Prabhat Khabar News Desk | September 3, 2020 5:25 AM

रांची : झारखंड में पूरे साल में औसत 1300 से 1400 मिमी बारिश होती है. जबकि, इस बार मॉनसून के ढाई महीने में ही कई जिलों में 1300 मिमी बारिश का आंकड़ा पहुंच गया है. 20 सितंबर के आसपास राज्य से मॉनसून की वापसी होने लगती है. यानी अभी और 15 से 20 दिन मॉनसून की बारिश के आसार हैं.

ये आंकड़े राहत देनेवाले हैं, इसके बावजूद हर बार की तरह इस बार भी हम प्रकृति से मिले पानी के इस अनमोल खजाने को बचाने, संरक्षित करने में विफल रहे हैं. न तो लोगों ने इसके लिए प्रभावी उपाय किये और न ही सरकारी योजनाएं कारगर साबित हुई. विशेषज्ञ बताते हैं कि फिलहाल बारिश का सिर्फ 30 फीसदी पानी ही झारखंड संरक्षित कर पाने में सक्षम है. बारिश का 70 फीसदी पानी यू ही बह जाता है.

मौसम विभाग से मिले आंकड़े बताते हैं कि इस साल मॉनसून के ढाई माह में ही जमशेदपुर और रांची जिले में 1200 मिमी के आसपास बारिश हो चुकी है. वैसे पिछले कुछ वर्षों से सबसे अधिक बारिश जमशेदपुर में ही हो रही है. इस बार भी 31 अगस्त तक यहां करीब 1300 मिमी बारिश हो चुकी है. इसी तरह एक जून से लेकर 31 अगस्त तक राजधानी में भी करीब 1100 मिमी बारिश हो चुकी है. कुछ इसी तरह की स्थिति लातेहार की है.

यहां भी 1000 मिमी से अधिक बारिश हो गयी है. जबकि, डालटनगंज में भी इस बार तो 900 मिमी के आसपास बारिश दर्ज की गयी है. बादल इतने दिल खोल कर बरसे कि राज्य ही नहीं, राजधानी के भी डैमों के गेट खोलने पड़े. लेकिन इस पानी को हम बचा नहीं पाये.

गांवों में वाटर हार्वेस्टिंग टीसीबी योजनाएं लक्ष्य से पीछे : मनरेगा के तहत गांवों में जल संरक्षण की योजनाएं शुरू तो हुईं, लेकिन लक्ष्य की तुलना में काफी कम काम हो पाया. बरसात का पानी रोकने के उद्देश्य से मनरेगा के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर (आरडब्लूएचएस) की योजना शुरू की गयी थी. इसके तहत सभी जिलों में कुल 20815 योजनाओं को स्वीकृति दी गयी थी, जिनमें से केवल 3232 योजनाएं (16%) ही शुरू की गयी. वहीं नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत 4163 योजनाएं ली गयी. इसमें दो तरह की योजनाएं ली गयी. नाला रेजुवेनशन (नाला कायाकल्प) अपर और लोअर लिया गया. अपर में 10 और लोअर में 219 योजनाएं पूरी हुईं.

200 करोड़ की योजना घटकर दो करोड़ रुपये की हो गयी : कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय के माध्यम से भी सरकार जल संरक्षण का काम करती थी. इसके तहत तालाब जीर्णोद्धार और परकुलेशन टैंक का निर्माण होता था. बीते साल करीब 100 करोड़ रुपये की योजना से तालाब जीर्णोद्धार काम हुआ था. इसमें सरकारी और निजी तालाबों का बरसात से पहले गहरा करने की योजना थी. इसके साथ ही जल निधि स्कीम के तहत 110 करोड़ रुपये का प्रावधान परकुलेशन टैंक निर्माण का था. इसमें छोटे स्तर के तालाब का निर्माण होता है. विभाग की दोनों योजना सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में केवल नाम मात्र का लिया है.

झारखंड के जलाशयों में एक दशक के टॉप लेबल पर पानी : सेंट्रल वाटर कमीशन (सीवीसी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि झारखंड के प्रमुख जलाशयों में पानी पिछले 10 साल के टॉप लेबल पर है. पिछले साल से करीब 19 फीसदी अधिक पानी इस जलाशयों में है. पंचेत डैम में क्षमता से अधिक पानी जमा हो गया है. यहां के जलाशय की क्षमता 124 मीटर है, जबकि यहां करीब 125 मीटर से अधिक पानी हो गयी है. यह खतरे के निशान पर है. भारत सरकार (विशेष कर सीवीसी) बरसात के दिनों में देश भर के जलाशयों के वाटर लेबल पर नजर रखती है. नियमित रूप से इसकी रिपोर्ट भी जारी करती है. सीवीसी के दायरे में झारखंड के तेनुघाट, मैथन, पंचेत हिल, तिलैया और कोनार जलाशय आते हैं.

अभी 70 फीसदी बह जा रहा है, 30 फीसदी ही उपयोग हो पाता है : झारखंड में पानी की कमी नहीं है. पूरे साल में 1200 से लेकर 1400 मिमी तक बारिश हो जाती है. इतनी बारिश सभी राज्यों को नसीब नहीं है. इसके बावजूद यहां गर्मियों में पानी की कमी हो जाती है. पानी की कमी के कारण खेती नहीं हो पाती है. अभी हम मात्र 30 फीसदी पानी ही बचा पा रहे हैं. ग्रामीण, सब-अरबन और अरबन के लिए अलग-अलग योजना बनानी होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में चेक डैम, तालाब, नहर आदि बनाना होगा. शहरी इलाकों में ग्राउंड वाटर रिचार्ज की वैज्ञानिक विधि अपनानी होगा. तभी हम 70 फीसदी बारिश की पानी को बचा पायेंगे. 30 फीसदी पानी तो बहेगा ही.

– एसएन सिन्हा, पूर्व ऑफिसर इंचार्ज, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, झारखंड

राज्य में मॉनसून के दौरान होनेवाली औसत बारिश

जिला औसत हुई

बोकारो 992.6 752.4

चतरा 913.0 588.7

देवघर 1020.4 404.4

धनबाद 1105.6 730.0

दुमका 1120.7 873.4

गढ़वा 864.0 626.7

गिरिडीह 990.2 720.8

गोड्डा 945.8 551.2

गुमला 1015.6 464.3

हजारीबाग 1021.6 824.0

कोडरमा 906.3 654.0

लोहरदगा 1005.1 1029.7

पाकुड़ 1270.0 638.1

पलामू 840.5 905.5

रांची 1023.8 1106.3

साहिबगंज 1195.6 633.4

पू सिंहभूम 1159.1 1303.2

प सिंहभूम 976.8 828.4

जामताड़ा 1087.3 790.6

सिमडेगा 1240.6 965.4

लातेहार 996.3 1029.7

Post By : Pritish Sahay

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