झारखंड : गिरिडीह के देवरी ब्लॉक में एक% भी नहीं हुई धनरोपनी, गावां में सूखने लगे धान के बिचड़े, किसान परेशान
झारखंड में मानसून आये करीब एक माह हो गया, लेकिन बारिश की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण राज्य के 13 जिलों में राेपा तक नहीं हुई. गिरिडीह के देवरी व गावां प्रखंड क्षेत्र की स्थिति काफी खराब है. देवरी में एक प्रतिशत खेतों में धनरोपनी नहीं हो पायी है, वहीं गावां के खेतों में डाले गये बिचड़े सूख रहे हैं.
Jharkhand News: मानसून की बेरुखी का असर झारखंड के कई जिलों में है. इसमें गिरिडीह जिला भी एक है. इस जिले के देवरी प्रखंड में एक प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हुई. वहीं, गावां प्रखंड में बारिश नहीं होने से धान के बिचड़े सूखने लगे हैं. अब भी बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. बता दें कि राज्य में 18 करोड़ लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है जबकि अब तक मात्र दो लाख हेक्टेयर भूमि में ही लग पाया है. वहीं, बारिश की बात करें, तो राज्य में अब तक 403 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 201 मिमी ही बारिश हुई.
देवरी प्रखंड में एक प्रतिशत भी धान की नहीं हुई रोपनी
देवरी प्रखंड के किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. धान की फसल की रोपाई के दृष्टिकोण से अहम वर्षा ऋतु का पुष्य नक्षत्र शुरू हो गया है, लेकिन प्रखंड में अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई है. अल्पवृष्टि के कारण धान की रोपाई नहीं हो रहा है. बारिश की दगाबाजी के बाद भी कुछ किसान डीजल मशीन से पटवन कर धान की रोपाई कर रहे हैं. इधर, जलाशयों में पर्याप्त पानी जमा नहीं है, फलस्वरूप प्रखंड में अभी तक एक फीसदी भी धान की रोपाई नहीं हो पायी है. बारिश के जगह कड़ी धूप से धान के बिचड़े को बचाने के लिए किसान जद्दोजहद कर रहे हैं. किसान कामदेव राय, अनिल सिंह, सदानंद दास, कपिलदेव राय, अशोक राय, सुरेश यादव आदि ने बताया कि धान रोपनी का समय बीत रहा है. किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. रोपाई के लिए नक्षत्र के मुताबिक पुष्य, अश्लेषा व मघा बचा हुआ है. इन नक्षत्रों में अच्छी बारिश होती है, लेकिन धान की फसल की रोपाई में विलंब से उपज प्रभावित होगा. कृषि पदाधिकारी संजय कुमार साहू ने बताया कि प्रखंड में इस वर्ष भी बारिश कम हुई है. धनरोपनी का काम पूरी तरह से प्रभावित है.
क्या कहते हैं किसान
पर्याप्त सिंचाई की सुविधा नहीं होने और कम बारिश से सूखने लगा बिचड़ा
नावाबांध रतोइया के अनिल सिंह का कहना है कि प्रखंड के किसानों को पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है. धान की खेती के लिए मॉनसून पर निर्भर रहना पड़ता है. सिंचाई व्यवस्था के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों को गंभीर होना होगा. वहीं, नेकपुरा के बालो यादव का कहना है कि धनरोपनी का समय चल रहा है, लेकिन बारिश की कमी से देवरी प्रखंड धान पर यह काम पूरी तरह से प्रभावित है. बारिश की जगह कड़ी धूप होने से बिचड़ा सूखने लगा है.
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दूसरे साल भी देवरी प्रखंड के किसान धान की खेती से हो रहे वंचित
वहीं, करीहारी के कैलाश ठाकुर का कहना है कि मौसम का यही हाल रहा तो लगातार दूसरे वर्ष प्रखंड के कृषकों को धान की खेती से वंचित रहना पड़ सकता है. बारिश की कमी से किसान की चिंता बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर, असको के किसान मित्र अशोक राय का कहना है कि बारिश के अभाव में पिछले वर्ष भी देवरी प्रखंड के किसान धान की खेती से वंचित रह गये थे. इस वर्ष बीज की बुआई के लिए अधिकांश किसान ने कर्ज लेना, लेकिन एक बार भी मॉनसून दगा दे रहा है.
गावां प्रखंड के खेतों में सूखने लगे बिचड़े, किसानों की टूटने लगी आस
वहीं, गावां प्रखंड की बात करें, तो यहां पिछले एक सप्ताह से बारिश नहीं होने से धान के बिचड़े सूखने लगे हैं. कुछ दिन पूर्व बारिश होने पर किसानों ने धान का बीज बोया था. सभी खेतों में बिचड़े निकल भी गये, लेकिन वर्षा नहीं होने से काफी संख्या में बिचड़े सूख रहे हैं. यही हाल मक्का, मूंग आदि फसलों का भी है. बारिश नहीं होने से बिचड़े के तैयार होने पर भी किसान बुआई नहीं कर पा रहे हैं. अब तो किसानों की आस टूटती जा रही है. उन्हें लग रहा है कि पिछले वर्ष की तहत इस वर्ष भी उन्हें सूखाड़ का सामना करना पड़ेगा. हालांकि वैसे किसान जिनके पास सिंचाई के साधन हैं, वह किसी प्रकार पटवन कर लेते हैं. लेकिन शेष किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि महंगे दर पर धान का बीज खरीद कर बोया, लेकिन अब बिचड़े सूख रहे हैं.
जल्द बारिश नहीं हुई, तो इस बार खेतीबारी चौपट
माल्डा के किसान राजेंद्र पांडेय का कहना है कि काफी महंगे दर पर बाजार से बीज लेकर बुआई किया, लेकिन मौसम की दगाबाजी से धान रोपनी नहीं कर पा रहे हैं. यही हाल मक्का का भी है. कम वर्षा के कारण बोरिंग भी अधिक देर तक नहीं चल पा रही है. यह स्थिति रही तो खेती चौपट हो जायेगी. वहीं, चरकी के किसान प्रवेश आलम कहते हैं कि मौसम की बेरुखी से कृषि कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. सुदूर ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों में लोग मुख्य रूप से मॉनसून पर ही आश्रित रहते हैं. धान के बिचड़े सूख रहे हैं, जो चिंता का विषय है. जल्द वर्षा नहीं हुई तो खेती का चौपट होना लगभग तय है.
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