धनबाद में चल रहीं 10 अरब से अधिक की योजनाएं, फिर भी जनता है प्यासी, सुस्त है सरकारी योजना की रफ्तार

jharkhand news: धनबाद में अरबों की जलापूर्ति योजनाओं के बावजूद क्षेत्र की जनता आज भी प्यासी है. 7 मेगा जलापूर्ति योजनाओं में से दो ही कागज पर पूर्ण है. इसके बावजूद यहां के अधिकांश इलाके में आज भी पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति नहीं हो रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2021 5:04 PM

Jharkhand news: जलसंकट से निदान के लिए धनबाद जिला में 1034 करोड़ रुपये से अधिक की जलापूर्ति योजनाएं चल रही है. 8 मेगा जलापूर्ति योजनाओं में से दो लगभग पूर्ण है. इनमें से एक योजना से दो गांवों में ही जलापूर्ति हो रही है, जबकि शेष योजनाएं आधी-अधूरी है. सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की गति अत्यंत धीमी है. कोई भी योजना समय पर पूर्ण नहीं हो पाया. जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) से धनबाद जिला में अभी 7 बड़ी जलापूर्ति योजनाओं का काम चल रहा है. इन योजनाओं के लिए 10.34 अरब रुपये स्वीकृत हुए हैं. इसमें से 833.17 करोड़ रुपये सिर्फ डीएमएफटी से खर्च हुए हैं. पिछले 5 वर्षों के दौरान केवल दो योजनाएं ही लगभग पूर्ण हुई है. इनमें से सिर्फ एक मेगा जलापूर्ति योजना बलियापुर वृहद जलापूर्ति योजना से केवल दो गांवों में पानी दी जा रही है. वह भी आधे-अधूरे तरीके से.

80 फीसदी से अधिक लोग जोरिया, चापानल पर निर्भर

धनबाद जिले की आबादी लगभग 27 लाख (2011 की जनगणना के अनुसार) है. हालांकि, पिछले एक दशक में आबादी बढ़ी ही है. यहां की आबादी अभी 30 लाख से अधिक अनुमानित है. यहां के अधिकांश इलाके में आज भी पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति नहीं हो रही है. 80 फीसदी से अधिक आबादी आज भी पीने से लेकर नहाने तक के लिए जोरिया, तालाब, खदानों के पानी पर निर्भर है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का आधा समय पानी के जुगाड़ में ही बीत जाता है.

कौन-कौन सी मेगा जलापूर्ति योजनाएं

DMFT से पिछले पांच वर्षों के दौरान 8 बड़ी मेगा जलापूर्ति योजनाओं का चयन हुआ. इनमें से 7 योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की है. एक जलापूर्ति योजना जमाडा की देख-रेख में चल रही है. इन 7 योजनाओं में निरसा-गोविंदपुर उत्तर क्षेत्र जलापूर्ति योजना, निरसा-गोविंदपुर दक्षिण क्षेत्र जलापूर्ति योजना, बलिायपुर मेगा जलापूर्ति योजना, पत्थरगढ़ी-आसनबनी जलापूर्ति योजना, तोपचांची ग्रामीण जलापूर्ति योजना, बाघमारा जलापूर्ति तथा महुदा बस्ती ग्रामीण जलापूर्ति योजना शामिल है.

Also Read: ट्रांसपोर्टिंग बंद होने से सीसीएल को दो करोड़ रु का नुकसान, विधायक सीता सोरेन उठा चुकी है विधानसभा में मामला
क्या है जलापूर्ति की स्थिति

बलियापुर वृहद जलापूर्ति योजना वर्ष 2016 में शुरू हुई थी. यह योजना वर्ष 2018 में ही पूर्ण होना था. सरकारी बोर्ड पर यह योजना पूर्ण भी हो चुकी है. लेकिन, धरातल पर 74.53 करोड़ की इस योजना से 67 गांवों में से केवल दो गांव में ही जलापूर्ति हो रही है. वह भी आधे-अधूरे तरीके से. यहां के घड़बड़ पंचायत में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है. वहीं निरसिंहपुर पंचायत के शीतलपुर गांव में 10 दिन पहले ही पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति शुरू हुई है. पूरे गांव के लोग पाइपलाइन में लीकेज व नलों के तुरंत टूटने से परेशान हैं.

इसी तरह निरसा-गोविंदपुर के लोगों के लिए 521 करोड़ रुपये की लागत से दो बड़ी मेगा जलापूर्ति योजनाएं चल रही है. निरसा-गोविंदपुर उत्तर जलापूर्ति योजना में लगभग 50 फीसदी ही काम पूर्ण हुआ है, जबकि निरसा-गोविंदपुर दक्षिण जलापूर्ति योजना में लगभग 53 फीसदी काम. दोनों ही योजना का काम इजराइल की टहल कंपनी कर रही है. इंटेकवेल का निर्माण नहीं हुआ है. राइजिंग पाइप बिछाने का काम भी अपूर्ण है. घर-घर पाइपलाइन बिछाने का काम अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है.

झरिया : दो वर्ष में 16 फीसदी काम ही पूर्ण

झरिया में जल संकट दूर करने के लिए 312 करोड़ रुपये की मेगा जलापूर्ति योजना चल रही है. वर्ष 2019 में शुरू इस योजना के तहत 400 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाना है. पुरानी पाइपलाइन को बदला जाना है. लेकिन, दो वर्षों में केवल 16 फीसदी काम ही पूर्ण हो पाया है. केवल 19 किलोमीटर पाइप ही बिछायी जा सकी है. इंटेकवेल बनाना का काम भी शुरू नहीं हो पाया है. जबकि नयी योजना के पूर्ण होने से झरिया को रोज-रोज के जलसंकट से मुक्ति मिल सकती है.

Also Read: झारखंड में ठंड की वजह से 5 लोगों की मौत, 28 तारीख के बाद फिर से बढ़ेगी ठंड, इन जगहों पर हैं बारिश के आसार


रिपोर्ट: संजीव झा, धनबाद.

Next Article

Exit mobile version