झारखंड के गढ़वा में म्यूटेशन के 4 हजार से अधिक आवेदन पेंडिंग, ऑफिस का चक्कर लगा रहे लोग

गढ़वा जिले में म्यूटेशन के चार हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं. निर्धारित समय के बाद भी दाखिल-खारिज नहीं होने से लोग परेशान हैं. अपनी जमीन की म्यूटेशन के लिए लोग हर दिन अंचल कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं. इसमें 30 दिनों से अधिक समय से लंबित मामले 548 हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2023 10:50 AM

गढ़वा, पीयूष तिवारी : झारखंड सेवा गारंटी अधिनियम के तहत जमीन म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) के मामले को एक माह से ज्यादा समय तक लटकाने पर जुर्माने का प्रावधान है, इसके बावजूद गढ़वा जिले में मामले लंबित रखे जा रहे हैं, जबकि आम लोग अपने म्यूटेशन के लिए बार-बार कार्यालय का चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं. गढ़वा जिले में म्यूटेशन के कुल 4074 मामले लंबित पड़े हुए हैं. इसमें 30 दिनों से अधिक समय से लंबित मामले 548 हैं, जबकि 61 मामले ऐसे हैं, जो 90 दिनों से भी ज्यादा समय से लंबित पड़ी हुई है.

नगरउंटारी में सबसे अधिक मामले लंबित

गढ़वा जिले के नगरउंटारी में म्यूटेशन के सबसे ज्यादा 32 मामले 90 दिनों से ज्यादा समय से लंबित पड़े हुए हैं, जबकि आबादी एवं गांवों के दृष्टिकोण से सबसे बड़े अंचल गढ़वा में मात्र एक मामला 90 दिनों से ज्यादा समय से लंबित पड़ा हुआ है. बरडीहा और डंडा अंचल में एक भी मामला 30 दिनों से ज्यादा समय से लंबित नहीं है. इसके अलावे खरौंधी में दो तथा रंका अंचल में एक मामला ही 30 दिनों से ज्यादा समय से लंबित पड़ा हुआ है. जिले के शेष अन्य अंचलों में लंबित मामलों की संख्या दहाई अंक से ज्यादा है.

ऑलनाइन व्यवस्था से 55,213 म्यूटेशन किये गये

गढ़वा जिले में ऑनलाइन म्यूटेशन की व्यवस्था लागू होने के बाद साल 2017-18 से जिले में ऑफलाइन म्यूटेशन की व्यवस्था बंद कर दी गयी है. सिर्फ ऑनलाइन व्यवस्था से ही यहां म्यूटेशन की जा रही है. इस नयी व्यवस्था से जिले में अब तक यहां 55213 म्यूटेशन किये गये हैं.

Also Read: सुखाड़ग्रस्त गढ़वा में खुले 35 धान क्रय केंद्र, 33 किसानों ने ही बेचा धान, यहां बेचने से क्यों कर रहे परहेज ?

क्यों आ रही समय पर म्यूटेशन में समस्या

एनएच-75 (मुड़ीसेमर से शंखा तक) सड़क निर्माण की वजह से राजस्व कर्मचारी इसके लिए जमीन अधिग्रहण एवं मुआवजा आदि की प्रक्रिया में काफी समय से फंसे हुए हैं. इसको लेकर यहां काफी किचकिच हो रही है. नगरउंटारी, गढ़वा एवं मेराल जैसे बड़े प्रखंडों में राजस्व कर्मचारियों की संख्या कम है. यहां एक-एक राजस्व कर्मचारी कई-कई हल्के के चार्ज में हैं. कई प्रखंडों में अंचल पदाधिकारी के पद भी प्रभार में चल रहे हैं. बीडीओ ही अंचल पदाधिकारी का कार्य भी निष्पादित कर रहे हैं. इस वजह से समय पर मामला निष्पादन में समस्या आ रही है.

क्या कहता है नियम

झारखंड सेवा गारंटी अधिनियम-2011 के अनुसार जमीन म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) से संबंधित आवेदन को एक माह (30 दिन) से ज्यादा समय तक रोकने पर अंचलाधिकारी (सीओ) से जुर्माना की वसूली की जा सकती है. साथ ही अपील पदाधिकारी जिसमें डीसीएलआर, अपर समाहर्ता भी यदि आवेदन के निपटारे में विलंब करते हैं तो उन्हें भी जुर्माना का भुगतान करना पड़ सकता है

Next Article

Exit mobile version