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आगरा: बेटी की आजादी के लिए शहीद स्मारक पर बैनर लेकर पहुंची मां, एक साल से बाल गृह में है कैद

आगरा की एक बच्ची मां-बाप के होते हुए भी अनाथों की जिंदगी बिता रही है. वह बाल गृह में एक साल से कैद है. दोबारा वह मां-बाप के पास जाएगी या नहीं, इसका फैसला अब CWC करेगी. फिलहाल उसके मां-बाप उसे रिहा कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

Agra : देश आजादी का 77वां स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मना रहा है. लेकिन आगरा में एक मां अपनी बेटी की आजादी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है. पिछले 1 साल से उसकी बेटी बाल गृह में कैद है. मां तमाम जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों समेत कई लोगों के पास गुहार लगाकर थक चुकी है. लेकिन बेटी अभी तक आजाद नहीं हुई. ऐसे में महिला अपने हाथ में बेटी की आजादी के लिए बैनर लेकर शाहिद स्मारक जा पहुंची.

यह है पूरा मामला

करीब 12 महीने से कायनात की मां मीना आगरा प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से लगातार मिन्नते कर रही है. आंखों में आंसू लिए मीना ने अपना दर्द मीडिया के सामने बयान किया और बताया कि सभी देश की आजादी का जश्न मना रहे हैं. लेकिन मेरी बेटी पिछले 1 साल से कैद में है. 8 साल की कायनात पंचकुइयां के बाल गृह में बंद है. मीना अपने पति के साथ शहीद स्मारक पर इस उम्मीद से बैनर लेकर पहुंची कि शायद कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि की नजर उसे पर पड़ जाए और वह अपनी पीड़ा बयां कर सके.

किन्नर हाल ही की जन्मी बच्ची दी थी मीना को

आगरा के चाइल्ड एक्टिविस्ट और समाज सेवी नरेश पारस ने बताया कि इन दोनों दंपतियों को न्याय दिलाने के लिए वह काफी समय से प्रयासरत हैं. उन्होंने बताया कि 8 साल पहले अंजली नाम की किन्नर हाल ही की जन्मी बच्ची को मीना के पास छोड़ कर चली गई थी. उस वक्त मीना ने बच्ची को लेने से इनकार किया. लेकिन किन्नर जबरदस्ती उसे बच्ची थमा कर लौट गई. मीना ने बच्ची का 8 सालों तक पालन पोषण किया और उसे इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिल कराया.

8 साल बाद लौटी किन्नर ने मीना की बेटी का कर लिया अपहरण

जब 8 साल के बाद किन्नर वापस आई और मीना से कायनात को मांगने की जिद करने लगी तो मीना ने मना कर दिया. लेकिन मौका देखकर किन्नर मीना की बेटी का अपहरण कर ले गई. इसके बाद मीना ने पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने बच्ची को फर्रुखाबाद से बरामद कर लिया और मीना और उसके पति के हवाले कर दिया. साथ ही चाइल्ड वेलफेयर ने फिट पर्सन बता कर बच्ची को मीना और अरमान की देखरेख में रहने का आदेश दिया.

वही 8 महीने बाद किन्नर ने दोबारा चाइल्ड वेलफेयर में शिकायत की और बताया कि मीना और उसके पति बच्ची को सही से नहीं पाल पा रहे हैं. जिसके बाद बच्ची को स्कूल से 2 घंटे के लिए चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी में बुलाया गया और उसे बाल गृह में डाल दिया गया. करीब 1 साल से 8 साल की कायनात इस बाल गृह में बंद है. बाल कल्याण समिति ने आदेश पारित किया है की बच्ची के मां-बाप की आर्थिक स्थिति अस्थाई है. इसलिए बच्ची को बल ग्रह में रखा जाए.

जिलाधिकारी से 11 बार मिल चुका है परिवार

अब कायनात को मां-बाप से मिलने भी नहीं दिया जाता है मीना और उसके पति 11 बार जिलाधिकारी से व्यक्तिगत तौर पर मिल चुके हैं. पत्र भी दिए हैं. अपील भी की है. इसके अलावा जिला प्रोविजनल अधिकारी, विधायक धर्मपाल, महिला बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य इन सभी से प्रशासन के पास पत्र भेजे गए हैं लेकिन कोई भी सफलता नहीं मिली.

आंखों में आंसू लिए और दर्द लिए मीना 1 साल से अपनी बेटी की आजादी के लिए चक्कर काट रही है. उसका कहना है कि मेरे लिए आजादी का मतलब मेरी बेटी की आजादी है. जब तक मेरी बेटी आजाद नहीं होगी मैं हार नहीं मानूंगी. वहीं उन्होंने बताया कि जहां एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान चला रही है. वहीं मैं अपनी बेटी को खुद पढ़ रही हूं. लेकिन मेरी बेटी को बचाने के लिए सरकार कुछ भी नहीं कर रही.

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