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Munger: हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू बच्चों को दे रही शिक्षा, मुख्यधारा से जुड़ रहे नक्सल परिवार

Munger: हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू दे रही बच्चों को शिक्षा, सीआरपीएफ की पहल से मुख्यधारा से जुड़ रहे लोग

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2022 1:39 PM

Munger: एक ओर जहां मुंगेर रेंज को नक्सलियों से फ्री करने के लिए सीआरपीएफ द्वारा कार्रवाई की जा रही है. वहीं दूसरी ओर आम लोगों को सुरक्षा के साथ वहां के बच्चों को शिक्षा दान भी कर रही है. सीआरपीएफ के इसी अभियान का परिणाम है कि आज हार्डकोर नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू भी बच्चों को पढ़ा रही है. जबकि, सिविक एक्शन प्लान के तहत लगातार नक्सल प्रभावित गांवों में जाकर कपड़ा, किताब, दवाइयों का वितरण किया जा रहा है. इस कारण नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के साथ ही नक्सलियों के परिवार भी समाज के मुख्यधारा से जुड़ते जा रहे हैं.

फरवरी महीने में जमुई जिले के अति नक्सल प्रभावित चोरमारा में सीआरपीएफ का कैंप स्थापित किया गया. इसके बाद सीआरपीएफ के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सर्वे कार्यक्रम चलाया. इस दौरान पता चला कि चोरमारा में प्राथमिक विद्यालय चोरमारा है. इसमें एक शिक्षक पदस्थापित हैं. लेकिन, महीने-दो महीने में एक बार भी विद्यालय खुल जाये, तो वहीं गनीमत है.

चोरमारा, गुरमाहा सहित अन्य नक्सल प्रभावित गांवों के लोगों ने बताया कि वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं. लेकिन, शिक्षक नक्सलियों के भय के कारण विद्यालय ही नहीं खोलते. इसके बाद सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शिक्षक से संपर्क कर विद्यालय में ना सिर्फ पठन-पाठन शुरू कराया. बल्कि, बच्चों को पढ़ाने के लिए सीआरपीएफ जवानों में ही चार जवानों का चयन किया. जवान शिक्षक बन कर बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं.

आज इस विद्यालय में बच्चों की चलकदमी बढ़ गयी है. इस विद्यालय में नक्सली संगठन के नक्सली संगठन के बड़े नेता और मारक दस्ता के नेतृत्वकर्ता बालेश्वर कोड़ा की पतोहू रश्मि कोड़ा भी बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रही है. इसके साथ ही मुंगेर जिले के पैसरा में भी आज बच्चों ने पढ़ाई शुरू कर दी है. इस कारण नक्सल प्रभावित क्षेत्र शिक्षा की ओर लगातार अग्रसर होती जा रही है.

पहाड़ों को 300 फीट खोद कर निकाला पानी

बताया जाता है कि सीआरपीएफ का कैंप जब 4 अप्रैल को मुंगेर जिले के पैसरा मे स्थापित किया गया. यहां पानी की सबसे बड़ी समस्या थी. ग्रामीणों के समक्ष भी पेयजल की समस्या है. सीआरपीएफ कैंप स्थापित होने के साथ ही वहां पर डीप बोरिंग कराने का कार्य शुरू किया गया. पहाड़ में चीरते हुए 300 फीट गहरा पानी निकाला गया. बोरिंग होने के साथ ही पानी की समस्या वहां दूर हो गयी. जवानों के साथ ही स्थानीय ग्रामीण भी उस पानी का उपयोग कर रहे है. चोरमारा में भी पानी के लिए डीप बोरिंग करायी गयी है.

जागरूकता अभियान का असर, मुख्यधारा से जुड़ रहे लोग

सीआरपीएफ की ओर से लगातार सिविक एक्शन प्लान के तहत नक्सल प्रभावित गांवों में जा कर कहीं स्वास्थ्य जांच शिविर तो कहीं बच्चों के बीच पाठ‍्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है. महिलाओं को साड़ी तो पुरुषों को लुंगी व गमछा दिया जा रहा है. सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि नक्सल प्रभावित गांवों में जागरूकता कार्यक्रम अभियान चलाया जा रहा है. गांवों में जाकर गांवों और ग्रामीणों की समस्याओं को जान कर उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. सुरक्षा मिलने और गांवों में हमलोगों को देख कर ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी है कि अब सरकार की योजनाओं का लाभ उनको भी मिलेगा. सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि सिविक एक्शन प्लान काफी सफल साबित हो रहा है. लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ते चले जा रहे हैं.

कहते हैं डीआइजी

सीआरपीएफ के डीआइजी विमल विष्ट ने बताया कि जहां विद्यालय नहीं खुलता था आज वहां से बच्चों के पढ़ने की आवाज आ रही है. सीआरपीएफ के कुछ पढ़े-लिखे जवानों को भी बच्चों को शिक्षा देने के कार्य में लगाया गया है. इस कार्य में हार्डकोर नक्सल बालेश्वर कोड़ा की पतोहू रश्मि कोड़ा भी बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रही है. सिविक एक्शन प्लान के कारण नक्सलियों के खौफ में जी रहे ग्रामीण आज सुरक्षा मिलने के कारण समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ रहे है.

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