मुंगेर गोलीकांड को लेकर हाईकोर्ट के आदेश आने के बाद न सिर्फ अनुसंधान की रफ्तार तेज हुई है, बल्कि लापरवाही बरतने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. साथ ही मुंगेर पुलिस द्वारा इस मामले में बरती गयी लापरवाही की पोल भी धीरे-धीरे खुलने लगी है. मुंगेर पुलिस की लापरवाही का आलम यह है कि घटना के चार माह बाद जहां अनुराग के पोस्टमार्टम में मिले गोली के टुकड़े को फोरेंसिक लैब जांच के लिए भेजा गया है, वहीं दूसरी ओर सीआइएसएफ द्वारा की गयी गोलीबारी की सत्यता के लिए सीआइएसएफ के पूर्वी क्षेत्र मुख्यालय (बिहार) के उप महानिरीक्षक को पत्र लिखा गया.
विदित हो कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मुंगेर में मौजूद सीआइएसएफ को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान विधि व्यवस्था के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया गया था. फायरिंग के बाद सीआइएसएफ का एक रिपोर्ट वायरल हुआ था. सीआइएसएफ के उप महानिरीक्षक पूर्वी क्षेत्र मुख्यालय पटना का वायरल ज्ञापांक 9411 दिनांक 27 अक्तूबर 2020 के सत्यापन को लेकर मुंगेर एसपी कार्यालय के पत्रांक 734 दिनांक 18 फरवरी 2021 से जानकारी मांगी.
गौरतलब हो की इस जांच रिपोर्ट में सीआइएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने मुंगेर गोली कांड में बड़ा खुलासा किया था कि मुंगेर पुलिस के द्वारा उग्र भीड़ पर काबू पाने के लिए फायरिंग की गयी. इसके बाद उनके द्वारा 13 गोलियों हवा में फायर किया गया. सवाल उठाता है कि इतने दिनों बाद आखिर मुंगेर पुलिस ने क्यों इसकी सत्यता के सीआइएसएफ को पत्र लिखा. पहले क्यों नहीं पत्र लिखा गया. इतना ही नहीं लापरवाही का आलम यह है कि मृतक अनुराग से संबंधित गोली के टुकड़े को फोरेंसिक जांच के लिए सीजेएम मुंगेर को 26 फरवरी 2021 को एक प्रतिवेदन दिया गया. जो पुलिस के गैर जवाबदेही को दर्शाता है.
मुंगेर सिविल कोर्ट में अनुराग हत्या मामले को देख रहे अधिवक्ता ओम प्रकाश पोद्दार ने बताया की शुरुआत दौर से ही दोषी जिला पुलिस को बचाने के लिए हर स्तर से एड़ी-चोटी की जा रही थी, लेकिन वायरल वीडियो से मुंगेर पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे थे. एसआइटी पर भी सवाल उठना लाजिमी है. हाईकोर्ट एक्शन में नहीं आती तो हो सकता कि मुंगेर पुलिस अनुराग हत्या मामले को रफा-दफा कर देती.
Posted By: Thakur Shaktilochan