Munger: मां-पिता की हैवानियत, बेटे को अपने पास रखा, चार बेटियों को पंजाब से भगाया बिहार

Munger: अपनी ही मां ने 12 साल की संजू को 11 माह की मासूम बच्ची सहित दो अन्य बेटियों को पंजाब से बिहार आनेवाली ट्रेन पर बैठा कर दर-दर की ठोकरे खाने के लिए छोड़ दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2022 11:11 AM
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Munger: केंद्र और राज्य सरकार एक ओर जहां ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा बुलंद करने में लगी है. वहीं, आज भी इस समाज में बहुतों के लिए बेटिया किसी बोझ से कम नहीं है, तभी तो अपनी ही मां ने 12 साल की संजू, 11 माह की मासूम बच्ची सहित दो अन्य बेटियों को पंजाब से बिहार आनेवाली ट्रेन पर बैठा कर दर-दर की ठोकरे खाने के लिए छोड़ दिया.

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बाल कल्याण समिति पहुंचा कर दिया नया जीवन

रोटी के लिए मासूम को लेकर भटक रही बच्ची के बारे में गुरुवार रात जब वासुदेवपुर ओपी प्रभारी को जानकारी मिली, तो वह बिना देर किये चारों बच्चियों को सकुशल थाना लाया और बाल कल्याण समिति में पहुंचा कर नया जीवन दान देने का काम किया. लेकिन, बच्चियों की दर्द भरी दास्तां जिसने भी सुनी, उसके आंखों से आंसू निकल आये.

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अपनी ही मां ने बोझ कह कर चार बेटियों को घर से निकाला

बताया जाता है कि कासिम बाजार थाना क्षेत्र के लल्लू पोखर काली स्थान मजार के पास राजेश बिंद किराये के मकान में अपनी पत्नी रानी देवी के साथ रहता था. एक साल पहले राजेश बिंद की मौत बीमारी से हो गयी थी. उसने अपने पीछे सिर्फ पत्नी की नहीं, बल्कि चार बेटी और एक बेटा को छोड़ गया. राजेश की मौत के बाद ही रानी ने मोहल्ले के ही कृष्णनंदन यादव से विवाह कर लिया. इसके बाद वह अपने बेटे और बेटियों को लेकर अपने दूसरे पति के साथ पंजाब चली गयी. लेकिन, पंजाब जाने पर रानी और कृष्णनंदन को 12 वर्षीया संजू कुमारी, 11 वर्षीया काजल कुमारी, 5 वर्षीया वर्षा कुमारी और 11 महीने की लक्ष्मी कुमारी दोनों को बोझ लगने लगा.

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हम चारों बहनों को बोझ कहते थे मां और सौतेला पिता : संजू

संजू बताती है कि उसकी मां और सौतेला पिता ने हमेशा हम चारों को बोझ कहते थे. तारीख मुझे पता नहीं है. लेकिन, लगभग एक माह पूर्व उसे स्टेशन पर लाया और कहा कि तुम लोग बोझ हो और एक ट्रेन पर बैठा दिया. ट्रेन बिहार आनेवाली थी और उसी ट्रेन पर हमलोगों को 400 रुपये देकर बैठा दिया. किसी तरह हमलोग किऊल स्टेशन पर उतरे.

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मकान मालिक ने भगाया तो मंदिर में ली शरण

संजू बताती है कि भूखे-प्यासे हमलोग किसी तरह मुंगेर पहुंचे और जिस किराये के मकान में माता-पिता रहते थे, वहां पहुंचे. लेकिन, मकान मालिक ने कहा कि यहां पर अब तुम्हारा कुछ नहीं है. तुम्हारे पिता की मौत के बाद तुम्हारी मां ने दूसरा विवाह कर लिया और घर का सारा सामान अपने साथ लेकर चली गयी. घर भी मैंने किराये पर दूसरे को दे दिया. बच्चियों ने जब शरण मांगा, तो मकान मालिक ने शरण देना तो दूर उसे उचित जगह भी नहीं पहुंचाया. इसके बाद 11 माह की मासूम और अन्य दो छोटी बच्ची के साथ लल्लू पोखर से वह सीधे सोझी घाट पहुंची और वहीं मंदिर में चारों बच्चियों ने शरण लिया.

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भीख मांग कर तीन बहनों का पेट पाल रही संजू

चारों बहने मंदिर में तो शरण ले लिया. अब पेट भरने की बारी थी. संजू बताती है कि सोझी घाट और आसपास ही भींख मांगती थी. कोई खाने के लिए दे देता था कोई दो-चार, पांच-दस रुपये दे देता था. उसी से हम बहनें पेट पालती थी. 11 माह की बहन के लिए आस-पास मवेशी रखने वालों से दूध मांगती थी. कभी पैसा देते थे कभी ऐसे ही दूध मिल जाता था. संजू ने बताया कि इस एक माह में कुछ दिनों उसे भीख मांगने की जरूरत नहीं महसूस हुई. क्योंकि, वहां पर कोई कार्यक्रम में एक साधु बाबा आया था. इसको हमलोगों पर दया आयी और भर पेट अच्छा-अच्छा भोजन दिया. लेकिन, साधु बाबा के जाने के बाद फिर भीख मांगनी पड़ी.

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रात में भटक रही बच्चियों को पुलिस ने पहुंचाया बाल कल्याण समिति

वासुदेवपुर ओपी क्षेत्र के नयागांव में गुरुवार रात एक मासूम बच्ची के साथ चार बच्चियों को भटकते हुए लोगों ने देखा. पहले तो लोगों ने नजर अंदाज कर दिया. लेकिन, मोहल्ले में लगातार भटकते देख किसी सज्जन ने रोक कर चारों बच्चियों से पूछताछ शुरू की. उसे जब यह पता हो गया कि चारों बच्चियां अनाथ हैं, तो इसकी सूचना वासुदेवपुर ओपी प्रभारी एलबी सिंह को दी. बिना देर किये एलबी सिंह वहां पहुंचे और चारों बच्चियों को उठा कर थाना लाया, जहां उससे काफी पूछताछ की गयी. इसके बाद शुक्रवार को चारों बच्चियों को जिला बाल कल्याण समिति के पास उपस्थापन कराया. इसके कारण चारों बच्चियों का नया जीवनदान मिल गया, नहीं तो इस दरिंदों की दुनिया में ना जाने इन मासूमों का क्या होता.

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नियमों के कारण अलग हो गयीं चारों बहनें

बताया जाता है कि बाल कल्याण समिति में उपस्थापन के बाद नियमों के कारण अलग-अलग जगहों पर आवासित किया गया. 5 वर्ष और 11 वर्ष की मासूम को जहां मुंगेर के बबुआ घाट स्थित विशिष्ट दत्तक गृह में आवासित किया गया. वहीं, 12 और 11 साल की बहनों को बेगूसराय स्थित बालिका गृह में आवासित किया गया.

कहते हैं ओपी प्रभारी

वासुदेवपुर ओपी प्रभारी एलबी सिंह ने बताया कि जैसे ही एक मासूम के साथ तीन बच्चियों को रात में भटकने की सूचना मिली, तो पुलिस ने चारों बच्चियों को उठा कर थाना लाया. शुक्रवार को चारों बच्चियों को जिला बाल कल्याण समिति में उपस्थापन करा कर उसके हवाले कर दिया.

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