गोरखपुर : जनपद में 1000 साल पुरानी दरगाह हजरत बाबा मुबारक खां शहीद के आस्ताने पर 17,18 व 19 मई को तीन दिवसीय उर्स का आयोजन होने जा रहा है. ईदगाह पर वर्षों पहले से मेला लगता आ रहा है. दूर दराज से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. इस दरगाह की मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां मुराद मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है. उर्स ए पाक के दौरान विभिन्न कार्यक्रम में कव्वाली का कार्यक्रम भी सभी को अपनी ओर खींचता है. दरगाह के अध्यक्ष इकरार अहमद का कहना है कि अपने बुजुर्गों और तारीख के जरिए उन लोगों ने जाना है कि हजरत बाबा मुबारक खा शहीद का आस्ताना 1000 साल पुराना है.और वो गजनी से आये हुए थे.
गाजी मसूद सैयद सालार रहमतुल्लाह आले उनके खलीफा थे. यहां पर लगने वाले उर्स से मुंशी प्रेमचंद का काफी जुड़ाव रहा है. मुंशी प्रेमचंद की कहानी ईदगाह में इसी ईदगाह का जिक्र किया गया है. दरगाह के अध्यक्ष इकरार अहमद ने योगी सरकार से मांग की है कि तमाम धार्मिक स्थलों का विकास हो रहा है. इस ऐतिहासिक धरोहर को भी विकसित किया जाए. इसी ईदगाह से मुंशी प्रेमचंद की यादें जुड़ी हैं. दरगाह प्रशासन और जिला प्रशासन उर्स की तैयारी कर रहा है. दरगाह पर चादर पोशी करने के लिए और मन्नतें मांगने के लिए दूरदराज से लोग यहां आते हैं.
गोरखपुर के नार्मल स्थित हजरत मुबारक शहीद बाबा के आस्ताने पर हर वर्ष उर्स का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर एक महीने का मेला भी लगता है. 3 दिन तक चलने वाले उर्स में धर्म और मजहब की दीवार को तोड़कर इस दरगाह पर सभी धर्म के लोग आते हैं. इस ईदगाह में लगने वाले मेले को देखने के बाद मुंशी प्रेमचंद ने कालजयी रचना ईदगाह लिखी. इसी कहानी में हामिद मेला देखने के लिए मिले पैसे से खिलौना खरीदने की जगह दादी के लिए चिमटा खरीद लेता है. जिससे रोटियां बनाते समय उनका हाथ ना जले.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप