डोपिंग के मामले रोकने में NADA फेल, वाडा लगा सकता है भारतीय एजेंसी पर बैन

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) को ‘स्पष्ट साक्ष्य’ मिले हैं कि भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) खिलाड़ियों के रहने के स्थान संबंधी नियम का सही तरह से प्रबंधन नहीं कर रही.

By Prabhat Khabar News Desk | July 20, 2023 10:50 AM

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) को ‘स्पष्ट साक्ष्य’ मिले हैं कि भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) खिलाड़ियों के रहने के स्थान संबंधी नियम का सही तरह से प्रबंधन नहीं कर रही. वाडा ने जांच में 12 पॉजिटिव परीक्षण और 70 खिलाड़ियों से जुड़े रहने के स्थान संबंधी नियम के उल्लंघन के 97 मामलों की पहचान की है.

प्रयोगशाला के अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप नहीं होने के कारण वाडा ने 2019 में नाडा को छह महीने के लिए निलंबित भी किया था. वाडा के स्वतंत्र खुफिया एवं जांच विभाग ने नाडा के परीक्षण का स्तर वाडा संहिता और परीक्षण एवं जांच के अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप नहीं होने के आरोपों को लेकर मंगलवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की. वाडा की रिपोर्ट में कहा गया कि वाडा के खुफिया एवं जांच विभाग की लंबे समय से चली आ रही जांच जिसे ‘ऑपरेशन केरोसेल’ के नाम से जाना जाता है, 2018 में शुरू हुई थी. इसमें साक्ष्य मिले हैं कि नाडा ने अपने पंजीकृत परीक्षण पूल (आरटीपी) में शामिल कुछ खिलाड़ियों के पर्याप्त परीक्षण नहीं किये, जबकि खिलाड़ियों के रहने के स्थान संबंधी सूचना की भी उचित निगरानी करने विफल रहा.

जांच के दौरान 97 मामले में नियम तोड़ने की पहचान हुई

वाडा ने चुनिंदा खेलों और खिलाड़ियों की भारत के अंदर निगरानी की. इसका नतीजा यह हुआ कि नाडा के सहयोग से 12 पॉजिटिव परीक्षण (प्रतिकूल विश्लेषणात्मक नतीजे) और 70 खिलाड़ियों से जुड़े रहने के स्थान संबंधी नियम के 97 उल्लंघन की पहचान की गयी. वाडा ने कहा कि स्पष्ट साक्ष्य हैं कि नाडा के पास संसाधनों की कमी थी. वाडा के खुफिया एवं जांच विभाग के निदेशक गंटर यंगर ने कहा कि 2016 से वाडा नाडा के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिससे कि उसके डोपिंग रोधी कार्यक्रम में सुधार किया जा सके. इस दौरान मानकों के साथ गैर-अनुरूपताओं से निबटने के लिए विभिन्न सुधारात्मक कदम मुहैया कराये गये.

वाडा ने भारत में चलाया ऑपरेशन केरोसेल

वाडा के खुफिया एवं जांच विभाग ने ‘ऑपरेशन केरोसेल’ शुरू किया, जिसमें स्पष्ट साक्ष्य सामने आये कि नाडा के पास संसाधनों की कमी का मतलब है कि वह पर्याप्त स्तर पर परीक्षण नहीं कर रहा था और उसके पास पंजीकृत परीक्षण पूल में शामिल खिलाड़ियों के रहने के स्थान सबंधी जानकारी की संतोषजनक निगरानी और प्रबंधन के साधन नहीं थे. रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि ‘ऑपरेशन केरोसेल’ शुरू होने के बाद से नाडा सुधारात्मक उपाय करने और अपने संसाधनों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. ऑपरेशन केरोसेल ने 2022 के अंत में नाडा के साथ खुले तौर पर जुड़ना शुरू किया.

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