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Nag Panchami 2022: आज मनाया जा रहा है नागपंचमी का पर्व, ये है पूजा की सही विधि

Nag Panchami 2022: आज 2 अगस्त को नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. ये पर्व भगवान शिव और नाग देवता से संबंधित होता है और इस दिन माना गया है कि नाग देवता की पूजा करके कोई भी व्यक्ति न केवल अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है, इसके अलावा वे व्यक्ति भगवान शिव का भी आशीर्वाद प्राप्त करने में सफल रहता है.

Nag Panchami 2022: नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विशेष विधान है. आज यानी नागपंचनी के दिन 30 साल में पहली बार शिवयोग के दौरान नाग पंचमी आ रही है. यह दुर्लभ संयोग है. इस दिन भगवान की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है ये पर्व भगवान शिव और नाग देवता से संबंधित होता है और इस दिन माना गया है कि नाग देवता की पूजा करके कोई भी व्यक्ति न केवल अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है, इसके अलावा वे व्यक्ति भगवान शिव का भी आशीर्वाद प्राप्त करने में सफल रहता है.

नाग पंचमी 2022 तारीख, शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2022 Date Shubh Muhurat)

नाग पंचमी मंगलवार, 2 अगस्त 2022

नाग पंचमी पूजा मूहूर्त – 05:43 बजे सुबह से 08:25 बजे सुबह तक

अवधि – 02 घण्टे 42 मिनट्स

पंचमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 02, 2022 को 05:13 बजे सुबह से

पंचमी तिथि समाप्त – अगस्त 03, 2022 को 05:41 बजे सुबह

नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, महापद्म, पद्म, कुलीक, तक्षक, कर्कट और शंख नाग की पूजा करने का विधान है.

सर्प की छवि आम लोगों के बीच हमेशा से बुरी रही है लेकिन सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है. सृष्टि के संचालक और पालनकर्ता भगवान श्री हरि विष्णु भी शेषनाग पर ही विराजमान हैं जो कि एक सर्प का ही अवतार हैं.

सर्प का जिक्र विष्णु पुराण में भी मिलता है जहां शेषनाग की चर्चा है. वहीं शिव पुराण में भी वासुकि नामक सर्प की चर्चा है जिसे भगवान शिव गले में धारण करते हैं. यहाँ तक कि भगवद्गीता में नागों के नौ प्रकार का जिक्र है जिनकी पूजा करने को कहा गया है.

श्लोक

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् .

शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं, कालियं तथा ..

अर्थात : अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक एवं कालिया, इन नौ जातियों के नागों की आराधना करते हैं. इससे सर्प भय नहीं रहता और विषबाधा नहीं होती.

नाग पंचमी पूजा विधि

  • नाग पंचमी में विशेषतः आठ नागों यानी कि अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख की पूजा की जाती है.

  • नाग पंचमी से एक दिन पहले यानी कि चतुर्थी तिथि को सिर्फ एक बार भोजन करें.

  • इसके बाद नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएँ और स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें.

  • नाग पंचमी के दिन अपने घर के दरवाज़े के दोनों तरफ गोबर से सांप बनाएं.

  • इस सांप/नाग को दही, दूर्वा, गंध, कुशा, अक्षत, फूल, मोदक और मालपुआ आदि समर्पित करें.

  • इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और व्रत करें, ऐसा करने से घर में साँपों का भय नहीं रहता है. (हालाँकि अगर ब्राह्मणों को घर बुलाकर भोजन नहीं करा सकते हैं तो, उनके नाम से दान-दक्षिणा आदि निकाल दें और फिर उसे किसी मंदिर में दान कर दें)

  • इसके अलावा इस दिन नागों को दूध से स्नान कराने, उनकी पूजा करने से भी सांप के डर से मुक्ति मिलती है.

  • नागों की पूजा में हल्दी का उपयोग अवश्य किया जाना चाहिए.

  • इसके बाद नाग देवता को हल्दी, लाल सिंदूर, चावल और फूल अर्पित कर उनकी पूजा करें.

  • फिर एक पात्र में कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को इसका भोग लगाएं.

  • मुमकिन हो तो किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा दें.

इस दिन की पूजा में इस मन्त्र का जाप अवश्य करें, ‘अनन्तं वासकिं शेषं पद्मकम्बलमेव च.तथा कर्कोटकं नागं नागमश्वतरं तथा.. धृतराष्ट्रंं शंखपालं कालाख्यं तक्षकं तथा. पिंगलञ्च महानागं प्रणमामि मुहुर्मुरिति..’

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