Nag Panchami 2023 Date: सावन का महीना तो बहुत ही पावन है. धार्मिक दृष्टि से पूज्य मास है. भगवान शिव का बहुत ही प्रिय मास है, इस मास में पूजा-पाठ करना बहुत ही शुभ होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्लपक्ष के पंचमी तिथि को विशेष पूजन किया जाता है, इस दिन का बहुत ही महत्व है. इस दिन नागो की प्रधान के रूप में पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन को नाग पंचमी कहते है. इस दिन नाग यानि सर्प की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह में नाग और नागिन के जोड़े को दूध से पूजन करते है .जिसे मनुष्य के सांप के भय से दुर रहते है. इस दिन घर के दोनों बगल में नाग की मूर्ति खीचकर पूजन किया जाता है.
इस दिन सावन शुद्ध शुक्लपक्ष का प्रथम सोमवारी है तथा पूरे सावन का तिसरा सोमवार पड़ रहा है, जो शिव भक्तों के उत्तम फलदायी है. इस दिन नाग की पूजन के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करे तो सभी मनोरथ पूर्ण होता है. ज्योतिष शास्त्र के पंचमी तिथि के देवता नाराज है एवं इस समय भगवान विष्णु ने शेष शयन पर रहते है, सावन मास में भगवान शिव का पूजन किया जाता है और सर्प उनका सवारी है. समुद्र मंथन के समय साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने प्रभु के कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है. इसलिए सर्पराज का पूजन पंचमी को किया जाता है.
नाग पंचमी 21 अगस्त 2023 दिन सोमवार को मनाया जाएगा. पंचमी तिथि का शुरुआत 21 अगस्त 2023 रात्रि 12:21 बजे होगी. वहीं पंचमी तिथि की समाप्ति 22 अगस्त 2023 दिन मंगलवार की रात्रि 02:00 बजे तक मिल रहा है.
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नाग पंचमी के दिन जिन नाग देवता का पूजन की जाती है वह इस प्रकार है- वासुकी ,कालिया ,शेषनाग ,काकोटक ,मणिभद्रक ,धृतराष्ट्र,शंखपाल ,तक्षक है उनकी पूजा नाग पंचमी के दिन किया जाता है . इनके पूजन करने से परिवार में सर्प भय से मुक्त होते है. जिन लोगों को कालसर्प दोष बना हुआ है, इन नाग देवता का पूजन करने से उनके दोष में कमी होती है. सभी काम पूर्ण होते है .
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– नाग पंचमी के एक दिन पहले चर्तुथी को एक समय ही भोजन करें .
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– नाग पंचमी के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करें, उसके बाद स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करे तथा व्रत का संकल्प ले .
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– नागपंचमी के दिन अपने घर के दरवाजे के दोनों तरफ गोबर से सांप बनाए.
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– सांप को दही, दूर्वा, कुशा अक्षत, फूल तथा मोदक को समर्पित करें .उनकी पूजा करने से सर्प के डर से मुक्ति मिलती है.
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– एक पात्र में दूध के साथ चीनी मिलकर नाग देवता को इसका भोग लगाए.
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– इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं और व्रत को करें ऐसा करने से घर में सांप से भय नहीं रहता है .
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– इसके आलावा नाग को दूध से स्नान कराए.
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– पूजन करने के बाद किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा दें.
कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण के सात पुत्र वधू थी. सावन मास लगते ही छः बहुए तो भाई के साथ मायके चली गई. परन्तु आभागी सातवी के कोई भाई नहीं था कौन बचाने आता बेचारी ने अति दुखित होकर पृथ्वी को धारण करने वाले शेषनाग को भाई के रूप में याद किया. करुनायुक्त, दीन वाणी को सुनकर शेष जी वृद्ध ब्राह्मण के रूप में आए और फिर उसे लेकर चल दिए. थोड़ी दूर रास्ता तय करने पर उन्होंने अपना असली रूप धारण कर लिए , तब अपने फन पर बैठाकर नाग लोक ले गए. वहां वह निचिन्त होकर रहने लगी पाताल लोक में जब वह निवास कर रही थी. उसी समय शेष जी की कुल परम्परा में नागो के बहुत से बच्चे ने जन्म लिया. उस नाग के बच्चे को सर्वत्र विचरण करते देख शेष नाग रानी ने उस वधू को पीतल का एक दीपक दिया. बताया की इसके प्रकाश से तुम अंधेरे में भी सब कुछ देख सकोगी एक दिन आकस्मात उसके हाथ से दीपक निचे टहलते हुए नाग बच्चो पर गिर गया. परिणाम स्वरुप उन सबकी थोड़ी पूंछ कट गई.
यह घटना घटित होते ही कुछ समय बाद वह ससुराल भेज दी गई, जब अगला सावन आया तो वह बधू दीवार पर नाग देवता को बनाकर उसकी विधिवत पूजा तथा मंगल कामना करने लगी हुई थी. इधर, क्रोधित नाग बालक माताओं से अपनी पूंछ काटने का आदिकारण इस वधु को मारकर अपनी बदला चुकाने आये थे. लेकिन अपनी ही पूजा में श्रद्धा से उसे देखकर वे प्रसन्न हुए और उनका क्रोध समाप्त हुआ. बहन स्वरूपा उस वधु के हाथ से प्रसाद के रूप में उन लोगों को दूध के साथ चावल खाया. नागो ने उसे सर्पकुल से निर्भय होने के वरदान तथा उपहार में मणियो की माला दी. उन्होंने यह भी बताया कि सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हमें भाई के रूप में जो पूजेगा उसकी हम रक्षा करते है .
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
मो. 8080426594/9545290847