Muharram 2021 : सामाजिक सौहार्द का मिसाल है चतरा का नगवां गांव, हिंदू धर्मावलंबी भी मनाते हैं मुहर्रम

चतरा के इटखोरी ब्लॉक के नगवां गांव के हिंदू धर्मावलंबी आज भी मुहर्रम मनाते हैं. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को यहां के लोग आज भी निभा रहे हैं. नगवां गांव के हिंदू धर्मावलंबियों की सामाजिक सौहार्द की चर्चा चहुंओर है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2021 5:45 PM

Muharram 2021, Jharkhand News (विजय शर्मा, इटखोरी, चतरा) : चतरा जिला अंतर्गत इटखोरी ब्लॉक का नगवां गांव सामाजिक सौहार्द का मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव में हिंदू धर्म के लोगों की आबादी 1500 है. यहां पिछले कई सालों से हिंदू धर्म के लोग मुहर्रम मनाते आ रहे हैं. इस साल भी तैयारी अंतिम चरण में है. हालांकि, कोरोना के कारण इस बार भी ताजिया उठाने की संभावना नहीं है.

वर्तमान में गांव का कोई भी व्यक्ति यह नहीं बता सकते हैं कि ताजिया उठाने की परंपरा की शुरुआत कब और किसने की थी. लेकिन, सभी एक स्वर में कहते हैं कि पूर्वजों के जमाने से त्योहार मनाया जा रहा है जिसकी परंपरा कायम है. इसका रस्म व विधि-विधान संपन्न कराने के लिए चौपारण चैया गांव के ताजियादारी मोजावर कतील खान को बुलाया जाता है.

क्या कहते हैं ताजिया समिति के सदस्य

वृद्ध महिला सावित्री देवी कहती है कि मुझे भी पता नहीं है कि यहां ताजिया कब से मनाया जा रहा है. जब से मेरी शादी हुई तभी से देख रही हूं. कई साल से ताजिया (मुहर्रम) मनाया जाता है. सुरेश दांगी ने कहा कि पूर्वजों के जमाने से मुहर्रम मनाते आ रहे हैं. पूरे गांव के सहयोग से ताजिया का निर्माण किया जाता है. एक सौ साल से अधिक हो गया है.

Also Read: Jharkhand Naxal News : झारखंड में 30 पुलिसकर्मियों के Murder का आरोपी Naxalite अरेस्ट, 45 केस हैं दर्ज

शशिभूषण दांगी ने कहा कि नगवां गांव के सभी हिंदू समाज के लोग मिल-जुलकर ताजिया उठाते हैं. किसी तरह का भेदभाव नहीं होता है. पूर्वजों की परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. यह पूरे हिंदू समाज का ताजिया है. शूकर भुइयां ने कहा कि दादा-परदादा के समय से मुहर्रम मनाते आ रहे हैं. बीच में एक साल छोड़ दिये थे, तो गांव में काफी नुकसान पहुंचा था. उसके बाद से कभी नहीं छोड़ते हैं. शिबन यादव ने कहा कि नगवां गांव के सभी हिंदू समाज के लोग मिलकर मुहर्रम मनाते हैं. इस दौरान ताजिया की झांकी भी निकालते हैं. यह वर्षों से मनाया जा रहा है.

क्या कहते हैं मोजावर

मुहर्रम का विधान पूरा कराने वाले को मोजावर कहते हैं. चौपारण से आये मोहम्मद कतील खान ने कहा कि हमारे पूर्वज यहां ताजियादारी करते थे. मेरे दादा काजी रमजान इस गांव का रस्म अदा करते थे. उनके जमाने से यहां हिंदू भाई मुहर्रम मनाते आ रहे हैं. मैं भी अपने दादा के कार्यों को आगे बढ़ा रहा हूं.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version